मेरे अदब से सारे फरिश्ते सहम गए, ये कैसी वारदात मेरी, शायरी में है...
हो सकता है साक्षर होने पर भी भाषा की समस्या आड़े आ जाती हो, जैसे अंग्रेजी तो आती है लेकिन बोलते समय झिझक मार जाती है।
अच्छी क्षणिका। बधाई स्वीकारें..***राजीव रंजन प्रसादwww.rajeevnhpc.blogspot.com
बहुत सुंदर, छोटी सी बात बडा आशय ।
बहुत अच्छा मंजीत भाई। काश कोई हमारा भी चेहरा पढ पाता.....
हो सकता है साक्षर होने पर भी भाषा की समस्या आड़े आ जाती हो, जैसे अंग्रेजी तो आती है लेकिन बोलते समय झिझक मार जाती है।
ReplyDeleteअच्छी क्षणिका। बधाई स्वीकारें..
ReplyDelete***राजीव रंजन प्रसाद
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बहुत सुंदर, छोटी सी बात बडा आशय ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा मंजीत भाई। काश कोई हमारा भी चेहरा पढ पाता.....
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