इमली का पेड़ झुलस रहा था...गरमी में। दिल्ली में भी गरमी है...झुलसाने वाली तो नहीं...लेकिन उत्तराखंड की बाढ़ के बाद बारिश से सहमे हुए लोगों के बीच उमस की मार है।
गुलबर्गा की गरमी अजीब है। पत्थर भी चटक जाते हैं। लेकिन फारसी में तो गुल का मतलब
है "फूल" और "बर्ग" का मतलब है पत्ता। जाहिर है, जमाना रहा होगा जब गुलबर्गा
विलासिता भरे जीवन का केन्द्र रहा ही होगा।
गुलबर्गा का क़िला, फोटोः मंजीत ठाकुर |
हमारे गेस्ट हाउस के नजदीक ही है
गुलबर्गा का किला...14वीं सदी का। मजबूत रहा होगा किला। लेकिन कई दशकों तक उपेक्षित
रहे इस किल में अब कई घर बस गए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के बावजूद किले के
भीतर अवैध अतिक्रमण है। और किले की हालत का तो कहना ही क्या।
हालांकि कुछ हिस्सों में हालत में सुधार है वो भी सिर्फ एएसआई
के कारण।
बहमनी याद्दाश्त, संध्या में फोटोः मंजीत ठाकुर |
वैसे गुलबर्गा की कहानी तो 13वी और 14वीं सदी तक पीछे ले जाती
है। दक्कन के इस इलाके में जब बहमनी सल्तनत का प्रभुत्व हुआ। इससे पहले यह इलाका
हिंदू राजाओं के अधीन था। इस सूखाग्रस्त इलाके को बहमनी सुल्तानों ने खूबसूरत
महलों, किलेबंदियों और सरकारी इमारतों से भर दिया।
आज के गुलबर्गा में भी वही मध्यकालीन किले, अस्तबल, टूट-फूट
रहे मकबरे, बड़े दरबार और प्राचीन मंदिर हैं।
जीवन संध्या फोटोः मंजीत ठाकुर |
किले के भीतर का जामा मस्जिद की खासियत इसका विशाल गुंबद है।
इसके चारों तरफ छोटे-छोटे गुंबद भी हैं। इसका निर्माण सन 1367 में स्पेनी
वास्तुविद् ने किया था जिसमें मेहराबदार प्रवेशद्वार है। बताया जाता है कि ऐसी ही
कलाकृति स्पेन में कार्दोवा के मकबरे की भी है।
किले के अंदर अतिक्रमण, गुलबर्गा फोटोः मंजीत ठाकुर |
गुलबर्गा अब किलों, दरबारों और मकबरों को विरासत के रूप में देखता है। मुसलमान आबादी में एक नवाबी ठसक है...लेकिन गांव की आबादी जूझ रही है। रोज़ रोज़ की लड़ाई है, पानी की, खाने की...चर्चा अगले पोस्ट में.
जारी
बुलंदियाँ आज की स्थितियों में सिमट गयी हैं।
ReplyDelete... first of all "supB photography" ,used xclnt angle.
ReplyDeletereally supB
writing skill is in live mode, amazingggg...
खूबसूरत फ़ोटो, रोचक विवरण!
ReplyDeletesundar vivran........ keep it up!!
ReplyDeleteSUNDAR vivran.....keep it up!!
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