tag:blogger.com,1999:blog-7338682564613289699.post8943019703230412963..comments2024-02-21T06:21:43.492+05:30Comments on गुस्ताख़: सतभाया का शेषManjit Thakurhttp://www.blogger.com/profile/09765421125256479319noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7338682564613289699.post-65422289051022801102016-01-07T16:40:30.719+05:302016-01-07T16:40:30.719+05:30'अफ़सोस और दुःख' के सिवाय हम कुछ कह भी नहीं...'अफ़सोस और दुःख' के सिवाय हम कुछ कह भी नहीं सकते, विकास के कालचक्र में असमय ही समा रही मानवता की यह कहानी पढ़ कर... क्या फायदा इस तथाकथित आधुनिकता का जो विकास का हर पहलु अंततोगत्वा बर्बादी की गाथा में बदल जाता है...निरंजन कुमार मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/06129850919118724260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7338682564613289699.post-5632282175219285742016-01-07T16:39:42.706+05:302016-01-07T16:39:42.706+05:30'अफ़सोस और दुःख' के सिवाय हम कुछ कह भी नहीं...'अफ़सोस और दुःख' के सिवाय हम कुछ कह भी नहीं सकते, विकास के कालचक्र में असमय ही समा रही मानवता की यह कहानी पढ़ कर... क्या फायदा इस तथाकथित आधुनिकता का जो विकास का हर पहलु अंततोगत्वा बर्बादी की गाथा में बदल जाता है...निरंजन कुमार मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/06129850919118724260noreply@blogger.com