Monday, February 15, 2010

मेरी पसंदीदा फिल्में- ब्रेदलेस




ब्रेदलेस, /फ्रांस,/ १९५९/ श्वेत-श्याम,/


अवधिः ८९ मिनट
निर्देशकः -जीन-लॉक godard


screen प्लेः फ्रांकुआ त्रुफ़ो, गोदार्द


सिनेमैटोग्रफ़ीः रोओल कोटार्ड


संपादनः सिसले डगलस


संगीतः मार्शल सोलल



ये कहानी एक युवा गैंगस्टर की है। संभवतः माफिया को उकेरने वाली यह पहली फिल्म है, जिसने एक खास स्टाइल को लोकप्रिय कराया। युवा गैंगस्टर मिशेल (जीन पॉल बेलमोंडो) एक कार चुरा कर पैरिस लौट रहा होता है, रास्ते में वह आदतन एक पुलिस वाले का क़त्ल कर देता है।



पुलिस मिशेल के पीछे पड़ जाती है। पैरिस में इधर-उधर धक्का खा रहे मिशेल की जेब में अधन्नी तक नहीं। वह अपनी अमेरिकी कन्या-मित्र पैट्रिशिया से इटली चलने का इसरार करता है। लेकिन जैसा कि हमारे कई दूसरे मिथकीय चरित्रों के साथ हुआ है उसकी प्रेमिका ही उससे धोखा करती है।



गोदार्द की पहली ही फीचर फिल्म है, जिसमें उन्होंने कड़वाहटों को और आपसी संबंधों को उपहासपूर्ण तरीके से उकेरा है। लेकिन सिनेमाई भाषा जितनी हो सकती है, उतनी आलंकारिक है। इस फिल्म को फ्रांस में नई धारा (फ्रेंच न्यू वेव) का अगुआ माना जाता है।



यह फिल्म फ्रांकुआ त्रुफो और चाब्रो के आइडिए पर आधारित है, इसके संपादन में भी तकनीकी सहायता त्रुफो ने दी थी।



तकनीक की बात करें तो फिल्म को गौदार्द ने एक कोलाज की तरह पेश किया है। इसमें समाज में स्थापित और चल रही परंपराओं के अक्स हैं, और संपादन की तकनीक में फिल्म में कई जम्प कट्स देखने को मिलते हैं। डिस्कंट्यूनिटी जिसे पहले कोई बेहतर निगाह से नहीं देखा जाता था।



चरित्रों का उलझाऊ व्यवहार, त्रासदी औक कॉमिडी की मिलावट, एक ही साथ यथार्थवाद और मेलोड्रामा दोनों की चाशनी...यह ऐसी शुरुआत थी जिसकी नकल या कहे कि प्रेरणा फिल्मकार आजतक करते-लेते रहे हैं।



नायक का सिगार पीने के दौरान खास तरीके सा होठों पर हाथ फेरना, एक स्टाइल स्टेटमेंट बन गया। दूसरी तरफ ट्रैक शॉट लेने के लिए व्हील चेअर का इस्तेमाल एक नई चीज़ थी।



कही मिले तो यह फिल्म ज़रुर देखे।

4 comments:

  1. लगभग १०-१२ साल पहले यह फिल्म देखी थी लेकिन अब कुछ खास याद नहीं. उसी दौरान देखी हुई जाक ताती, शाब्राल, और खास तौर पर लुइ बुनुएल की फ़िल्में याद हैं. क्या तुमने बेमिसाल फ्रेंच अदाकार ज़रार फिलीप की फ़िल्में देखी हैं? इस आदमी से मुतासिर न हो पाना बहुत मुश्किल है.

    अब तो फ़िल्में देखना बहुत कम हो गया है. सोच रहा हूँ कि अनलिमिटेड ब्रोड्बैंड लेकर टौरेंट से फ़िल्में डाउनलोड करना शुरू करूं लेकिन अब तो देखने के लिए भी वक़्त निकाल पाना खासा मुश्किल हो गया है.

    सबसे आसान तो है होलीवुड की ब्लौक्बस्टर फ़िल्में देखना लेकिन मेरे दिल को सुकून तो तथाकथित स्याह और बोझिल फ़िल्में ही देती हैं.

    तुम तो खांटी बुद्धिजीवी हो यार! कुछ हँसते-बोलते भी हो या नहीं!?

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  2. हमने नहीं देखी यह फिल्म..लेकिन अब नाम याद रहेगा और देखेंगे किसी दिन!

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  3. ओह....चलो कई दीवाने इस दुनिया में है .फिल्मो के .....अभी कुछ दिन पहले मिस्टी रिवर देखी थी ..ईस्ट वुड की डायरेक्ट की हुई ....बंध सा गया था ..... ओर इस फिल्म की सीडी मेरे पास है.दिल्ली के अंसल प्लाज़ा से किसी स्कीम के तहत हाथ आई थी ......गेंग पर बेस इ ओर मूवी याद आती है निओलेस केज की शुरूआती मूवी जिसमे वो इ सार्वजानिक टोइलेट में हेरोइन की माँ के साथ संबंध बनाता है ....ढेरो मूवी है .पर मुझे मोटर साइलिस्ट की डायरी भी पसंद है .कभी ईरानी मूवी देखी है ?

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  4. बहुत गज़ब की फिल्म है। इस फिल्म के बारे में एक मुहावरा चलता है: there was before breathless and there is after breathless.
    आपको गोदार तथा इन्ही कलाकारों की एक और फिल्म, रिस्तों को समझती या उलझाती, देखनी चाहिये: a woman is a woman.

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