Tuesday, August 26, 2008

एक कहानी

एक थे सेठ जी। जैसा कि आम तौर पर कहानियों में होता है, सेठ जी बड़े दयालु थे। और प्रायः पुण्य इत्यादि करने के वास्ते हरिद्वार वगैरह जाते रहते थे। एक बार वह गंगासागर की यात्रा पर गए।कहते हैं, सब धाम बार-बार गंगासागर एक बार। और ये भी मान्यता है कि गंगासागर जैसी पवित्र जगह में अपनी एक बुरी आदत छोड़कर ही आना चाहिए। इस बाबत सेठ जी अपने दोस्त से बातें कर ही रहे थे॥और उसे बता रहे थे कि इस बार वह अपने बात-बात में गुस्सा हो जाने की आदत को गंगासागर में ही छोड़कर आए हैँ।

सेठ जी का दोस्त बड़ा खुश हुआ, सेठानी भी मन ही मन नाच उठी कि अब तो सेठ जी उसे हर बात पर नहीं डांटेंगे। और ऐसा भी हमेशा होता है कि सेठ जी लोगों का एक नौकर होता है और आमतौर पर उसका नाम रामू ही होता है। इन सेठ जी के भी नौकर का नाम भी रामू ही था।

तो रामू ने सेठ जी के लिए पानी का गिलास रखचे हुए पूछा कि सेठ जी आप गंगासागर में क्या छोड़कर आए ? सेठ जी जवाब दिया- गुस्सा।रामू पानी रखकर चला गया। फिर छोड़ी देर बाद जब वह ग्लास उठाने आया तो उसेने फिर पूछा - सेठ जी आप गंगासागर में क्या छोड़कर आए ? सेठजी ने मुस्कुराते हुए कहा - गुस्सा छोड़ कर आया हूं।

कुछ देर और बीता रामू फिर सवाल लेकर आ गया- सेठ जी आप गंगासागर में क्या छोड़कर आए ? सेठ जी थोड़े झल्लाए तो सही लेकिन उन्होंने अपने-आपको जब्त करते हुए कहा कि मैं गंगासागर में गुस्सा छोड़कर आया हूं।

फिर रात के खाने का वक्त आया- रामू फिर खुद को रोक न पाया, पूछ ही बैठा- सेठ जी आप गंगासागर में क्या छोड़कर आए ? अब तो सेठ जी का पारा गरम हो गया। जूता उठा कर नौकर को दचकते हुए उन्होंने कहा कि हरामखोर। तब से कहे जा रहा हूं कि गुस्सा छोड़कर आया हूं तो सुनता नहीं? हर जूते के साथ सेठ जी कहते सुन बे रमुए, गुस्सा छोड़ कर आया हूं, गुस्सा।

इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है? पता नहीं आपको क्या शिक्षा मिली, मुझे तो ये मिली कि
नंबर १- किसी सेठ के यहां नौकरी मत करो।
२- नौकरी करनी ही पड़ जाए तो सेठ से सवाल मत पूछो और नियम पालन करो कि सेठ एज़ आलवेज़
राइट३- कभी किसी सेठ की बात का भरोसा मत करो, चाहे वह गंगासागर से ही क्यों न आया हो।

5 comments:

  1. बढ़िया कहानी.
    वैसे मैंने सुना है गंगासागर पहले इलाहाबाद में था. जैसे-जसे सेठ लोग गंगासागर आते गए, वो सरकता गया. नतीजा यह हुआ कि आजकल बंगाल में है.

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  2. बड़े ज्ञान की बात बता दी निष्कर्ष में. :)

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  3. भईया हमे यह शिक्षा मिली की इस गुस्ताख की हर रचना जरुर पढो, ताकि कुछ ना कुछ नया हासिल हो.
    धन्यवाद

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  4. kahani koe bhi ho..kuchh na kuchh sikh to deti hi hai....bahot accha laga....dhnyabad....

    also add my blog in ur blogger list...
    thnx

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  5. गुस्ताख भाई ,आपके ब्लाग को देखा सबसे पहले आपने अपनी फो‍टो दिखाई । नीली टीसटॆ का जिक्र किया लेकिन मुझे काली दिखी । उसके बाद आपको चिन्तामग्न स्थिति में देखकर मुझे ऐसा लगा कि आपको फ्रांस में होना चाहिए ।अभी बिग बैंग थ्योरी चल रही है ।उसमें जाकर आप अपना योगदान दे सकते है । वाकई आपके चितन को देखकर लग रहा है कि अब हमलोगो को चिंता करने की कोई जरूरत नही है

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