Monday, June 2, 2008
हिंदी स्लैंगकोष 3
देखलुक - मतलब "देखना" - देख --- लुक (Look)-
किनले - मतलब "ख़रीद" - KINLEY (Pepsi Mineral Water)-
पैलियो - मतलब "पाया" - Palio (Fiat's Car)-
गुच्ची - मतलब "छेद" - Gucci (Fashion Products)
अब बिहार में आपका नाम कैसे बदल जाता है उसकी भी एक बानगी देखिए। यह इस्टेब्लिस्ड कनवेंशन है कि आपके नाम के पीछे आ, या, वा लगाए बिना वो संपूर्ण नहीं है। मसलन....
राजीव - रज्जीवा
सुशांत - सुशांतवा
आशीष - अशीषवा
राजू - rajuaa
संजय - संजय्या-
अजय - अजय्या
श्वेता - शवेताबा
कभी-कभी माँ-बाप बच्चे के नाम का सम्मान बचाने के लिए उसके पीछे जी लगा देते है। लेकिन इसका कतई यह मतलब नहीं कि उनके नाम सुरक्षित रह जाते हैं।
मनीष जी - मनिषजीवा
श्याम जी - शामजीवा
राकेश जी - राकेशाजीवा
अब अपने टाईटिल की दुर्गति देखिए।
सिंह जी - सिंह जीवा
झा जी - झौआ
मिश्रा - मिसरवा
राय जी - रायजीवा
मंडल - मंडलबा
तिवारी - तिवरिया
ठाकुर- ठकुरवा
Saturday, May 31, 2008
हिंदी का स्लैंगकोष-२
लफुआ (लोफर),
फर्सटिया जाना
मोछ कबड़ा-क्लीन शेव्ड
थेथड़लौजी,
नरभसिया गए हैं (नरवस),
पैना (डंडा), इनारा (कुंआ), चरचकिया (फोर व्हीलर),
हँसोथना (समेटना), खिसियाना (गुस्साना), मेहरारू (बीवी),
मच्छरवा भमोर लेगा (मच्छर काट लेगा),
टंडेली (मटरगश्ती) नहीं करो,
ज्यादा बड़-बड़ करोगे तो मुँह पर बकोट (नोंच) लेंगे,
आँख में अंगुली हूर देंगे,
चकाचक, ससुर के नाती,
लोटा के पनिया,
पियासल (प्यासा), ठूँस अयले (खा लिए),
कौंची (क्या) कर रहा है,
जरलाहा,
कचिया-हाँसू- फसल काटने का हंसिया
कुच्छो नहीं (कुछ नहीं), अलबलैबे-अकबकाओगे-घबराओगे?
ज्यादा लबड़-लबड़ मत कर, गोरकी (गोरी लड़की),पतरकी (दुबली लड़की),
ऐथी, अमदूर (अमरूद), आमदी (आदमी),
सिंघारा (समोसा),
बोकरादी-बोखराती-सुकरात और बोखरात से व्युत्पन्न
भोरे-अन्हारे,-सुबह-सबेरे
ओसारा (बरामदा) बहार दो,
ढ़ूकें-धुसें?
