Friday, April 23, 2010

अरुणाचल में परशुराम कुंड का सफर

यह अटपटा लग सकता है कि अरुणाचल में कोई परशुराम कुंड होगा, लेकिन यह सच है। तेजू जाने  के रास्ते में हाइलुंग के पास एक जगह है जिससे पहले चीन के सीमा से दिहांग नदी भारत में प्रवेश करती  है।  लेकिन स जगह पर आते ही उसका नाम हो जाता है ब्रह्मपुत्र..

यहां नदी की धारा हहराती-गरजती आती है। मुख्य सड़क जो कि हाइवे है, और महज 12 फुट चौड़ी है--आपको गाड़ी छोड़कर पैदल ही सीढियों से पहाडी पर चढना और फिर ढलान पर उतरना होगा फिर होंगे ब्रह्मपुत्र के दर्शन..
दरअसल मान्यता है कि यहां पर परशुराम आए थे और मातृ हत्या के बाद प्रायश्चित किया था। इसी से इस जगह को परशुराम कुंड कहते हैं। जब हम वहां गए तो ब्रह्म कुंड या परशुराम कुंड में पानी कम था, लेकिन कुछ ही देर में लबालब भर गया। 
 
जैसे ही आप परशुराम कुंड के लिए चढाई शुरु करेंगे वनस्पतियों की कचाईन गंध नाकों में घर कर जाएगी। ऊपर से देखिए तो परशुराम कुंड ऐसा दिखता है। फोटो में दिख रहा, छोटा चट्टान कुंड का वह बड़ा पत्थर है।

5 comments:

Sachi said...

अरुणाचल बहुत सुंदर है| मैं 2005 में वहाँ गया था| मैंने गुवाहाटी, तेज़पुर(असम), इटानगर, अलोंग, पासीघाट, बोमदिला, तथा एक दो जगह और गया था| परशुराम कुंड जाने का मौका नहीं मिल पाया|
इतनी सुंदर तस्वीरों के लिए धन्यवाद|

Rohit Singh said...

बहुत ही खबसूरत फोटोग्राफ हैं. अरुणाचल जाना होगा तो जरुर जाउंगा परशुराम कुंड....

Udan Tashtari said...

आनन्द आ गया. गया तो था अरुणाचल मगर यहाँ नहीं जा पाये थे.

विवेक रस्तोगी said...

वाह जी मजा आ गया अब तो अरुणाचल प्रदेश जाना ही होगा :)

डॉ .अनुराग said...

आखिरी फोटो एक दम झकास है........chakachak.....