Thursday, November 15, 2012

बाल ठाकरे पर कविता

बाल ठाकरे के निधन की खबरें आ रही हैं, और बहुत कुछ मन में आ रहा है, वो बाद में सविस्तार लिखूंगा, लेकिन पहले याद आ रही है बाबा नागार्जुन की यह कविताः

बाल ठाकरे ! बाल ठाकरे !

कैसे फासिस्‍टी प्रभुओं की --
गला रहा है दाल ठाकरे !

अबे संभल जा, वो आ पहुंचा बाल ठाकरे !

सबने हां की, कौन ना करे !
छिप जा, मत तू उधर ताक रे !

शिव-सेना की वर्दी डाटे जमा रहा लय-ताल ठाकरे !
सभी डर गये, बजा रहा है गाल ठाकरे !
गूंज रही सह्यद्रि घाटियां, मचा रहा भूचाल ठाकरे !
मन ही मन कहते राजा जी; जिये भला सौ साल ठाकरे !
चुप है कवि, डरता है शायद, खींच नहीं ले खाल ठाकरे !
कौन नहीं फंसता है, देखें, बिछा चुका है जाल ठाकरे !
बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे !

बर्बरता की ढाल ठाकरे !
प्रजातंत्र के काल ठाकरे !
धन-पिशाच के इंगित पाकर ऊंचा करता भाल ठाकरे !
चला पूछने मुसोलिनी से अपने दिल का हाल ठाकरे !
बाल ठाकरे ! बाल ठाकरे ! बाल ठाकरे ! बाल ठाकरे

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