Monday, November 8, 2010

ऐ लीलाधर सांवरे, ओबामा....

भला लीलाधर की लीला कोई समझ सका है..दुनिया का सबसे मजबूत देश उन पर ऐसे ही न्योछावर न हो गया। सांवरी सुरतिया वाले लीलाधर की मुस्कान देखी है- हम इसको चवन्निया मुस्कान से दो कदम आगे का बताते हैं।

दुनिया को मामा बनाने वाले ओबामा, भारत आए तो सौदागरों की भाषा में बतियाने लगे। हम इसे भी लीलाधर की लीला ही कहेंगे।

चवन्नी मुस्कान बहुत कुछ बेच लेती है।



ओबामा ने अपने भाषण की शुरुआत में ही ऐलान किया, कि भारत दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है ही, हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उनके इस कथन का सीधा सा मतलब यही है कि, भारत दुनिया के लिए अहम हो ना हो..हमारे लिए बहुत अहम है। टेढा़ मतलब निकालें तो उनके भा्षण के अंशों को खंगालना होगा--महाबलि ओबामा उचारते है कि दोनों देशों के बीच व्यापार बहुत कम है, भारत के कुल आयात का महज 10 फीसद ही अमेरिका से आता है। और  अमेरिका के कुल निर्यात का महज दो प्रतिशत भारत में आता है।

तो यह सौदागर अपना निर्यात बढाने आया है। इस मुस्कान के पीछे मत जाइए। इसी ने आउटसोर्सिंग पर रोक लगाने वाले कानून पेश कर दिए हैं, अमेरिकी संसद में।

सेंट ज़ेवियर कॉलेज में एक छात्र ने जब पाकिस्तान के बारे में, यानी अमेरिका के लाडले के बारे में पूछा कि उसे आतंकवादी देश घोषित क्यों नही करते, तो मुझे तो हंसी आई।

माफ कीजिएगा, मैं कृष्ण के इस आधुनिक अवतार पर कैसे हंस सकता हूं।  और कृष्ण के अवतार वाली बात को आधे अर्थो में समझिएगा। गोपियों वाली सारी लीलाएं कृष्ण क्लिंटन महोदय के हिस्से कर गए और बाकी सौदगरी -महाभारती कलाएं ओबामा के नाम।

आज ओबामा की चौड़ी-चकली मुस्कान देखी तो मुझे कृष्ण नजर आ गए, बाकियों को मंजर नही दिखा होगा क्योंकि कृष्ण ने जब अपना स्वरुप दिखाया राजसभा में तो कहां नजर आया ता किसी को।

बहरहाल, मुझे हंसी आई थी उस नादान लड़के पर जिसने पाकिस्तान को आतंकवादी घोषित करने का सवाल कर दिया। भइए, कोई लाला अपने दो ग्राहकों में झग़ड़े फसाद करवा सकता है, लेकिन वह किसी  एक को माल बेचना बंद करनाअफोर्ड ही नही कर पाएगा।

पहले तालिबान को हथियार दिए, फिर पाकिस्तान से कहा इनका विनाश कर दो, फिर भारत से कहा आपके पड़ोस में अशांत पाकिस्तानआपके ही विकास के लिए खतरा होगा। और फिर पाकिस्तान में अपनी मजबूती बनाए रखना चाहते हैं क्योंकि ईरान पर निगाह कड़ी रखने के लिए पाकिस्तान में पांव मजबूती से जमे रहने चाहिए। उधर अफगानिस्तान भी है।

किसी नादान ने सांवरे बनवारी से अफगानिस्तान के बारे में भी पूछ दिया। ओए नादानों, इतना भी मालूम नहीं कि भारत भी नही चाहता कि 2011 को घोषित तारीख से अगर अफगानिस्तान से अमेरिका हट जाए तो सबसे ज्यादा मुश्किल भारत को ही होगी।

पाकिस्तान अपगानिस्तान में अपनी बदमाशियों में की गुना बढोत्तरी करेगा। भारत इसे झेल नही पाएगा, तो गुहार लगाएगा लीलाधर से।

हे नव-द्वारिका ( वॉशिंगटन-डीसी) में बैठे आकाओँ, देखों पड़ोसी लौंडा देश हमें छेड़ रहा है।

अतएव, अमेरिका का अफगानिस्तान में भी बने रहना - जाहिर तौर पर भारत के हित में - ही होगा। बल्कि ओबामा का अमेरिका दुनिया के हर उस देश में पैर जमाने की कोशिश करेगा जहा तेल गैस है। तेल-गैस से बदहजमी होती है, अमेरिका कभी नही चाहेगा कि दुनिया को बदहजमी हो। तदर्थ, अमेरिका उन सभी देशों को, भू-भागों को अपने कब्जे में लेगा जहां ऐसे तेल गैस वगैरह घटिया चीजें है।

आधुनिक लीलाधर शिव की तरह हलाहल को कंठ में समो लेंगे।

ओबामा को मीडिया वाले भले ही मामा-मामा कहते हों, लेकिन सच यही है कि दुनिया नटचाने वाले ने भारत में रास रचा कर दिखा दिया, कि दिखाने को तो हम भारत में बच्चों के साथ सपत्नीक नाच सकते है, लेकिन हमसे तिजारत करो, सीदे-सीधे वरना नचा के मार देंगे।

वो काला एक .....भों... वाला..सुध बिसरा गया मोहि ...सुध बिसरा

1 comment:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

हमारे देश में अनेकों धृतराष्ट्र बैठे हैं..