बजट आ गया। जैसी उम्मीद थी वैसा ही आया। चिदंबरम् ने खूब छूट दी। सब कुछ ऐलान कर दिया। छोड़ दिया तो सिर्फ ये कि चुनाव के तारीखों का ऐलान नहीं किया। चैनलों को कुछ नहीं मिला। खींचने के लिए। लालू की रेल बजट की पोल खोलने में चैनलों ने बहुत दिलचस्पी दिखाई थी। लेकिन चिदंबरम् को लेकर चैनल पॉजिटिव ही रहे। रहना पड़ा। दूरदर्शन तो धन्य-धन्य ही रहा। हां, काम के मामले में बहुत दिनों बाद प्रेफेशनलिज़्म दिखा।
दूसरे चैनल नेगेटिव स्टोरी पेलने में सक्षम नहीं हो पाए, तो जल्द ही औकात पर आ गए। जल्दी ही उनके स्क्रीन मनोरंजन के विजुअल्स से भर गए।
रात का मामला और भी ठीक रहा। इंडिया टीवी सत्य साईं की जादूगरी की पोल खोलने पर लगा रहा। शायद यह उनके दिल टूटने जैसा था। वैसे ये पब्लिक है सब जानती है। जनता को सब पता है बाबाओं की हक़ीक़त। दीपक चौरसिया लाज-लिहाज त्याग कर गांव के लोगों की भाषा में एंकरिंग जैसा कुछ करते नज़र आए। पहली नज़र में चौंक जाना पड़ा। दीपक को नाट्य रुपांतरण मेंदेखना विस्मयकारी था। बाद में देखा तो पता चला स्टार से आए अजय और सोनिया सिंह भी बजट को लेकर पता नही क्या खेल कर रहे थे।
घरवालों ने खीझकर चैनल बदल दिया। कहा न्यूज़ चैनल देखने से बेहतर नया-नवेला फिरंगी और बिंदास देखना बेहतर है।
बजट में सबके लिए कुछ न कुछ है। वोट की लड़ाई में हमारे जैसे घुन के लिए कुछ फायदा था ही। आयकर की न्यूनतम सीमा डेढ़ लाख हो गई। कुछ तो बचा। पर सिगरेट मंहगी हो गई, बजट से पहले ही हो गई थी। चिंदबरम् ने उस पर मुहर लगा दी। किसान खुश हैं। लेकिन सोनिया जी के घर महापवित्र १० जनपथ पर किसानों की भीड़ उमड़ पड़ी। लेकिन आधे घंटे के भीतर दिल्ली में किसानों का ऐसे बड़ी संख्या में जुट जाना गुस्ताख़ को संदेहास्पद लगता है। या तो वे किसान नहीं है। दिल्ली के आसपास के लोग, कांग्रेस के कार्यकर्ता थे। या फिर नेताओं को पहले से ही बजट की इस बंदरबांट का पता था। किसानों को फौरन से पहले जमा कर लिया था। बजट के बाद विधिनुसार पीएम भी १० जनपथ गए थे। शीश नवाने। मन्नू भाई रब तेरा भला करे।
heheheheh caption aachi lagi
ReplyDeletebahut achcha likha hai tum sahi main gustakh ho.....
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