अमिताभ बच्चन का जो एंग्री यंगमैन का किरदार था, वह एक क़िस्म की सामाजिक नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ नौजवानों का जवाब था। यह सब कुछ लगभग 20 साल तक चला।
1970 की शुरुआत से लेकर 1990 तक अमिताभ एक एंग्री यंगमैन का प्रतिरूप बन गए थे, जो अपन बाग़ी तेवरो से नौजवान भारत की आवाज़ था। लेकिन अमिताभ बच्चन के बाद 90 के दशक में फिर से भारत बदला, नई नीतियां आ गईं और विकास की ओर जाने के रास्ते बदले, तो बाग़ी तेवरों के ग़ुस्से में दर्शकों के लिए जो अपील थी, वो ख़त्म होने लगी।
एक क़िस्म का जो रेगुलराइजेशन, वैश्वीकरण होने लगा, रोज़गार के नए मौके आए, तो उसकी वजह से हिंदुस्तान में जो हो रहा था उसे दिखाने के लिए सिनेमा में नए चेहरों की ज़रुरत पड़ी। तो फ़िल्मों में जो तीन खा़न हैं शाह रुख़, सलमान और आमिर ख़ान का आना शुरु हो गया।
एंग्री यंगमैन के अमिताभ के चरित्र को शाहरुख ख़ान ने थाम लिया। वे आज के वैश्विक भारतीय के चरित्र को जीते हैं, हैं जो कि हर स्थिति में बेहतर है। इसे नौकरी के लिए कतार में लगना नहीं होता, उसे भूख की चिंता नहीं है वह एनआरआई है, और एनआरआआई के मनोरंजन का सरंजाम जुटाता है।
वो विश्व में कहीं भी काम कर सकता है, उस क़िस्म का जो नया आशावादी, सकारात्मक चरित्र जो है और डेविल में केयर एटीट्यूड भी है। पर वो साथ ही साथ बहुत होशियार भी है। 90 के दशक से शुरु होकर यह अभी तक चले जा रहा है।
तीनों ख़ानो में सलमान अगली कतार के दर्शकों के हीरो है तो शाह रुख़ और आमिर हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ परोस रहे हैं। उन में आमिर का अंदाज़ कुछ ज़्यादा बेहतर है।
शाह रुख़ खान के पीछे युवा वर्ग इस तरह दीवाना है जैसे कभी राजेश खन्ना और देवांनंद के करिश्मे से रोमांचित था।
आमिर में शाह रुख़ जैसी अपील तो नही है लेकिन वह अदाकारी में शाह रुख़ से कई क़दम आगे हैं। शाह रुख़ तड़क-भड़क में आगे हैं लेकिन अपनी फ़िल्मों में मैथड एक्टिंग के ज़रिए आमिर, शाह रुख़ के जादू पर काबू पा लेते हैं।
लगान हो या तारे ज़मीं पर, आमिर ने अपनी काबिलियत साबित की है। एक तरह से आमिर मिडिल सिनेमा में मील के पत्थर है तो शाहरुख सुपर सितारे की परंपरा के वाहक। और यही आज के युवा का मूलमंत्र भी है। इधर, शाह रुख़ के आमिताभ के हर जूते में पैर देने की सनक सवार है। अमिताभ की शहंशाह की उपाधि के बरअक्स वह बादशाह कहलाना पसंद करते हैं। (ये बात और है कि शहंशाह और बादशाह दोनों ही, निहायत ही वाहियात और सुपर फ़्लॉप फ़िल्मे ठहरी हैं) ।
कौन बनेगा करोड़पति से लेकर डॉन और ऐसे ही कारनामे शाह रुख कर रहे हैं, जिससे वह खुद को अमिताभ या उससे ऊपर कहलना पसंद करते हैं। यह उनकी निजी आकांक्षा हो सकती है, लेकिन पहले भी हमने बात की थी कि अभिनेता का निजी भी सार्वजनिक होता है, तो इस तरह से जनता में कोई खास बढिया संदेश तो नहीं जा रहा।
मंजीत ठाकुर
1970 की शुरुआत से लेकर 1990 तक अमिताभ एक एंग्री यंगमैन का प्रतिरूप बन गए थे, जो अपन बाग़ी तेवरो से नौजवान भारत की आवाज़ था। लेकिन अमिताभ बच्चन के बाद 90 के दशक में फिर से भारत बदला, नई नीतियां आ गईं और विकास की ओर जाने के रास्ते बदले, तो बाग़ी तेवरों के ग़ुस्से में दर्शकों के लिए जो अपील थी, वो ख़त्म होने लगी।
एक क़िस्म का जो रेगुलराइजेशन, वैश्वीकरण होने लगा, रोज़गार के नए मौके आए, तो उसकी वजह से हिंदुस्तान में जो हो रहा था उसे दिखाने के लिए सिनेमा में नए चेहरों की ज़रुरत पड़ी। तो फ़िल्मों में जो तीन खा़न हैं शाह रुख़, सलमान और आमिर ख़ान का आना शुरु हो गया।
एंग्री यंगमैन के अमिताभ के चरित्र को शाहरुख ख़ान ने थाम लिया। वे आज के वैश्विक भारतीय के चरित्र को जीते हैं, हैं जो कि हर स्थिति में बेहतर है। इसे नौकरी के लिए कतार में लगना नहीं होता, उसे भूख की चिंता नहीं है वह एनआरआई है, और एनआरआआई के मनोरंजन का सरंजाम जुटाता है।
