भारत ने वेस्टइंडीज को टेस्ट सीरीज में हरा दिया. पहला टेस्ट मैच 318 रनों के अंतर से हराना बड़ी बात है. पर बड़ी बात यह भी है कि भारत ने दूसरा टेस्ट मैच भी 257 रनों से जीत लिया. पर यह ऐसी खबर है जिसे आपने सुबह से पढ़-सुन लिया होगा.
पर असली खबर हैं भारत के यॉर्करमैन जसप्रीत बूमराह. एंटीगा टेस्ट में बूमराह ने महज 7 रन खर्च करके 5 विकेट उड़ा लिए. पहली पारी में भले ही इशांत शर्मा जलवाफरोश हुए हों पर दूसरी पारी में भारत का हाथ ऊंचा किया बूमराह ने ही. दूसरे जमैका टेस्ट में बूमराह ने पहली पारी में हैटट्रिक समेत 6 और दूसरी पारी में एक विकेट लिया.
बुमराह टेस्ट में हैटट्रिक लेने वाले तीसरे भारतीय गेंदबाज बने, जबकि कैरेबियाई धरती पर यह कारनामा करने वाले वह पहले भारतीय गेंदबाज हैं. दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन शनिवार को उन्होंने वेस्ट इंडीज के खिलाफ हैटट्रिक सहित 6 विकेट झटके, वह भी सिर्फ 16 रन देकर. बुमराह ने यह कारनामा पारी के 9वें ओवर की दूसरी गेंद पर डारेन ब्रावो (4), तीसरी गेंद पर शाहमार ब्रूक्स (0) और चौथी गेंद पर रोस्टन चेज (0) को आउट कर किया.
कम रन देकर ज्यादा से ज्यादा विकेट लेना किसी भी गेंदबाज का सपना होता है. एंटीगा में कारनामा करना जसप्रीत बूमराह के लिए कोई पहली बार का मसला नहीं था. बुमराह सबसे कम रन देकर टेस्ट की एक पारी में 5 या इससे ज्यादा विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज बन गए. बुमराह से पहले यह रिकॉर्ड वेंकटपति राजू के नाम था, जिन्होंने 1990 में श्रीलंका के खिलाफ चंडीगढ़ में 12 रन देकर 6 विकेट चटकाए थे.
टेस्ट मैच की एक पारी में जसप्रीत बूमराह ने ऐसा कारनामा चौथी बार किया है जब उन्होंने पांच या इससे ज्यादा विकेट हासिल किए हैं. उनको यह उपलब्धि चार अलग-अलग दौरों में हासिल हुई है. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और अब वेस्टइंडीज दौरे पर यह उपलब्धि हासिल की. बुमराह भारत ही नहीं, एशिया के पहले ऐसे गेंदबाज बन गए हैं, जो इन चार देशों के हर दौरे में पांच विकेट लिए हैं.
जरा बूमराह की गेंदबाजी देखिए, बगूले की तरह उड़ान भरते और रन अप लेते समय उनकी देहभाषा देखिए. किसी भी तेज़ गेंदबाज की बनिस्बत उनका रन अप छोटा है पर तेजी कम नहीं. और जितनी तेजी है उससे भी अधिक सटीक गेंदे डालते हैं. खासकर यॉर्कर.
अभी भारत की गेंदबाजी में धार आई है. मोहम्मद शमी भले ही पारंपारकि अंदाज में गेंदबाजी करते हैं लेकिन वह एक छोर पर बल्लेबाजों की नकेल डाले रहते हैं. जाहिर है, उसके बाद बूमराह अपनी नेज़े जैसी तीखी गेंदों से बल्लेबाज को पवेलियन भेजने पर उतारू रहते हैं. इशांत की स्विंग और जाडेजा की स्पिन अपने तरीके से रन रोके रहते हैं.
एक दफा पांच विकेट ले लेना शायद उतनी बड़ी बात नहीं, पर कप्तान अगर मुश्किल घड़ी में बारंबार बूमराह को ही गेंद पकड़ाए तो मैदान में उनकी भूमिका की अहमियत साफ हो जाती है.
बूमराह पर विश्वास इसलिए भी है कि वह सिर्फ रफ्तार की सौदागरी नहीं करते. गेंदें सटीक भी डालते हैं और हवा में उसे घुमाते भी हैं. अमूमन उनकी गेंद टप्पा खाने के बाद कांटा भी बदलती है. विकेट भारतीय परिस्थितियों का हो या फिर विदेशी सरजमीं पर भारी मौसम वाला, बूमराह ने लाल और सफेद दोनों गेंदों को अपने मन मुताबिक स्पीड और घुमाव दिया है.
पर बूमराह ने क्रिकेट के तीनों फॉरमेट में अपनी गेंदबाजी से चमत्कृत किया है. आऩे वाले दिनों में भारतीय क्रिकेट उन पर अपनी निगाह बनाए रखेगा बल्कि आंख मूंदकर भरोसा भी करता रहेगा.
पर असली खबर हैं भारत के यॉर्करमैन जसप्रीत बूमराह. एंटीगा टेस्ट में बूमराह ने महज 7 रन खर्च करके 5 विकेट उड़ा लिए. पहली पारी में भले ही इशांत शर्मा जलवाफरोश हुए हों पर दूसरी पारी में भारत का हाथ ऊंचा किया बूमराह ने ही. दूसरे जमैका टेस्ट में बूमराह ने पहली पारी में हैटट्रिक समेत 6 और दूसरी पारी में एक विकेट लिया.
