Saturday, August 28, 2010

सावन-भादों मे बलमुआ हो चुबैये बंगला

सावन-भादों मे बलमुआ हो चुबैये बंगला सावन-भादों मे...!
दसे रुपैया मोरा ससुर के कमाई हो हो,
 गहना गढ़एब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
 पांचे रुपैया मोरा भैन्सुर के कमाई हो हो,
 चुनरी रंगायब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
 जारी....दुइये रुपैया मोरा देवर के कमाई हो हो,
चोलिया सियायेब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
एके रुपैया मोरा ननादोई के कमाई हो हो,
टिकुली मंगायेब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
 एके अठन्नी मोरा पिया के कमाई हो हो,
खिलिया मंगाएब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!

(मैथिली लोकगीत)