सावन-भादों मे बलमुआ हो चुबैये बंगला सावन-भादों मे...!
दसे रुपैया मोरा ससुर के कमाई हो हो,
गहना गढ़एब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
पांचे रुपैया मोरा भैन्सुर के कमाई हो हो,
चुनरी रंगायब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
जारी....दुइये रुपैया मोरा देवर के कमाई हो हो,
चोलिया सियायेब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
एके रुपैया मोरा ननादोई के कमाई हो हो,
टिकुली मंगायेब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
एके अठन्नी मोरा पिया के कमाई हो हो,
खिलिया मंगाएब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
दसे रुपैया मोरा ससुर के कमाई हो हो,
गहना गढ़एब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
पांचे रुपैया मोरा भैन्सुर के कमाई हो हो,
चुनरी रंगायब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
जारी....दुइये रुपैया मोरा देवर के कमाई हो हो,
चोलिया सियायेब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
एके रुपैया मोरा ननादोई के कमाई हो हो,
टिकुली मंगायेब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
एके अठन्नी मोरा पिया के कमाई हो हो,
खिलिया मंगाएब की छाबायेब बंगला सावन-भादों मे...!
(मैथिली लोकगीत)
1 comment:
JHAKAAAAAAAS.
Post a Comment