8 नवंबर को काले धन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के वास्ते जब केन्द्र सरकार ने 500 और एक हज़ार रूपये के नोट को चलन से बाहर करने का फ़ैसला किया तो दो तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं, एक तो वह, जो नोटबंदी के समर्थन में थीं। दूसरी प्रतिक्रियाः आलोचनात्मक कम और निंदात्मक ज्यादा थी। इसमें सियासी तबके के अलावा एक धड़ा ऐसा भी था जो मीडिया का हिस्सा है और प्रधानमंत्री मोदी के हर काम में नुक्स निकालने के लिए छिद्रान्वेषण की हद तक जाता है।
इसी मीडिया ने कहा कि गांवों में किसानो को बहुत दिक्कत होगी और इसका असर खेती पर भी बहुत होगा।
बहरहाल, मैंने पंजाब का दौरा किया था क्योंकि धनी और बड़े किसानों के इस सूबे में खेती पर असर देखना ज्यादा दिलचस्प र महत्वपूर्ण था क्योंकि यही राज्य हमारे अनाज भंडार में अहम तरीके से इजाफ़ा भी करता है। उस दौरान जब नोटबंदी के असर को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हुए अरण्य-रोदन किया जा रहा था, पंजाब में तकरीबन 90 फीसद किसानों ने रबी की बुआई कर ली थी।
जब ज़रा इन आंकड़ो पर गौर फरमाइएः मौजूदा रबी सीज़न में देश में गेहूं का रकबा पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले आठ फीसद बढ़ गया है। यानी इस बार रबी की बुआई में गेहूं का हिस्सा 292.39 लाख हेक्टेयर है। जबकि दलहन का रकबा 13 फीसद बढ़कर 148.11 लाख हेक्टेयेर हो गया है।
इस बढ़त की एक वजह गेहूं और दलहन के समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी को भी माना जा सकता है कि इसी की वजह से इस रबके को बढ़ाने में मदद मिली है। वैसे, धान और मोटे अनाज पिछले साल की तुलना में अभी पीछे ही हैं।
केन्द्र सरकार के मुताबिक, राज्यों से मिली प्राथमिक जानकारी के अनुसार, देश में 30 दिसंबर तक कुल 582.87 लाख हेक्टेयर रबी की फसल की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 545.46 लाख हैक्टेयर में रबी की फसलें बोई गई थीं।
इस समीक्षा अवधि के दौरान देश में तिलहन का रकबा भी बढ़ा है। पिछेल साल यह 71.83 लाख हेक्टेयर था जबकि इस दफा 79.48 लाख हेक्टेयर हो गया है।
रबी सीजन में सबसे ज्यादा पैदा होने वाले दलहन चने की बात करें तो 28 दिसंबर तक देशभर में 94.92 लाख हेक्टेयर में बुआई दर्ज की गई है जो इस अवधि तक अब तक की सबसे ज्यादा बुआई है, पिछले साल इस दौरान देशभर में 82.88 लाख हेक्टेयर में चने की खेती हुई थी। इस दौरान, देश में औसतन 85.03 लाख हेक्टेयर में चने की बुआई होती है और पूरे सीजन के दौरान करीब 88.37 लाख हेक्टेयर में फसल लगती है।
चने के बाद दूसरे नंबर पर ज्यादा पैदा होने वाले दलहन मसूर की बुआई पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी है, आंकड़ों के मुताबिक, 28 दिसंबर तक देशभर में 16.07 लाख हेक्टेयर में मसूर की खेती दर्ज की गई है जो अब तक किसी भी साल हुई बुआई में सबसे अधिक है। पिछले साल इस दौरान देश में 13.51 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। वैसे, औसतन पूरे सीजन के दौरान 14.79 लाख हेक्टेयर में मसूर की बुआई होती है।
कुल मिलाकर कहा जाए, नोटबंदी का असर कम से कम रबी की बुआई पर नहीं दिखा है। केन्द्र सरकार ने रबी की बुआई के जो लक्ष्य तय किए हैं, वह अच्छी बारिश और समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की वजह से पूरे होते दिख रहे हैं। कुदरत साथ दे रही तो फायदा किसानों और आम लोगों का होना चाहिए। अच्छी खेती से शेयर बाजारो में भी तेज़ी रहेगी। लेकिन मुझे ज्यादा चिंता उन लोगों की है जिन्होंने नोटबंदी की वजह से रबी की बुआई की मर्सिया पढ़ा था।
