गुस्ताख़
मेरे अदब से सारे फरिश्ते सहम गए, ये कैसी वारदात मेरी, शायरी में है...
Friday, December 31, 2010
नव वर्ष की मंगलकामनाएं, बकौल पंत जी
नए साल की कविता
वर्ष नव,
हर्ष नव
जीवन उत्कर्ष नव
नव उमंग
नव तरंग
जीवन का नव प्रसंग
नवल चाह
नवल राह
जीवन का नव प्रवाह
गीत नवल
प्रीति नवल
जीवन की रीति नवल
जीवन की नीति नवल
जीवन की जीत नवल
---पंत
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment