tag:blogger.com,1999:blog-7338682564613289699.post3417085222857830181..comments2024-02-21T06:21:43.492+05:30Comments on गुस्ताख़: बीस साल बादManjit Thakurhttp://www.blogger.com/profile/09765421125256479319noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7338682564613289699.post-23067654125047997172009-11-14T20:49:31.779+05:302009-11-14T20:49:31.779+05:30अभी अभी Times Now पर सचिन का इंटरव्यू देख रही थी औ...अभी अभी Times Now पर सचिन का इंटरव्यू देख रही थी और यहाँ यह पोस्ट दिख गयी....सचिन के बारे में कहीं भी कोई कुछ लिखे या कहें और हम एक पल को ना ठिठकें यह तो मुमकिन नहीं...मुझे भी पता नहीं सचिन और रहमान दोनों में हमेशा समानताएं दिखती हैं,अपने अपने क्षेत्र के जीनियस,सामान कद,घुंघराले बाल के अलावा जो चीज़ सबसे ज्यादा खींचती है वह है दोनों का ही humbe होना...और चहरे पर हमेशा सादी सी मुस्कान.<br />'क्रिकेट सम्राट' के जिक्र ने भी यादों की वादियों में धकेल दिया.मेरे लेखन की शुरुआत इसी पत्रिका से हुई थी.तब मैं दसवीं में थी,इसके सम्पादक ने लिखा था 'लड़कियों को क्रिकेट बिलकुल समझ नहीं आता और वे सिर्फ क्रिकेट प्लेयर्स के पीछे भागती हैं'.,मैंने विरोध में एक कठोर पत्र लिखा,अंतिम पेज पर संपादक की किसी ना किसी खिलाडी के साथ खिंची तस्वीर भी होती थी,उसकी भी बहुत खिल्ली उडाई.सहेलियों ने कहा,वो नहीं छपेगा.फिर मैंने दो पत्र,एक नम्र और एक ह्यूमरस वे में अलग अलग नामो से लिखे.संपादक ने तीनो पत्र एक अलग पेज पर छापे और माफ़ी भी मांगी,दूसरे अंक में एक परिचर्चा ही शुरू कर दी,"क्या लड़कियों का क्रिकेट से कोई वास्ता है"rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7338682564613289699.post-51641314369155460012009-11-14T12:54:49.837+05:302009-11-14T12:54:49.837+05:30यहाँ ठीक से नाय लिख सकब... तकनीक से अनजान अछी... ट...यहाँ ठीक से नाय लिख सकब... तकनीक से अनजान अछी... टूटल-फूटल जैसन भी छे... माफ़ करब... अहाँ क दोनों ब्लॉग नीक आछ... खूब लिखू... हमर शुभकामना.... फुर्सत मिले त बातो करब...सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7338682564613289699.post-73953242479043804522009-11-14T11:45:25.097+05:302009-11-14T11:45:25.097+05:30मै तो शुक्रिया अदा करता हूँ गावस्कर का ..जिन्होंने...मै तो शुक्रिया अदा करता हूँ गावस्कर का ..जिन्होंने एक नन्हे बालक को ख़त लिख कर उसे इंस्पायर किया.....लंच में सभी खिलाडियों से मिलाया ....नवजोत सिद्धू का के उन्हें गर्दन का दर्द हुआ ......वर्ना हमें ये बेमिसाल शख्स न मिलता .....<br />हम तो कोलेज के ज़माने से उसके तगडे पंखे है ..शारजाह में उसकी पारी के बाद हमने कॉलेज में एक मशाल जलूस निकाला था .लकीली अगले दिन सचिन का जन्म दिन था ..केंटिन के बाहर एक लामी चौडी इमोशनल पट्टी लगा दी थी .....इसके आलावा बटोर इन्सान ये शख्स इतने सालो से अपेक्षायो का बोझ इतनी विनम्रता से ढो रहा है..... ये सचिन की सबसे बड़ी खासियत है .हर भज़न,श्रीसंत जैसे लोगो को सीखना चाहिए ....ओर आम जीवन में भी लोगो को इतनी फेम इतने पैसे के बाद भी विनम्र होना कैसे इन्सान के कद को ओर बढाता हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.com