(रजनी सेन डीडी न्यूज़ में एंकर हैं, लेकिन उनके भीतर एक मखमली कवयित्री भी है। आज उनकी एक कविता आप लोगो ंके साथ शेयर कर रहा हूं)
मन की दीवारें जब भी दरकीं
न थामने वाले हाथ मिले,
खुद में उलझे उलझे रहे वो
जब भी मेरे साथ मिले
भरी दुपहरी जब भी देखा
देखा अजनबी आंखों से
कहने को सपनों से उनके
सपने मेरे हर रात मिले
पूछती है दुनिया ये सारी कौन हूं मैं
और कौन है वो?
सुबह जिनके तकिये के सिहराने
मेरे भीगे जज़बात मिले
अफसानों का लंबा रस्ता
सफर अभी करना है बहुत
क्या जाने किस मोड़ पर फिर से
तेरी मेरी बात मिले।
मन की दीवारें जब भी दरकीं
न थामने वाले हाथ मिले,
खुद में उलझे उलझे रहे वो
जब भी मेरे साथ मिले
भरी दुपहरी जब भी देखा
देखा अजनबी आंखों से
कहने को सपनों से उनके
सपने मेरे हर रात मिले
पूछती है दुनिया ये सारी कौन हूं मैं
और कौन है वो?
सुबह जिनके तकिये के सिहराने
मेरे भीगे जज़बात मिले
अफसानों का लंबा रस्ता
सफर अभी करना है बहुत
क्या जाने किस मोड़ पर फिर से
तेरी मेरी बात मिले।
अत्यन्त प्रभावी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteएक प्रतिभावान और ऊर्जा से लबरेज कवियित्री की भावुक कर देने वाली कविता। रजनी को तब से जानता हूं, जब वह माखनलाल में पढ़ती थी। नाजुक अहसासों को शब्दों में पिरोने की उसकी अद्भुत क्षमता से पहली बार वास्ता पड़ा है। मेरी शुभकामनाएं।
ReplyDeleteYou ought to take part in a contest for one of the most useful sites on the internet.
ReplyDeleteI'm going to highly recommend this blog!
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