वो विश्व में कहीं भी काम कर सकता है, उस क़िस्म का जो नया आशावादी, सकारात्मक चरित्र जो है और डेविल में केयर एटीट्यूड भी है। पर वो साथ ही साथ बहुत होशियार भी है। 90 के दशक से शुरु होकर यह अभी तक चले जा रहा है।
तीनों ख़ानो में सलमान अगली कतार के दर्शकों के हीरो है तो शाह रुख़ और आमिर हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ परोस रहे हैं। उन में आमिर का अंदाज़ कुछ ज़्यादा बेहतर है।
शाह रुख़ खान के पीछे युवा वर्ग इस तरह दीवाना है जैसे कभी राजेश खन्ना और देवांनंद के करिश्मे से रोमांचित था।
आमिर में शाह रुख़ जैसी अपील तो नही है लेकिन वह अदाकारी में शाह रुख़ से कई क़दम आगे हैं। शाह रुख़ तड़क-भड़क में आगे हैं लेकिन अपनी फ़िल्मों में मैथड एक्टिंग के ज़रिए आमिर, शाह रुख़ के जादू पर काबू पा लेते हैं।
लगान हो या तारे ज़मीं पर, आमिर ने अपनी काबिलियत साबित की है। एक तरह से आमिर मिडिल सिनेमा में मील के पत्थर है तो शाहरुख सुपर सितारे की परंपरा के वाहक। और यही आज के युवा का मूलमंत्र भी है। इधर, शाह रुख़ के आमिताभ के हर जूते में पैर देने की सनक सवार है। अमिताभ की शहंशाह की उपाधि के बरअक्स वह बादशाह कहलाना पसंद करते हैं। (ये बात और है कि शहंशाह और बादशाह दोनों ही, निहायत ही वाहियात और सुपर फ़्लॉप फ़िल्मे ठहरी हैं) ।
कौन बनेगा करोड़पति से लेकर डॉन और ऐसे ही कारनामे शाह रुख कर रहे हैं, जिससे वह खुद को अमिताभ या उससे ऊपर कहलना पसंद करते हैं। यह उनकी निजी आकांक्षा हो सकती है, लेकिन पहले भी हमने बात की थी कि अभिनेता का निजी भी सार्वजनिक होता है, तो इस तरह से जनता में कोई खास बढिया संदेश तो नहीं जा रहा।
मंजीत ठाकुर
It is ridiculous of Shahrukh to get himself compared with Amitabh .
ReplyDeleteशाहरुख़ को सिर्फ स्वदेश ओर चक दे के लिए याद रखा जाएगा ....ओर शायद उन्हें भी अपनी इन्ही फिल्मो के लिए गर्व होगा ...कुछ कुछ "दिल से " ओर "माया मेमसाहब "को भी क्रेडिट दे सकते है .उन्हें अब अच्छे ओर नए निर्देशकों साथ काम करना चाहिए ...वर्ना अमिताभ की तरह वे भी गंगाजमुना सरस्वती ,तूफ़ान ,जैसी फूहड़ फिल्मे दोस्ती के नाम पे कर देंगे पर हिंदी फिल्मो का भला नहीं कर पायेगे
ReplyDeleteदेखे वे विशाल भारद्वाज ,इम्तियाज़ अली ...अनुराग कश्यप .या अनुराग बासु ...जैसे लोगो के साथ कब काम करते है
मुझे तो तुलना करने योग्य बात लगती ही नहीं.
ReplyDeletehello..sir...aapke blog par ftii ki post dekhi...kaafi time se ftii ke baare me padhna chah rahi thi.padh kar achchga laga.uske baare me or jaankari chahti hun...!!
ReplyDeletewaiting 4 ur reply...!!
बढ़िया तुलनात्मक अध्ययन है सितारों का। शाहरुख़ आज भले ही पहले पायदान पर काबिज़ हों, लेकिन मेरे ख़याल से उनके पास अमिताभ वाली स्क्रीन प्रज़ेंस नहीं है। और शायद इसी के चलते अमिताभ से तुलना में वे मीलों पीछे छूटते नज़र आते हैं।
ReplyDeleteanonymous ji, reply kaise karu? apka naam or mail id to janta nahi kya jankari chahiye ye to bataiye...
ReplyDeletesrk aur amitabh ka apna aura hai.. apna andaz hai.. aur apni pahuch hai..
ReplyDeleteaisey me ye keh dena ki wo unkey jootey me pair rakh rahey hai .. sahi nahi hoga...
agar filmo se tulana ki jaaye to dono ne he landmark films ki hai.. aur super flops bhi...
hi.sir....actully main ftii ke entrance exam ke baare me janna chahti hun...iske bare me kahi bi theek se koi information available nahi hai..hw to prepare for it...m interested in direction...n i want more information regarding to this course...cn u help...!!
ReplyDeletemy e mail id is
neha.nautiyal11@gmail.com