पिछले दिनों कोलकाता में था। ज्योति बसु के अंतिम दिनों की कवरेज के लिए। उन्हीं दिनों एक खबर आई थी, हमारे सम्माननीय पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने अपने विपक्षी नेता कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदुयरप्पा को ब्लडी बास्टर्ड कहा।
जिन ज्योति बसु की पार्टी की ऐतिहासिक भूल की वजह से देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बने थे, वहीं देवेगौड़ा की इस जानबूझ कर की गई ऐतिहासिक गलती का दूसरा पक्ष भी सामने आया। पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय ज्योति बाबू का हाल-चाल लेने एएमआरआई अस्पताल पहुंचे।
नीचे, अपने काफिले को पीछे छोड़ते हुए वह अकेले ही मीडिया के पास आए, भर्राए गले में कहा कि राजनैतिक रुप से दो ध्रुवों पर रहते हुए भी पिछले साठ साल से हम अच्छे दोस्त हैं। मैंने ज्योति से वादा किया है कि ...आई विल गो फर्स्ट....।
अब सिद्धार्त शंकर रे अपने वायदे पर खरे तो नहीं उतर पाए, और ज्योति दा पहले चले गए। लेकिन राजनीति का एक नया कोण मेरे लिए छोड़ गए। जिसमें एक ओर तो देवेगौड़ा खड़े थे, दूसरी तरफ रे। तीसरा कोण भी सामने आया जब ममता बनर्जी ज्योति दा के निधन के बाद मातमपुर्सी में आई और मीडिया के सामने गला फाड़ कर बोल गई कि ज्योति बुस वाज़ फर्स्ट एंड लास्ट चैप्टर ऑफ लेफ्ट पॉलिटिक्स इन वैस्ट बंगाल...।
मैं चित्त हो गया था। ये तीसरा कोण आज की राजनीति है। पहले भी राजनीति ऐसे हो होती होगी। लेकिन तीनो कोण तीनों अलग एंगल से ...और इसके क्या निहितार्थ हो सकते हैं..इस पर विचार किया जा सकता है।