Monday, July 28, 2008

ब्लांड शूर्पनखा और ब्रूनेट मेघनाद


एक सैकुलर कहे जाने वाले न्यूज़ चैनल ने अपना मनोरंजन का चैनल शुरु किया। उत्साही लोगों को लगा, कि चलो एक गंभीर चैनल वाले मनोरंजन भी दिखैाएंगे तो कुछ गंभीर होगा। डिस्कवरी और नैट-जियो की तरह के वृत्त चित्र देखने को मिलेंगे। लेकिन ये क्या॥ चैनल ने अपनी फ्लैग-शिप कार्यक्रम रामायण को बनाया।

यहां तक तो ठीक था लेकिन बताया गया कि नई पीढी को रामायण की जानकारी देने के वास्ते और बुजुर्गों के मन से अरुण गोविल की छवि मिटाने की गरज से रामायण के रीमेक की रचना की जा रही है।लेकिन परदे पर आते ही आशाएं धूल-झूसरित हुईँ।

काले कपड़े पहने हुए फूहड़ राक्षस हवा में टंग कर उड़ते नज़र आए। घटिया मेक-अप ने खेल बिगाड़ दिया। सारा का सारा परिदृश्य नकली नज़र आता रहा । आउटडोर के नाम पर एक ही आश्रम में वशिष्ठ से लेकर विश्वामित्र और सार आश्रम शूट कर लिए। एक ही बागीचे में सीता हरण से लेकर हनुमान मिलन तक शूट कर लिया। एक ही पहाड़ के चारो तरफ वानर सीता को खोजते घूम रहे हैं। दर्शक क्या इतना बेवकूफ है?

शूर्पनखा के बाल सुनहरे हैं, शूर्पनखा ब्लांड थी क्या? और मेधनाद के बाल सीधे-सीधे? ग्रंथो की राय में मेघनाद रावण का पुत्र था और रावण आर्य था। आर्यों के बाल मानवशास्त्र के हिसाब से लहरदार होते थे। मेघनाद के सीधे क्यों हैं? और मेघनाद समेत कई राक्षस चेहरे पर हास्यास्पद तरीके से टैटू लगाए हैं।

राम और हनुमान एक बार मिलते हैं तो यूकेलिप्टस के जंगल मं, सीधे-सीधे पतले -पतले पेड़ों के बीच ...कतार में लगे हुए पेड़। जनता गधी है क्या? सबको पता है कि यूकेलिप्टस ऑस्ट्रेलिया का पेड़ है और प्राचीन भारत में नहीं-ही पाया जाता था। कुल मिला कर प्रॉडक्शन क्वॉलिटी गठिया है, रामायण देखकर निराशा होती है। अब पता चला है कि शनिदेव पर भी एक सीरियल शुरु हो रहा है। ये क्या सचमुच एनडीटीवी है? क्या हो गया प्रणय रॉय को..?
हैरान हूं।

10 comments:

अजित वडनेरकर said...

ये एक मूर्खतापूर्ण सीरियल है। पहले बन चुके सोप से भी घटिया।
अंतिम सवाल का इस अर्थ वाले ज़माने में कोई अर्थ है ? आप उम्मीद क्यों रखते हैं ?

डॉ .अनुराग said...

सच कह रहे है ......अब लगता है ये चैनल भी भाग दौड़ में शामिल हो रहा है......दुःख होता है.

Confession of a Media Planner said...

Oh ..............really that was an eye-opener for me who doesn't have enuf knowledge of Cinema and choreography ,but the way they have shown Ram and Laxman ..they are more like Models rather then any Bhagwaan.
Now they will say ----we want Ram to look like a common man from society ---even thats not true

Confession of a Media Planner said...

Oh ..............really that was an eye-opener for me who doesn't have enuf knowledge of Cinema and choreography ,but the way they have shown Ram and Laxman ..they are more like Models rather then any Bhagwaan.
Now they will say ----we want Ram to look like a common man from society ---even thats not true

Anil Kumar said...

यदि इस सीरियल को भी पहले वाली रामायण जैसा ही बनाया जाता, तो इसकी अहमियत क्या रह जाती? कौन देखता इसे? पैसे कैसे कमाये जाते? आजकल जिस काम में पैसा है, वही करते हैं लोग, चाहे वे टीवी प्रोड्यूसर हों या राजनेता!

राज भाटिय़ा said...

शुकमेने नही देखा,वर्ना खम्खा मे खुन जलता

कुश said...

सौ फीसदी सही फरमाया आपने

Udan Tashtari said...

बचे!!! हमारे यहाँ एन डी टी वी नहीं आता.

कुमार आलोक said...

सही कहा इस रामायण से बढिया तुम्हारा वाला आधे घंटे का स्पेशल रंग तरंग है ....

Manjit Thakur said...

kumar alok ji ye coomment tha ya comliment??