एक सैकुलर कहे जाने वाले न्यूज़ चैनल ने अपना मनोरंजन का चैनल शुरु किया। उत्साही लोगों को लगा, कि चलो एक गंभीर चैनल वाले मनोरंजन भी दिखैाएंगे तो कुछ गंभीर होगा। डिस्कवरी और नैट-जियो की तरह के वृत्त चित्र देखने को मिलेंगे। लेकिन ये क्या॥ चैनल ने अपनी फ्लैग-शिप कार्यक्रम रामायण को बनाया।
यहां तक तो ठीक था लेकिन बताया गया कि नई पीढी को रामायण की जानकारी देने के वास्ते और बुजुर्गों के मन से अरुण गोविल की छवि मिटाने की गरज से रामायण के रीमेक की रचना की जा रही है।लेकिन परदे पर आते ही आशाएं धूल-झूसरित हुईँ।
राम और हनुमान एक बार मिलते हैं तो यूकेलिप्टस के जंगल मं, सीधे-सीधे पतले -पतले पेड़ों के बीच ...कतार में लगे हुए पेड़। जनता गधी है क्या? सबको पता है कि यूकेलिप्टस ऑस्ट्रेलिया का पेड़ है और प्राचीन भारत में नहीं-ही पाया जाता था। कुल मिला कर प्रॉडक्शन क्वॉलिटी गठिया है, रामायण देखकर निराशा होती है। अब पता चला है कि शनिदेव पर भी एक सीरियल शुरु हो रहा है। ये क्या सचमुच एनडीटीवी है? क्या हो गया प्रणय रॉय को..?
हैरान हूं।
हैरान हूं।
ये एक मूर्खतापूर्ण सीरियल है। पहले बन चुके सोप से भी घटिया।
ReplyDeleteअंतिम सवाल का इस अर्थ वाले ज़माने में कोई अर्थ है ? आप उम्मीद क्यों रखते हैं ?
सच कह रहे है ......अब लगता है ये चैनल भी भाग दौड़ में शामिल हो रहा है......दुःख होता है.
ReplyDeleteOh ..............really that was an eye-opener for me who doesn't have enuf knowledge of Cinema and choreography ,but the way they have shown Ram and Laxman ..they are more like Models rather then any Bhagwaan.
ReplyDeleteNow they will say ----we want Ram to look like a common man from society ---even thats not true
Oh ..............really that was an eye-opener for me who doesn't have enuf knowledge of Cinema and choreography ,but the way they have shown Ram and Laxman ..they are more like Models rather then any Bhagwaan.
ReplyDeleteNow they will say ----we want Ram to look like a common man from society ---even thats not true
यदि इस सीरियल को भी पहले वाली रामायण जैसा ही बनाया जाता, तो इसकी अहमियत क्या रह जाती? कौन देखता इसे? पैसे कैसे कमाये जाते? आजकल जिस काम में पैसा है, वही करते हैं लोग, चाहे वे टीवी प्रोड्यूसर हों या राजनेता!
ReplyDeleteशुकमेने नही देखा,वर्ना खम्खा मे खुन जलता
ReplyDeleteसौ फीसदी सही फरमाया आपने
ReplyDeleteबचे!!! हमारे यहाँ एन डी टी वी नहीं आता.
ReplyDeleteसही कहा इस रामायण से बढिया तुम्हारा वाला आधे घंटे का स्पेशल रंग तरंग है ....
ReplyDeletekumar alok ji ye coomment tha ya comliment??
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