सोच रहा हू एक किताब लिख डालूं॥ पत्रकारिता के पेशे में आने के बाद सोचना शुरु कर दिया है। हालांकि स्थिति ये है कि मेरे कई साथी सोचते नहीं पूछते हैं अर्थात् बाईट लेते हैं और अपना उपसंहार पेलते हैं। पहले अपने भविष्य के बारे में सोचता रहता था। वह सेक्योर नहीं हो पाया तो देश के भविष्य के बारे में सोचने लगा।
एक मित्र हैं। निखिल रंजन जी॥और सुशांत भाई..उन्होंने लगे हाथ सुझाव दिया। किताब लिख डालो। देश की व्यवस्था पर लिख डालो.. लोग लिख रहे हैं तो तुम क्यों नहीं लिखते। एक और मित्र हैं, स्वदेश जी.. उन्होंने टिप्पणी दी, लिख कर के समाज को क्या दे दोगे? कौन पढेगा, पढ भी लेगा तो क्या अमल मे लाएगा? अमल में लाना होता तो रामचरित मानस ही अमल मे ले आते। तुम्हारा लिखा कौन पढेगा।? क्यों पढेगा। मैं हतोत्साहित हो गया।
हतोत्साहित होना मेरा बचपन का स्वभाव है। कई बार हतोत्साहित हुआ हूं। परीक्षाएं अच्छी जाती रहीं, लेकिन परीक्षा परिणांम हतोत्साहित करने वाले रहे। अपने कद में मैं अमिताभ बच्चन की कद का होना चाहता था। ६ फुट २ इंच लंबाई का गैर-सरकारी मानक था उस वक्त॥लेकिन अफसोस हमारे अपने क़द ने हमें हतोत्साहित किया। चेहरे-मौहरे से हम कम से कम शशि कपूर होना चाहते थे, लेकिन हमारे थोबड़े ने हमें हतोत्साहित कर दिया।
रिश्तदारों ने रिश्तों में हतोत्साहित किया, कॉलेज में लड़कियों ने हतोत्साहित किया। भाभी की बहन ने हमें देखकर कभी नहीं गाया कि दीदी तेरा देवर दीवाना... हम कायदे से बहुत हतोत्साहित महसूस कर रहे हैं। देशकी दशा ने, महंगाई ने, बिहार और दिल्ली में बिहारियों की स्थिति उनकी मानसिकता से हतोत्साहित हो रहा हूं।
अभी ब्रेकिंग न्यूज़ है कि सांसदों की खरीद-फरोख्त लोकसभा तक पहुंच गया है। सांसद नोटों की गड्डियों को लेकर लोकसभी में प्रदर्शन कर रहें हैं। एक आम आदमी की हैसियत से हतोत्साहित हूं। क्या कोई मेरे हतोत्साहित होने पर ध्यान देगा? भिंडी ७ रुपये पाव बिक रहा है॥ सांसद ९ करोड़ इच के हिसाब से बिकाने लगे हैं,,कोई मेरी भी कीमत बताए। ताकि दिल्ली में एक फ्लैट लेने का सपना साकार हो सके। क्योंकि दिल्ली में प्रॉपर्टी की कीमत को लेकर भी मैं काफी हतोत्साहित हूं।
achha likhte hain kitaab likh hi daaliye.
ReplyDeleteकाहे हतोत्साहित हो रहे हैं...किताब लिखिये न!!मन लग जायेगा.
ReplyDeleteआज देश का हर नागरिक यही सोचरहा है। हर नागरिक हतोत्साहित है। आप इस विष से अमृत निकालिए। कुछ अच्छा सा लिखें।
ReplyDeletehehehe aacha likha lulu ji ki style mai
ReplyDeleteab maine galat likha i mean to say lalu ji ki style mai
ReplyDeleteयार मुझे तो कुछ फुरा नहीं रहा है कि क्या लिखूं...वैसे बात तो तुम्रारी पौने सोलह आने सही है।
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