Thursday, September 17, 2009

बुत हमको कहें काफ़िर....विनोद दुआ बनाम डीडी

दूरदर्शन (टीवी के लिए हिंदी शब्द) के पचास साल पूरे क्या हो गए.. सरकारी चैनल डीडी के आलोचकों का मानों मुंह खुल गया। वैसे सिला ही कब था? १५ सितंबर के आठ बजे विनोद दुआ लाइव में विनोद दुआ जी ग्यान-गंगा बहाने बैठे। उनके श्रीमुख से शब्द निर्झर की तरह झहरते हैं। लोग मंत्रमुग्ध होकर सुनते हैं। लेकिन बहुधा वह इसका गलत इस्तेमाल करने लग जाते हैँ।

पहले तो दूरदर्शन के पचास साल जुमले पर उन्होंने आपत्ति दर्ज की। ठीक है...मान लिया। डीडी में दस हजार गलतियां हैं। चलो ग्यारह हजार होगीं। किस सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार नहीं होता। लेकिन सिर्फ इसलिए कि सरकारी चैनल बेहूदेपन की हद तक नकारा हैं, आपके साफ-सुथरे और दूध से धुले होने का सार्वभौमिक सत्य स्थापित नहीं हो जाता।

तो जनाब, विनोद दुआ ने डीडी की उम्र ३५ साल कूती। क्योंकि पिछले १५ साल से निजी चैनल मार्केट में उतरे ठहरे। विनोद दुआ जी से कोई पूछे कि आपने अपना करिअर शुरु कहां से किया था? और वह दूरदर्शन छोड़ कर निजी चैनलों में क्यों कूदे? और जब कूदे तो डीडी से क्या ले गए थे? और क्या इसी बहाने वह अपना पिछला हिसाब चुकता तो नहीं कर रहे? और डीडी को ऑटोक्रेटिक ठहराने वाले अपने गिरेबां में झांकेगे क्या?

बहरहाल, सीना तान कर और मूंछों पर ताव देते हुए मैं डीडी का सगर्व दर्शक इसे इसकी पूरी गलतियों के साथ अपनाता हूं। विनोद दुआ के एनडीटीवी की दुकानदारी पूरे सस्ते होने और सड़कछाप हो जाने पर भी नंबर एक नहीं पहुंच पाई है, शायद १५ सितंबर का जेहादी तेवर उसी की परिणति है।

वैसे कूड़ा परोसने में एनडीटीवी भी पीछे नहीं। नेट के झरोखे से, और टीवी के धारावाहिकों औक कॉमिडी शोज़ के अलग से विशेष उनने दिखाने शुरु कर दिए हैं। और हां, १६ सितंबर की शाम विनोद जी का एक और कारनामा दिखा। वैसे एंकर थे तो जिम्मेदारी उन्हीं की बनती है। रवीश कुमार की फरमाइश पर विनोद दुआ लाइव में उनने फिल्म "उसने कहा था" का एक गीत दिखाया। यहां तक सबकुछ स्वाभाविक था..लेकिन हद तो तब हुई जब सुपर में रवीश कुमार की फरमाइश चलने लगा और एक तस्वीर भी उनकी चस्पां हो गई स्क्रीन पर।

इसी लिए तो हम ग़ुलाम अली के गले की आवाज़ में सुनते हैं .......
"बुत हमको कहें काफ़िर, अल्लाह की मर्जी है.." ...... हैरानी नहीं होती।

दुआ साहब हम मानते हैं कि रवीश आपके आउटपुट हैड हैं, लेकिन,......आप तो डीडी से बेहतर हैं ना?

6 comments:

  1. arre sir itni bhi sakhti acchi nahi hoti hai waise sach to yehi hai




    shanti deep verma

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  2. sahi kaha...insaan ko kabhi apni jadein nahi bhoolni chahiye... akhir yeh pehchan dua saab ko dd ne hi de hai...

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  3. baat patey ki hai,... lekin DD par sarkari honey ka jo thappa laga hai.. wo shayad uska drawback hai...

    waisey sansanikhez khabaro se door.. DD me breaking news ki hodh abhi tak dekhney ko nahi mili hai...


    agal blog.. desh me badhte bloggers par likhiye gustakh ji... farmayeesh hai..

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  4. सच कहा दोस्त, कम से कम इन्सान को बड़ा आदमी बनने के बाद अपने घर-आँगन को गलियाना तो नहीं चाहिए... आखिर वहीँ इन्सान चलना सीखता है और फिर बड़े होने की कुव्वत हासिल करता है. अगर आप बड़े हैं तो आपसे इतनी तो उम्मीद की ही जा सकती है कि आप उन चीजों का कभी मजाक नहीं उडायेंगे जिन्होंने बेकदरी के दिनों में आपकी कदर की थी.

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  5. बिल्कुल सही लिखा है आपने। दूरदर्शन को गालियां देने से पहले विनोद जी को NDTV भी कुछ घंटे देखना चाहिए। आज की तारीख में वो सबसे बेहतरीन Newscaster हैं और सबसे अनुभवी भी। लेकिन कभी-कभी वो आत्ममुग्धता की सभी हदें तोड़ते से लगते हैं। और लगता है यही आत्ममुग्धता उन्हें अपने चैनल को लेकर भी है।

    One more thing. Why Yati always make so harsh comments?

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  6. Thanks! cam se cam 1 ne to sahi socha. D.D. kaisha bhi sahi lekin aaj tak na usne kisi kism ki aslilta failayi na kisi ki bhawnao ko thesh pahuchayi!!!!!!!!!!!

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