आप केने (किधर) जा रहे हैं, कौलजवा नहीं जाईएगा,
अनठेकानी-अंदाजन, लंद-फंद दिस् दैट,
देखिए ढ़ेर अंग्रेज़ी मत झाड़िए,
लंद-फंद देवानंद, जो रे ससुर,
काहे इतना खिसिया रहे हैं मरदे, ठेकुआ-मीठा पकवान
निमकी-नमकीन भुतलाना (खो जाना) गए थे,
जुआईल- मेच्योर्ड
बलवा काहे नहीं कटवाते हैं
का हो जीला, ढ़िबड़ीया धुकधुका ता
थेथड़- ढीठ
मिज़ाज लहरा दिया,
टंच माल-अच्छी लड़की
भईवा, पाईपवा, तनी-मनी (थोड़ा-बुहत) दे दो, तरकारी,
इ नारंगी में कितना बीया (बीज) है,
अभरी गेंद ऐने (इधर) आया तो ओने (उधर) बीग(फेंक) देंगे,
बदमाशी करबे त नाली में गोत (डुबो) देबौ (दूंगा),
बड़ी भारी है-दिमाग में कुछो नहीं ढ़ूक रहा है- बहुत कठिन है समझ में नहीं आ रहा
बिस्कुटिया चाय में बोर-बोर (डुबो-डुबो) के खाओ जी, छुच्छे काहे खा रहे हो,
बहुत निम्मन (स्वादिष्ट) बनाया है, उँघी (नींद) लग रहा है, काम लटपटा गया है,
बूट-चना फुला दिए हैं,
बहिर बकाल,
भकचोंधर,़ नूनू, सत्तू घोर के पी लो,
लौंडा, अलुआ, सुतले रह गए, माटर साहब,
तखनिए से ई माथा खराब कैले है- तब से इसने दिमाग़ ख़राब किया हुआ है
एक्के फैट (फाइट-मुक्का) मारबौ कि खुने बोकर देबे- एक ही मुक्के में खून की उल्टी कर दोगे
ले बिलैया - इ का हुआ- हे दैव ये क्या दुआ?
सड़िया दो- सजा दो
रोटी में घी चपोड़ ले,
लूर (कला), मुड़ई (मूली)
उठा के बजाड़ (पटक) देंगे,
गोइठा-उपले, डेकची-देग
कुसियार (ईख),
रमतोरई (भिंडी),
फटफटिया (राजदूत), भात (चावल), नूआ (साड़ी), देखलुक (देखा),
दू थाप देंगे न तो मियाजे़ संट हो जाएगा- दो झापड़ में ही मिज़ाज बन जाएगा
बिस्कुट मेहरा(नमी ले लेना) गया है,
जादे अक्खटल न बतिया,
एकबैक (एकबारगी, अचानक) आ गया और हम धड़फड़ा (हड़बड़ में आ गए) गए,
फैमली (पत्नी), बगलवाली (वो),
हमरा हौं चाहीं,
भितरगुन्ना-इंट्रोवर्ट, अंतरमुखी
लतखोर, भुईयां (जमीन) में बैठ जाओ, मैया गे,
काहे दाँत चियार रहे हो-खीसे क्यों निपोर रहे हो?
गोर बहुत टटा रहा है-पैर में बुहत दर्द है
का हीत (हित), निंबुआ दू चार गो मिरची लटका ला चोटी में, भतार (पति),
फोडिंग द कापाड़ एंड भागिंग खेते-खेते,
मुहझौसा, गुलकोंच (ग्लूकोज़)।
हिंदी का स्लैंगकोष-योगदान दें
(ज्ञान जी के ब्लाग को पढ़ने के बाद हिंदी स्लैंग की दिशा में काम करने की इच्छा जगी है। उनके पोस्ट और पोस्ट पर आए कमेंट्स और कुछ ताजा़ दम शब्दों को लेकर कुढ शब्दकोषनुमा चीज़ बनाना चाह रहा हूं। आपका सहयोग अपेक्षित है। इसमें किस्सागोई वाले राजीव से भी चीज़े उडाई गई हैं। साभार- गुस्ताख़)
खतम--प्रयोग- आप तो एकदम खतम आदमी है (सौजन्य शिवकुमार मिश्र )
कसवाना- प्रयोग- कहां से कसवाए हो जी? (सौजन्य उपेद्र कुमार सिंह )
