बोड़हनझट्टी- वह स्त्री जिसकी पिटाई झाड़ू से की जाए
लफुआ (लोफर),
फर्सटिया जाना
मोछ कबड़ा-क्लीन शेव्ड
थेथड़लौजी,
नरभसिया गए हैं (नरवस),
पैना (डंडा), इनारा (कुंआ), चरचकिया (फोर व्हीलर),
हँसोथना (समेटना), खिसियाना (गुस्साना), मेहरारू (बीवी),
मच्छरवा भमोर लेगा (मच्छर काट लेगा),
टंडेली (मटरगश्ती) नहीं करो,
ज्यादा बड़-बड़ करोगे तो मुँह पर बकोट (नोंच) लेंगे,
आँख में अंगुली हूर देंगे,
चकाचक, ससुर के नाती,
लोटा के पनिया,
पियासल (प्यासा), ठूँस अयले (खा लिए),
कौंची (क्या) कर रहा है,
जरलाहा,
कचिया-हाँसू- फसल काटने का हंसिया
कुच्छो नहीं (कुछ नहीं), अलबलैबे-अकबकाओगे-घबराओगे?
ज्यादा लबड़-लबड़ मत कर, गोरकी (गोरी लड़की),पतरकी (दुबली लड़की),
ऐथी, अमदूर (अमरूद), आमदी (आदमी),
सिंघारा (समोसा),
बोकरादी-बोखराती-सुकरात और बोखरात से व्युत्पन्न
भोरे-अन्हारे,-सुबह-सबेरे
ओसारा (बरामदा) बहार दो,
ढ़ूकें-धुसें?
आप केने (किधर) जा रहे हैं, कौलजवा नहीं जाईएगा,
अनठेकानी-अंदाजन, लंद-फंद दिस् दैट,
देखिए ढ़ेर अंग्रेज़ी मत झाड़िए,
लंद-फंद देवानंद, जो रे ससुर,
काहे इतना खिसिया रहे हैं मरदे, ठेकुआ-मीठा पकवान
निमकी-नमकीन भुतलाना (खो जाना) गए थे,
जुआईल- मेच्योर्ड
बलवा काहे नहीं कटवाते हैं
का हो जीला, ढ़िबड़ीया धुकधुका ता
थेथड़- ढीठ
मिज़ाज लहरा दिया,
टंच माल-अच्छी लड़की
भईवा, पाईपवा, तनी-मनी (थोड़ा-बुहत) दे दो, तरकारी,
इ नारंगी में कितना बीया (बीज) है,
अभरी गेंद ऐने (इधर) आया तो ओने (उधर) बीग(फेंक) देंगे,
बदमाशी करबे त नाली में गोत (डुबो) देबौ (दूंगा),
बड़ी भारी है-दिमाग में कुछो नहीं ढ़ूक रहा है- बहुत कठिन है समझ में नहीं आ रहा
बिस्कुटिया चाय में बोर-बोर (डुबो-डुबो) के खाओ जी, छुच्छे काहे खा रहे हो,
बहुत निम्मन (स्वादिष्ट) बनाया है, उँघी (नींद) लग रहा है, काम लटपटा गया है,
बूट-चना फुला दिए हैं,
बहिर बकाल,
भकचोंधर,़ नूनू, सत्तू घोर के पी लो,
लौंडा, अलुआ, सुतले रह गए, माटर साहब,
तखनिए से ई माथा खराब कैले है- तब से इसने दिमाग़ ख़राब किया हुआ है
एक्के फैट (फाइट-मुक्का) मारबौ कि खुने बोकर देबे- एक ही मुक्के में खून की उल्टी कर दोगे
ले बिलैया - इ का हुआ- हे दैव ये क्या दुआ?
सड़िया दो- सजा दो
रोटी में घी चपोड़ ले,
लूर (कला), मुड़ई (मूली)
उठा के बजाड़ (पटक) देंगे,
गोइठा-उपले, डेकची-देग
कुसियार (ईख),
रमतोरई (भिंडी),
फटफटिया (राजदूत), भात (चावल), नूआ (साड़ी), देखलुक (देखा),
दू थाप देंगे न तो मियाजे़ संट हो जाएगा- दो झापड़ में ही मिज़ाज बन जाएगा
बिस्कुट मेहरा(नमी ले लेना) गया है,
जादे अक्खटल न बतिया,
एकबैक (एकबारगी, अचानक) आ गया और हम धड़फड़ा (हड़बड़ में आ गए) गए,
फैमली (पत्नी), बगलवाली (वो),
हमरा हौं चाहीं,
भितरगुन्ना-इंट्रोवर्ट, अंतरमुखी
लतखोर, भुईयां (जमीन) में बैठ जाओ, मैया गे,
काहे दाँत चियार रहे हो-खीसे क्यों निपोर रहे हो?
गोर बहुत टटा रहा है-पैर में बुहत दर्द है
का हीत (हित), निंबुआ दू चार गो मिरची लटका ला चोटी में, भतार (पति),
फोडिंग द कापाड़ एंड भागिंग खेते-खेते,
मुहझौसा, गुलकोंच (ग्लूकोज़)।
मित्र एक साथ इतना डोस ना दिया करे.
ReplyDeleteहलके हलके चलिए.
उसमे ज्यादा मज़ा है.
बहुत अच्छे.
अदभुत संग्रह!
ReplyDeleteये रहा एक मेरी तरफ़ से- 'जा बचा के, जरकिन कटा के!' बिहार में बस का खलासी(क्लीनर) उस्ताद(ड्राइवर) को सावधान करते वक्त ये बात कहता है. यहाँ जरकिन का मतलब सड़क के गड्ढे से है.
गजब है जी. जारी रखिये.
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