कुछ महीने पहले शैलेश भारतवासी जी ने आदरणीय विनोद कुमार शुक्ल को तीस लाख रुपए का रायल्टी का चेक सौंपा था। चेक प्रदान करते हुए तस्वीरें थी। तीस लाख भी हिंदी साहित्यकार के लिए लगभग मूं बा देने की स्थिति थी। रत्नेश्वर जी भी स्पष्ट कर दें कि पंद्रह करोड़ का क्या मसला है? प्रकाशक ने दिए? आपने प्रकाशन के लिए दिए? इतने रकम की बिक्री? मतलब थोड़ा स्पष्ट कर देते तो हम ज्वलनशील लोगों के कलेजे को ठंडक पड़ती।
Thursday, December 11, 2025
15 करोड़ की किताब, साहित्य है या पब्लिसिटी का मजाक!
मैं रत्नेश्वर जी से बहुत बार नहीं मिला हूं। इस बार सुना कि उन्होंने 15 करोड़ की किताब लिख डाली। उनके लिए यह कोई नई बात नहीं। पिछली बार रत्नेश्वर जी ने, जब हमारी मुलाकात हुई थी, तब तीन करोड़ रुपए एडवांस में लिए थे, ऐसा उन्होंने बताया था। अगर यह कदम महज खबर बनाने के लिए थी तो खबर बन गई। पर अब आगे की बात।
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