Wednesday, April 30, 2008

मिस्ड कॉल

आधी रात के बाद
रात की ड्यूटी से घर लौटता
अपने मोबाईल पर
देखता हूं जब
एक मिल्ड कॉल,
जिस पर चस्पां होता है, नाम तुम्हारा
तो...
यकीं होता है
कि ऊंघ रहे शहर में,
जहां घूम रहा हूं मैं बरहना-पा,
चाय-काफी की बदौलत,
जबरिया जाग रहे लोग,
एक तुम हो
जो मिस कर रही हो मुझे...।

6 comments:

  1. by the way wo miss kon hai jo aap ko miss call deti hai?

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  2. वाह!! विरह का सुन्दर चित्रण.

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  3. मिस्सससस करने का क्या चित्रण है।

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  4. यकीं होता है
    कि ऊंघ रहे शहर में,
    जहां घूम रहा हूं मैं बहरना-पा,
    चाय-काफी की बदौलत,
    जबरिया जाग रहे लोग,
    एक तुम हो
    जो मिस कर रही हो मुझे...।

    बहुत सुंदर,लेकिन sir मेरे ख़याल में आपने नज्म में 'बरहना पा (नंगे पैर)लिखना चाहा होगा जो गलती से ग़लत छ्प गया ,pls उसे ठीक कर दें
    नज्म बहुत सुंदर है..

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  5. क्या बात है साहब हमने भी कभी इस मिस कॉल पर एक नज्म लिखी थी आप भी परेशान हुए.....

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  6. किसका मिस कॉल....मियां गुस्ताख़ हो तो क्या हुआ। शादी के बाद ऐसी गुस्ताख़ी....। ऐसे कभी-कभी मैं भी मिस कॉल मार देता हूं।

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