मेरे अदब से सारे फरिश्ते सहम गए, ये कैसी वारदात मेरी, शायरी में है...
चींटे का चांटा खाते ही,
गिरा लुढ़ककर हाथी,
भाग चले सब भालू-सूअर,
भगे शेर ले साथी।
कान पकड़कर हाथी बोला
अब न करो बेपानी
पूंछ पकड़कर ज़रा उठा दो,
क्षमा करो शैतानी
बच्चे बढिया कविता है ...हमने भी बचपन में पढा था ...याद दिलाने के लिए धन्यवाद
बच्चे बढिया कविता है ...हमने भी बचपन में पढा था ...याद दिलाने के लिए धन्यवाद
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