Sunday, June 10, 2012

मोर दैन एनिथिंग इन द वर्ल्ड

मेरी पसंदीदा फिल्में: मोर दैन एनिथिंग इन द वर्ल्ड
( Más que a nada en el mundo )

भाषाः स्पेनिश

स स्पेनिश फिल्म को देखें और ईरान की द पोएट चाइल्ड , कहीं न कहीं दोनों फिल्मों की अंतर्गाथा एक ही है। दोनों ही फिल्म सिनेमाई पटल पर कहानी बच्चे की नज़र से विस्तार देती है। आंद्रे लियॉन बेकर और ज़ेवियर सोलर के निर्देशन में बनी मैक्सिको की इस फिल्म में एक साथ दो कहानियां असंबद्ध तरीके से शुरु होती है, लेकिन ताज्जुब की बात ये कि दोनों कहानियां कहीं भी आपस में मेल नहीं खातीं, सिवाय उस जगह के जब बच्ची आखिरी दृश्य में वैंपायर के नाम से जाने जाने वाले बूढ़े के फ्लैट में दाखिल होती है।

फिल्म में मां और बेटी के आपसी संबंधों की कहानी है। मां की अपनी दुनिया है। वह अपने पति का घर छोड़ आई है, और उम्र के उस दौर में है, जब शरीर की ज़रूरतें भी होती हैं। मर्द का सहारा भी चाहिए होता है।

उस महिला के कई मित्र आते हैं रात को ठहरते हैं। बच्ची घर में सहमी-सहमी रहती है। उसे डर है कि उसके पड़ोस के फ्लैट में एक रक्तपिपासु वैंपायर रहता है।सहमी हुई लड़की मां का साथ चाहती है, लेकिन महिला अपने पुरुष मित्रों के साथ वक्त गुजारना चाहती है।

वयस्क स्त्री की दुनिया में ऐसी ढेर सारी चीज़े हैं, जो बच्ची के संसार से विलग है, लेकिन साथ ही बच्ची की दुनिया में ऐसी बातें हैं जिसमें किसी बड़े का साथ चाहिए होता है।

बच्ची समझती है कि रात को मां पर वैंपायर का साया पड़ जाता है। उसके डर को एक नया आयाम मिलता है। महिला के मित्र धीरे-धीरे साथ छो़ड़ते जाते हैं। औरत फिर अकेली है, लेकिन उन मुश्किल हालात में बच्ची को मां का सहारा बनना पड़ता है। दोनों एक दूसरे के लिए जीते हैं।

उधर पड़ोस वाले बूढे की मौत हो जाती है, बच्ची उसे वैंपायर समझ कर उसके सीने पर क्रास लगाने जाती है। तभी वह पाती है कि बूढा़ अब नहीं रहा। फिल्म एक साथ ही मां-बेटी के रिश्तों के साथ छीजते संबंधों और उसके बुरे (?) प्रभावों की पड़ताल करता चलता है। एक अकेली औरत के लिए समाज में हर मर्द एक खून चूसने वाले वैंपायर की तरह ही होता है। साथ ही जिन लोगों को खल-चरित्र माना जाता है, वाकई वे वैसे होते नहीं हैं।

निर्देशक की यह स्थापना सिद्ध तो हो जाती है, लेकिन फिल्म में उस तत्व की कमी है, जो बच्चो से जुड़े मसलों को डील करते वक्त ईरानी फिल्मों मे देखने को मिलता है।

लेकिन इस फिल्म का लीक से हटकर होना, इसके प्रकाश और छाया का कमाल और गजब की एडिटिंग की वजह से मुझे ये फिल्म बहुत कायदे की लगी।

मेरी पसंदीदा फिल्मों में स्थानः पचासवां

2 comments:

  1. हमारी भी लिस्ट में आ गयी है यह फिल्म..

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  2. कहानी के साथ इसकी समीक्षा भी फेवरेट लिस्ट में आ गई है.....

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