इसी मीडिया ने कहा कि गांवों में किसानो को बहुत दिक्कत होगी और इसका असर खेती पर भी बहुत होगा।
बहरहाल, मैंने पंजाब का दौरा किया था क्योंकि धनी और बड़े किसानों के इस सूबे में खेती पर असर देखना ज्यादा दिलचस्प र महत्वपूर्ण था क्योंकि यही राज्य हमारे अनाज भंडार में अहम तरीके से इजाफ़ा भी करता है। उस दौरान जब नोटबंदी के असर को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हुए अरण्य-रोदन किया जा रहा था, पंजाब में तकरीबन 90 फीसद किसानों ने रबी की बुआई कर ली थी।
जब ज़रा इन आंकड़ो पर गौर फरमाइएः मौजूदा रबी सीज़न में देश में गेहूं का रकबा पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले आठ फीसद बढ़ गया है। यानी इस बार रबी की बुआई में गेहूं का हिस्सा 292.39 लाख हेक्टेयर है। जबकि दलहन का रकबा 13 फीसद बढ़कर 148.11 लाख हेक्टेयेर हो गया है।
इस बढ़त की एक वजह गेहूं और दलहन के समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी को भी माना जा सकता है कि इसी की वजह से इस रबके को बढ़ाने में मदद मिली है। वैसे, धान और मोटे अनाज पिछले साल की तुलना में अभी पीछे ही हैं।
केन्द्र सरकार के मुताबिक, राज्यों से मिली प्राथमिक जानकारी के अनुसार, देश में 30 दिसंबर तक कुल 582.87 लाख हेक्टेयर रबी की फसल की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 545.46 लाख हैक्टेयर में रबी की फसलें बोई गई थीं।
इस समीक्षा अवधि के दौरान देश में तिलहन का रकबा भी बढ़ा है। पिछेल साल यह 71.83 लाख हेक्टेयर था जबकि इस दफा 79.48 लाख हेक्टेयर हो गया है।
रबी सीजन में सबसे ज्यादा पैदा होने वाले दलहन चने की बात करें तो 28 दिसंबर तक देशभर में 94.92 लाख हेक्टेयर में बुआई दर्ज की गई है जो इस अवधि तक अब तक की सबसे ज्यादा बुआई है, पिछले साल इस दौरान देशभर में 82.88 लाख हेक्टेयर में चने की खेती हुई थी। इस दौरान, देश में औसतन 85.03 लाख हेक्टेयर में चने की बुआई होती है और पूरे सीजन के दौरान करीब 88.37 लाख हेक्टेयर में फसल लगती है।
चने के बाद दूसरे नंबर पर ज्यादा पैदा होने वाले दलहन मसूर की बुआई पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी है, आंकड़ों के मुताबिक, 28 दिसंबर तक देशभर में 16.07 लाख हेक्टेयर में मसूर की खेती दर्ज की गई है जो अब तक किसी भी साल हुई बुआई में सबसे अधिक है। पिछले साल इस दौरान देश में 13.51 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। वैसे, औसतन पूरे सीजन के दौरान 14.79 लाख हेक्टेयर में मसूर की बुआई होती है।
कुल मिलाकर कहा जाए, नोटबंदी का असर कम से कम रबी की बुआई पर नहीं दिखा है। केन्द्र सरकार ने रबी की बुआई के जो लक्ष्य तय किए हैं, वह अच्छी बारिश और समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की वजह से पूरे होते दिख रहे हैं। कुदरत साथ दे रही तो फायदा किसानों और आम लोगों का होना चाहिए। अच्छी खेती से शेयर बाजारो में भी तेज़ी रहेगी। लेकिन मुझे ज्यादा चिंता उन लोगों की है जिन्होंने नोटबंदी की वजह से रबी की बुआई की मर्सिया पढ़ा था।
मंजीत ठाकुर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-01-2017) को "नए साल से दो बातें" (चर्चा अंक-2575) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'