चोमू- अर्थ- गंवई लंठ- शहरीपने ने चोमूत्व को खतम कर दिया है (सौजन्य- ज्ञानदत्त पांडेय)
वाट लगना- अर्थ तो सबको पता ही है
कई स्लैंग सीधे ऐसा संवाद करते हैं कि हम भद्रजनों के इस्तेमाल करने पर यहाँ हाय तोबा मच जायेगी .वे मानव की मूल वृत्तियों और जननांगों से सीधा सम्बन्ध रखते हैं -कुछ थोडा भद्र हैं जैसे -
बकलंठ ,भुच्चड़ ,बोंगा ,चाटू ,लटक रेजरपाल, लटरहरामी,खड़दूहड आदि..(सौजन्य- अरविंद मिश्रा)
अगर जेब पर "फटका" न लगे और आप कोई "लफडा" न करें तो मुम्बईया स्लैंग बताने को हम तैयार हैं. बाद में चाहे आप मित्र मंडली में "खाली पीली बूम" मारते रहें की ये स्लैंग आप ने ही इजाद किए हैं , जैसे शिव हमसे सुन कर अपने नाम की ख़ुद ही " पुंगी " बजाते हैं.- (सौजन्य- नीरज गोस्वामी)
और अब पेश हैं कुछ स्पेशल बिहारी शब्द- बिहार स्पेशल शब्दकोष। अधिकतर शब्द तदभव ही हैं। मगह, मैथिली, अंगिका, भोजपूरी और मसाले के रूप में पटनिया। लोगों का मानना है कि पटना में मगही भाषा बोली जाती है। लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूं। पटना में पटनिया बोली जाती है जो पूरे राज्य की भाषाओं और राष्ट्रभाषा हिंदी का मिश्रण है। पेश है शब्दकोश के कुछ जाने-पहचाने शब्द:
कपड़ा फींच\खींच लो - कपडा़ साफ़ करना
बरतन मईंस (मांज)लो, ललुआ,- लालू
ख़चड़ा, खच्चड़,- खच्चर(गाली)
ऐहो- ऐ
सूना न- सुनाओं न, सुनो न
ले लोट्टा, ले बलैया,
ढ़हलेल, बुड़बक,भकलोल, बकलाहा- बेवकूफ
सोटा- डंडा
धुत्त मड़दे, का हो मरदे,
ए गो, दू गो, तीन गो- एक दो तीन,
का रे- क्या भई
टीशन (स्टेशन), चमेटा (थप्पड़),
ससपेन (स्सपेंस),
हम तो अकबका (चौंक) गए,
जोन है सोन, जे हे से कि,
कहाँ गए थे आज शमावा (शाम) को?,
गैया को हाँक दो,
का भैया का हाल चाल बा,
बत्तिया बुता (बुझा) दे,
सक-पका गए,अकबकाना
और एक ठो रोटी दो,
कपाड़- (सिर,
तेंदुलकरवा गर्दा मचा दिया,
धुर् महराज, अरे बाप रे बाप,
हौओ देखा (वो भी देखो),
ऐने आवा हो (इधर आओ),
टरका दो (टालमटोल), लैकियन (लड़कियाँ),
लंपट, लटकले तो गेले बेटा (ट्रक के पीछे),
की होलो रे (क्या हुआ रे),
चट्टी (चप्पल), काजक (कागज़), रेसका (रिक्सा),
ए गजोधर,
बुझला बबुआ (समझे बाबू),
सुनत बाड़े रे (सुनते हो),
फलनवाँ-चिलनवाँ,
कीन दो (ख़रीद दो),
कचकाड़ा (प्लास्टिक),
चिमचिमी (पोलिथिन बैग),
हरासंख,
चटाई या पटिया,
खटिया, बनरवा (बंदर),
जा झाड़ के,
पतरसुक्खा (दुबला-पतला आदमी),
ढ़िबरी, चुनौटी,
बेंग (मेंढ़क),
नरेट्टी (गरदन) चीप दो,
कनगोजर-सेंटीपॉड
गाछ (पेड़), गुमटी (पान की दुकान),
अंगा या बूशर्ट (कमीज़),
चमड़चिट्ट, लकड़सुंघा, गमछा, लुंगी, अरे तोरी के,
अइजे (यहीं पर),
हहड़ना (अनाथ), का कीजिएगा (क्या करेंगे),
दुल्हिन (दुलहन), खिसियाना (गुस्सा करना),
दू सौ हो गया,