गुस्ताख़
मेरे अदब से सारे फरिश्ते सहम गए, ये कैसी वारदात मेरी, शायरी में है...
Showing posts with label
जल प्रदूषण
.
Show all posts
Showing posts with label
जल प्रदूषण
.
Show all posts
Monday, December 7, 2020
पंचतत्वः मिट्टी की यह देह मिट्टी में मिलेगी या जहर में!
›
हम बहुत छोटे थे तब हमने कवि शिवमंगल सिंह सुमन की एक कविता पढ़ी थी आशा में निश्छल पल जाए, छलना में पड़ कर छल जाए सूरज दमके तो तप जाए, रजनी ठ...
3 comments:
Wednesday, January 8, 2020
नदीसूत्रः सोन से रूठी नर्मदा हमसे न रूठ जाए
›
लगातार होते रेत खनन, नदियों के पास ताबड़तोड़ कथित विकास परियोजनाओं और बांध बनाए जाने और इसके जलागम क्षेत्र में जंगल का अबाध कटाई ने नर्मदा...
Friday, November 8, 2019
नदीसूत्रः पूर्णिया की सरस्वती बनने को अभिशप्त है सौरा नदी
›
ब्रिटिश छाप लिए शहर पूर्णिया में एक नदी है, सौरा. यह नदी बेहद बीमार हो रही है. सूर्य पूजा से सांस्कृतिक संबंध रखने वाली नदी सौरा अब सूख चल...
Monday, October 7, 2019
नदीसूत्रः साबरमती नदी के पानी में पल रहा है सुपरबग
›
नदियों में प्रदूषण के खतरों के कई आयाम बन रहे हैं. एक अध्ययन बता रहा है कि प्रदूषण की वजह से गुजरात की साबरमती नदी में ई कोली बैक्टिरिया म...
1 comment:
Monday, September 30, 2019
नदीसूत्रः आपका स्मार्ट फोन रामगंगा नदी का गला घोंट रहा है
›
क्या आपने कभी सोचा भी है कि आपके इस स्मार्टफोन या कंप्यूटर की वजह से मैदानी भारत की एक अहम नदी रामगंगा की सांसे थम रही हैं? मुरादाबाद में ...
2 comments:
›
Home
View web version