Monday, July 5, 2010

इसलाह

"कौन हो तुम..?
तुम कौन हो?"
"हर हर महादेव"!
"हर हर महादेव"!
हर हर महादेव!
"सुबूत क्या है?"
सुबूत! मेरा नाम धर्मचंद है...
"यह कोई सुबूत नहीं"
"चार वेदों में कोई बात मुझसे पूछो"
 'हम वेदों को नहीं जानते, सुबूत दो"
"क्या...?
"पायजामा ढीला करो"
पायजामा ढीला हुआ तो शोर मच गया
मार डालो, ...मार डालो
ठहरो,! ठहरो! मैं तुम्हारा भाई हूं-- भगवान की कसम मैं तुम्हारा भाई हूं!

मंटो की लघुकथाओं से

2 comments:

Udan Tashtari said...

मंटो की लघु कथा..आभार प्रस्तुत करने का.

डॉ .अनुराग said...

सबूत नाकाफी...क्यूंकि मंटो अश्लील घोषित .है...सभ्य दुनिया के खानों में नहीं फिट बैठते