बुमराह टेस्ट में हैटट्रिक लेने वाले तीसरे भारतीय गेंदबाज बने, जबकि कैरेबियाई धरती पर यह कारनामा करने वाले वह पहले भारतीय गेंदबाज हैं. दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन शनिवार को उन्होंने वेस्ट इंडीज के खिलाफ हैटट्रिक सहित 6 विकेट झटके, वह भी सिर्फ 16 रन देकर. बुमराह ने यह कारनामा पारी के 9वें ओवर की दूसरी गेंद पर डारेन ब्रावो (4), तीसरी गेंद पर शाहमार ब्रूक्स (0) और चौथी गेंद पर रोस्टन चेज (0) को आउट कर किया.
इस तरह जसप्रीत बुमराह टेस्ट में हैटट्रिक लेने वाले तीसरे भारतीय गेंदबाज बने, जबकि वेस्ट इंडीज में हैटट्रिक लेने वाले पहले भारतीय बने.
बुमराह से पहले भारत के लिए हरभजन सिंह (रिकी पॉन्टिंग, एडम गिलक्रिस्ट और शेन वॉर्न) ने 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलकाता में हैटट्रिक ली थी. वह टेस्ट में हैटट्रिक लेने वाले पहले भारतीय बने थे. उनके बाद यह कारनामा तेज गेंदबाज इरफान पठान (सलमान बट्ट, यूनिस खान और मोहम्मद यूसुफ) ने 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ किया था. यह मैच कराची में खेला गया था. ओवरऑल यह टेस्ट क्रिकेट की 44वीं हैटट्रिक है.
कम रन देकर ज्यादा से ज्यादा विकेट लेना किसी भी गेंदबाज का सपना होता है. एंटीगा में कारनामा करना जसप्रीत बूमराह के लिए कोई पहली बार का मसला नहीं था. बुमराह सबसे कम रन देकर टेस्ट की एक पारी में 5 या इससे ज्यादा विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज बन गए. बुमराह से पहले यह रिकॉर्ड वेंकटपति राजू के नाम था, जिन्होंने 1990 में श्रीलंका के खिलाफ चंडीगढ़ में 12 रन देकर 6 विकेट चटकाए थे.
टेस्ट मैच की एक पारी में जसप्रीत बूमराह ने ऐसा कारनामा चौथी बार किया है जब उन्होंने पांच या इससे ज्यादा विकेट हासिल किए हैं. उनको यह उपलब्धि चार अलग-अलग दौरों में हासिल हुई है. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और अब वेस्टइंडीज दौरे पर यह उपलब्धि हासिल की. बुमराह भारत ही नहीं, एशिया के पहले ऐसे गेंदबाज बन गए हैं, जो इन चार देशों के हर दौरे में पांच विकेट लिए हैं.
जरा बूमराह की गेंदबाजी देखिए, बगूले की तरह उड़ान भरते और रन अप लेते समय उनकी देहभाषा देखिए. किसी भी तेज़ गेंदबाज की बनिस्बत उनका रन अप छोटा है पर तेजी कम नहीं. और जितनी तेजी है उससे भी अधिक सटीक गेंदे डालते हैं. खासकर यॉर्कर.
अभी भारत की गेंदबाजी में धार आई है. मोहम्मद शमी भले ही पारंपारकि अंदाज में गेंदबाजी करते हैं लेकिन वह एक छोर पर बल्लेबाजों की नकेल डाले रहते हैं. जाहिर है, उसके बाद बूमराह अपनी नेज़े जैसी तीखी गेंदों से बल्लेबाज को पवेलियन भेजने पर उतारू रहते हैं. इशांत की स्विंग और जाडेजा की स्पिन अपने तरीके से रन रोके रहते हैं.
एक दफा पांच विकेट ले लेना शायद उतनी बड़ी बात नहीं, पर कप्तान अगर मुश्किल घड़ी में बारंबार बूमराह को ही गेंद पकड़ाए तो मैदान में उनकी भूमिका की अहमियत साफ हो जाती है.
बूमराह पर विश्वास इसलिए भी है कि वह सिर्फ रफ्तार की सौदागरी नहीं करते. गेंदें सटीक भी डालते हैं और हवा में उसे घुमाते भी हैं. अमूमन उनकी गेंद टप्पा खाने के बाद कांटा भी बदलती है. विकेट भारतीय परिस्थितियों का हो या फिर विदेशी सरजमीं पर भारी मौसम वाला, बूमराह ने लाल और सफेद दोनों गेंदों को अपने मन मुताबिक स्पीड और घुमाव दिया है.
पर बूमराह ने क्रिकेट के तीनों फॉरमेट में अपनी गेंदबाजी से चमत्कृत किया है. आऩे वाले दिनों में भारतीय क्रिकेट उन पर अपनी निगाह बनाए रखेगा बल्कि आंख मूंदकर भरोसा भी करता रहेगा.
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ये भारतीय क्रिकेट का ही जलवा है की हमें लगातार एक से एक खिलाड़ी मिल रहे हैं जो आज के समय और आज के खेल के हिसाब से देश और क्रिकेट का नाम ऊँचा कर रहे हैं | अच्छा लेख
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