मेरे अदब से सारे फरिश्ते सहम गए,
ये कैसी वारदात मेरी, शायरी में है...
Friday, March 9, 2018
नीमः सकुचाते फूलों का वह वीतराग झरना
याद आता नीम के नीचे रखे पिता के पार्थिव शरीर पर सकुचाते फूलों का वह वीतराग झरना – जैसे माँ के बालों से झर रहे हों – नन्हें नन्हें फूल जो आँसू नहीं सान्त्वना लगते थे.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (10-03-2017) को "कम्प्यूटर और इण्टरनेट" (चर्चा अंक-2905) (चर्चा अंक-2904) पर भी होगी। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (10-03-2017) को "कम्प्यूटर और इण्टरनेट" (चर्चा अंक-2905) (चर्चा अंक-2904) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग का नाम लाजवाब और टैगलाइन और भी खूबसूरत है मंजीत जी
ReplyDeleteशुक्रिया अलकनंदा जी
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