Sunday, May 9, 2010

हम फाइनल-वाइनल के चक्कर में हीं पड़ते

गुस्ताख का मूड खराब हो गया था। दफ्तर में किसिम-किसिम के लोगों से मगजमारी करने के बाद मैच देखने बैठो। घरवालों का सारा गुबार झेलों और फिर भारत की क्रिकेट टीम हैकि ....बस।

कक्का जी को गुस्ताख का ऐसे बिदकना नहीं सुहाया।

अरे बचवा, थके मांदे खिलाड़ियों से ज्यादा उम्मीद ही रखना बेकार है। बेचारे आईपीएल में खेल-खेल के थक गए थे...थके हुए शहसवार तो धराशायी ही होते हैं ना...

लेकिन कक्का विश्व कप में तो वे भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं ना
लेकिन बचवा आईपीएस में वह पैसे का प्रतिनिधित्व करते हैं। देखो ना हमारे आईपीएल के तमाम विजेता ऑस्ट्रेलियाई बाउंसरों और वेस्ट इंडियन तेजी के सामने मुंह बा दिए।


और यह भी सत्य है कि हमारे खिलाड़ी खेल में भरोसा रखते हैं जीत में नहीं। खेल भावना से खेलते हैं, जीत से ज्यादा जरुरी है खेल का होना। इसलिए तो हम भारतीय फाइनल वाइनल में भरोसा नहीं रखते।

सुपर आठ तक पहुंच गए यह कम है क्या,,,यहां एक मैच बचा है उसको निपटा कर घर चलेंगे। बहुत सारे विज्ञापनों की शूटिंग बची है उसे पूरा करना है।

3 comments:

Udan Tashtari said...

हमारे खिलाड़ी खेल में भरोसा रखते हैं जीत में नहीं।....हा हा!


दिल को बहलाने के लिए गालिब ख्याल अच्छा है.

Guy with White Color said...

sir, you are right, 10 grader are earning in crores in IPL, and some (IIMC PASSOUTS) still searching their Identity.

अपूर्व said...

सही यार्कर डाला है आपने..ब्लैक-होल मे..
वैसे थोड़ा बहुत खेल लेना भी सर्वाइवल के लिये जरूरी है..एडवर्टाइजमेंट मार्केट मे डिमांड बनी रहती है..रेट अच्छॆ लग जाते हैं..
बढ़िया प्रोफ़ाइल है..गुस्ताखियों का अच्छा स्कोप!!