Monday, June 19, 2017

टाइम मशीन 1ः फौलाद

दोनों बालकों को दीवार में चिनवाया जा रहा था. मिस्त्री एक-एक ईंट रखता और दीवार ऊंची हो जाती. सरहिन्द के दीवान सुच्चा सिंह ने कई बार दोनों को समझाने की कोशिश की थीः इस्लाम अपना लो. आखिर, दोनों की उम्र ही क्या थी? बड़ावाला जोरावर सिंह करीब आठ साल का, और दूसरा फतेह तो सिर्फ छह का. लेकिन दोनों बालक तो मानो फौलाद के बने थे. डिगे तक नहीं. डिगते भी क्यों? आखिर दोनों फौलादी शख्सियत गुरु गोविन्द सिंह के बेटे थे. 

इनके दो भाई चमकौर में वीरगति हासिल कर चुके थे और इनके दादा गुरू तेगबहादुर ने दिल्ली में शहादत दी थी.
अचानक जोरावर की आंखों से आंसू बहने लगे थे. धारासार.
सुच्चा सिंह को लगा, शायद बच्चा डर गया हो, अब बात मान ले.
सुच्चा सिंह ने पूछाः क्यों जोरावर डर लग रहा है? रो क्यों रहे हो?
“दीवान साहब, डरते तो मुर्गे-तीतर हैं. हम क्यों डरें, हम तो दशमेश के बेटे हैं. ये आंसू तो इसलिए निकल रहे हैं क्योंकि मैं पैदा तो फतेह के बाद हुआ लेकिन आज शहादत की बारी आई, तो वह मुझसे पहले शहीद का दर्जा पा लेगा. मैं लंबा हूं न...”
सुच्चा सिंह अवाक् रह गया. दीवार चिनती गई, ऊंची...और ऊंची.

1 comment:

  1. waah bahut khoob

    ugene paanv kabhi niklo to jaano. Makhmali fars par #garmi ka andaaz kabhi hota nahi #shair
    Hothon par gila ankhon me tabassum rakhna. Uff tauba tera haal e #shikasta guftagu karna #shair
    Zindagi me jeetne ka shauq hi ho agar. Aaj se ab se abhi se #shikast o ka jashn manana seekh lo #shair
    Waqt ke haantho hai shah o sikandar sabhi. Iske aage koi sartaaj nahi #shikast #shair
    Meri nakami ko #shikast i ka naam na do. Waqt ka mara hoon itna bhi lachar nahi #shair
    Do ghoont gham bhi mila de #shaaqi. Jashn e barbadiyon sa koi jashn nahi #shikast
    Haal e dil ab bhi muqammal na sahi. Ishq e #shikast ka koi gham bhi nahi #shair

    ReplyDelete