Saturday, September 6, 2008

टीवी की असलियत की तस्वीरें





ये प्रेमकथा बडी मार्मिक है गौर से देखिए और टिप्पणी कीजिए.. हमारी उज्जवल टीवी पत्रकारिता का...अब तिलचट्टे झींगुरों और पिल्लुओं की प्रेम कहानी दिखाई जाएगी।

1 comment:

kumar Dheeraj said...

दिल्ली के जामिया नगर में आतंकवादियो और एनएसजी के जवानो के बीच मुठभेड़ जारी है । दिल्ली में पांच सीरियल बलास्ट करने के बाद आतंकवादी शायद शहर से निकलने के फिराक में थे या छुपे हुए थे ...। एनएसजी के जवानो को किसी तरह इस बाबत सूचना मिली और उसने पूरे इलाके को घेर लिया ...फिर क्या था मुठभेड़ जारी हो गई ..दो आतंकवादी मारे गए और एक को पकड़ा गया है ...बहरहाल मुझे इस घटना की जानकारी नही देनी है ..मेरी मिशन कतई नही है कि इस घटना में क्या हुआ कैसे हुआ। मेरा मकसद है इस घटना से पहले और बाद की स्थिति में सरकार के फैसले और सरकार की प्रतिबध्दता को दशाॆने की ...। सुवह मैने अकवार खोली तो सूचना एवं प्रसारण मंत्री का बयान पढ़ने को मिला-कहना था कि पोटा जैसे अमानवीय कानून की इस देश में कोई जरूरत नही है । देश में कई कानून है जिसके सहारे आतंकवाद से लड़ा जा सकता है । सोचने लगता हू कि अमानवीय कानून के बारे में ...क्या आतंकवादी इस तरह हमारे देश में लोगो की जान ले रहा है ,वह अमानवीय घटना नही है ..फिर अंमानवीय लोगो के लिए अमानवीय कानून क्यो नही ....सरकार किस तरह का वयान देती है समझ से परे है । सरकार कहती है कि पहले से हमारे देश में कई कानून है जिसको ठीक तरीके से क्रियान्वयन की जरूरत है फिर इसे लागू करने के लिए सरकार क्या कर रही है । लागू सरकार ने अबतक क्यो नही किया ...जबकि इस तरह की घटनाए होती ही रहती है । फिर किस समय का इंतजार सरकार कर रही है । जबकि आतंकबादियो ने सरकार के सामने दिल्ली में मुठभेड़ कर चुनौती पेश कर दी तो सरकार को अब क्या करना चाहिए ...।सरकार के हर रोज के बयान से एसा दिखता है कि सरकार को इस बाबत कुछ लेना-देना नही है केवल सरकार दिखाना चाहती है कि हम आम जनता के लिए कुछ कर रहे है । आतंकवादियो से ल़ड़ने के लिए नया कानून बना रहे है । लगता तो एसा है कि सरकार चुनाव का अपना कायॆक्रम तैयार कर रही है । चुनावी मोहरे पर कई विसात बिठाने की तैयारी सरकार कर रही है । इस मुठभेड़ में बहुत सारी चीजे और भी सामने आयी है कि अपने देश में भी इस तरह के लोगो से लड़ना आसान नही है ।जिस ढ़ंग से घटना को तुल दिया जा रहा है उससे क्या समझा जा सकता है । लोगो ने इस घटनाओ को मस्जिद से जोड़कर तुल देने पर जोर दिया...या साम्प्रदायिक माहौल खराब करने का भी इरादा होगा कहा नही जा सकता है । लेकिन इतना तो जरूर कहा जा सकता है कि सरकार के ये कानून और ये बयान आतंकवादियो से लड़ने के लिए काफी नही है ...और सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है ।लेकिन सरकार इस प्रति काफी कमजोर दिखाई दे रही है । आखिर माजरे को समझने की जरूरत है ।