Tuesday, June 23, 2020

हमलावरो की वजह से पिछले 500 साल में 32 बार नहीं हो पाई है पुरी की रथयात्रा

आखिरकार, कुछ शर्तों के साथ रथयात्रा हुई ही. नहीं होती, तो एक परंपरा टूटती, भक्तों और श्रद्धालुओं को निराशा होती. पर ऐसा नहीं है कि पहले कभी रथयात्रा बाधित न रही हो.

पुरी की रथयात्रा पर बनी पेटिंग सौजन्यः गूगल

श्रीजगन्नाथ मंदिर के इतिहास के अनुसार, पिछले 500 साल में अब तक 32 बार रथयात्रा स्थगित करनी पड़ी है. इसके अलावा, 5 मौके ऐसे भी रहे जब रथयात्रा को ओडिशा में ही पुरी के बाहर आयोजित करना पड़ा.

सेवकों ने चतुर्धा विग्रहों को (श्रीजगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन चक्र) चुपके से बाहर ले जाकर पुरी और खोरदा जिले के गांवों में रथयात्रा आयोजित की थी.

काला पहाड़ के आक्रमण के कारण 1568 से 1577 तक नौ साल तक लगातार रथयात्रा नहीं हुई थी. 1601 में मिर्जा खुर्रम आलम के कारण और 1607 में हाशिम खान के हमले के कारण रथयात्रा का आयोजन नहीं हो सका था. 1611 में मुग़ल सेनापति कल्याण मल के हमले के कारण भी रथयात्रा नहीं हो सकी थी. 

2019 में पुरी की रथयात्रा का विहंगम दृश्य (गूगल)

1622 में मुस्लिम हमलावर अहमद बेग के हमले के कारण भी रथयात्रा रोकनी पड़ी थी. 1692 से लेकर 1704 तक आक्रमणकारी इकराम खान के हमले के कारण 13 साल तक रथयात्रा नहीं हो सकी थी. 1735 में तकी खान के हमले के कारण तीन साल तक रथयात्रा स्थगित रही थी.

जय जगन्नाथ.

1 comment:

रोली अभिलाषा said...

जय जगन्नाथ!
अत्यंत रोचक और ज्ञानवर्धक ��