Thursday, March 25, 2010

अरुणाचल का सौन्दर्य - तस्वीरों में

अरुणाचल प्रदेश का सौन्दर्य अनचीन्हा है. यहाँ आप आयें तो पाएंगे अरे यही तो अपना भारत है. हिमालय की चोटियाँ हरियाली और भी  बहुत कुछ.. पेश है अरुणाचल का सूर्योदय---

अरुणाचल में सूरज भारत में सबसे पहले उगता है..लेकिन ऊँची-नीची घाटियों में छाया धुंधलका अप्रतिम है.


जब हम जंगल में शूट करने पहुचे थे, तो हवा में व्याप्त थी वनस्पतियों की हरी गंध और चिड़ियों की चहचाहाहट... मीठा संगीत.. सन्नाटा था भी और नहीं भी, हम अकेले थे भी और नहीं भी .........

अरुणाचल में संतरों  की खेती शुरू हुई है.. लेकिन तेजू (अरुणाचल का एक छोटा लेकिन खूबसूरत शहर ) के विकास पर इसका असर बहुत ज्यादा नहीं पड़ा है. तेजू में अभी भी सिर्फ २ चौक और २ ही होटल हैं.

Wednesday, March 24, 2010

फोटॉग्रफर गुस्ताख़- ब्रह्मपुत्र की तस्वीरें

ये तसवीरें मैंने उस वक़्त ली, जब मैं अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर था. रास्ते में गौहाटी और डिब्रूगढ़ में मैं ब्रह्मपुत्र स मिला.. उसका सौन्दर्य मोहित करने वाला है. शाम का धुंधलका अभी पूरी तरह छाया भी नहीं था..सूरज ने अपनी किरणे समेटनी शुरू कर दी थी..सूरज को जाल समेटते और एक मछुवारे को जाल फेंकते देख मैं खुद को रोक नहीं पाया..

ब्रहमपुत्र सम्मोहित करने वाला नद है. लगा किसी ने पिघला हुआ सोना पानी में उड़ेल दिया हो.


पहली बार जब मैंने तस्वीर लेने की कोशिश की तो कुछ ख़ास आया नहीं. क्लिक करने स पहले ही जाल पानी में. लेकिन दूसरी बार मई कामयाब रहा. पेश-ए-नज़र है.



Tuesday, March 23, 2010

गुस्ताख खुश है आज...

ब्लाग मे तकनीकी खराबी आई थी और जो मेरे दिल को बेहद दुखी कर रही थी वह तकनीकी खामी दूर कर ली गई है। अब मैं बेहद राहत महसूस कर रहा हूं। दुख की इस घड़ी में ब्लागर मित्रों ने मुझे जो सांत्वना दी उसका मैं कायल हूं। लेकिन जिन्हें व्यक्तिगत रुप से मुझे राय दी और तकनीकी सहायता भी उऩ्हें याद ना करना कुफ्र होगा।



निश्चित रुप से मैं कविता वाचक्नवी, बी एस पावला और डॉ अनुराग का आभारी रहूंगा जो मेरे विषाद के ॿणों में मेरे साथ वर्चुअल वर्ल्ड में खडे रहे।



तो दोस्तों, तैयार हो जाइए, गुस्ताख तैयार है फैर (फायर) करने के लिए, आप तैयार हो जाइए कमेंट के लिए..।

Saturday, March 20, 2010

ब्लॉग की तकनीकी खराबी से परेशान हूं...

काफी दिनों बाद ब्लॉग की दुनिया में लौट रहा हूं। कारण था कि मेरे ब्लॉग में तकनीकी दिक्कत आ गई थी, इस वजह से मेरे पुराने सारे गैजेट्स मेरा साथ छोड़ गए। इस सदमे से बाहर निकल नहीं पाया था कि मुझे राजस्थान जाना पड़ा।








राजस्तान का दौरा बेहद एकाकी था। अकेलापन..काट खाने को दौड़ता रहा। और उसके बाद ब्लॉग खोने का सदमा...लेकिन जिंदगी रुक जाने का नाम नहीं है। तो फिर से वापस आया हूं अपनों के पास..।






अगर फांट साइज़ बढाने और ब्लॉग की सेंटिग ठीक करने में कोई साहब तकनीकी सहायता कर पाएं..तो बहुत उपकार मानूंगा।