गुस्ताख़
मेरे अदब से सारे फरिश्ते सहम गए, ये कैसी वारदात मेरी, शायरी में है...
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Monday, March 4, 2013
आवारेपन का रोज़नामचाः जो मज़ा बनारस में...
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बनारस पहुंचने की बारी आई तो हम लेट नहीं हुए। अल्लसुबह ट्रेन बनारस स्टेशन पहुंच गई थी। बाहर काफी कोहरा था। एकदम सफ़ेद-झक्क चादर। बस के खि...
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