Saturday, June 2, 2012

इट्स टू हॉट ना!

सुना दिल्ली का पारा 46 को पार कर गया। आलोक पुराणिक ने 45-45-45 लिखा है। हम कहते हैं दिल्ली का फीगर 47-45-46 हो गया है। एक दम भरी-पूरी काया...गरमी इतनी मादक भी हो सकती है क्या?

गरमी में लोग परेशां-परेशां से घूमते हैं। इशकज़ादे का गाना गुनगुनाते हुए..मैं परेशां, परेशां, परेशां...। लेकिन इस गरमी ने हमें तपस्वियों वाला बाना दे दिया है। कुछ ऐसी समां बंध गई है कि दफ्तर से निकलने का मन ही नहीं करता। दिन भर एसी में बैठने का मजा। बाहर निकलें,तो लगे कि बस भई किसी ने गरम् तवे पर या ओवन में बिठा दिया हो।

इसका भी मज़ा है। घर जाता हूं। कूलर खराब है। (मानो ठीक होता तो घर को स्विट्ज़रलैंड बना देता।) पंखे की पंखुडियां भारत की विकास दर की तरह सुस्त पड़ गई हैं। वैसे एक बात है, पंखे हो या कूलर, या एसी चलते बिजली से हैं।

हम वैशाली वाले है, यूपी वाले। हमारी बहुत चिंता है युवा मुख्यमंत्री को। कहते हैं बिजली की खपत कम करो। कम एसी चलाओ, कम पंखे चलाओ,कम कूलर चलाओ। आप को बिजली मिलेगी तो आप कहां से मानने वाले रहे। आप तो चलाओगे ही, तो अखिलेश ने आदेश देकर बिजली कटवानी शुरु कर दी है।

सुना है कि शीला जी ने भी दिल्ली वालों की आदत बिगड़ने से बचाने के लिए बिजली काटते रहने के आदेश दिए हैं। बहरहाल, अंधेर में रहने की आदत कुछ यूं हो गई है कि वैशाली में बिजली आती है तो आंखें चौंधिया जाती हैं। ये कहां आ गए हम...टाइप गाना गाने की इच्छा हो उठती है।

तपस्वियों का क्या है। गरमी सहते हैं। हमने भी हठय़ोग ठान लिया है। बिजली रहती नहीं, गैस की बत्ती जला देते हैं. इससे कमरे का तापमान पचास तक पहुंचने में मदद मिलती है। फिर, नंगाझोली होकर अर्थात् सिर्फ लंगोट में हम सिद्धासन में लैपटॉप के सामने बैठ जाते हैं।

फिर तो धाराप्रवाह पसीना बहता रहे। कोई परवाह नहीं। अखिलेश ने कहा है यूपी को सुधार देंगे। सच्चे गुरु। सुधार दिए। सबकी आदतें खराब हो रही थीँ। एसी वगैरह से बीमारियां भी हो जाती हैं। किसी को कहां परवाह।

कल शाम मेट्रो में एक कन्या अपने छैले से कह रही थी, इट्स टू हॉट ना।


हमको बहुत शरम आई। इ कौनो हॉट मौसम थोड़े ही ना है। इस मौसम में तो रिक्शे से ऑटो तक और पैदल से मेट्रो तक सारी सुंदरियां मुंह ढंककर दस्यु सुंदरियों में बदल गई है। कहां रहा हॉट? वैसे हॉट कहते ही सन्नी लियोनी और हमेशा निर्वस्त्र होने की धमकी देने और सिर्फ फोटो जारी करने वाली पूनम पांडे की छवि घूमती है।
हमको बहुत शिकायत है पूनम पांडे से...ऐसे क्या छिप-छिपा के अपनी धमकी पूरा करती हो। है दम तो यू ट्यूब पर जारी करो।

वैसे मर्दो वाली हो या महिलाओं वाली, मरी गरमी में फेयरनेस क्रीमों का मार्केट जोरों पर है और हकले शाहरुख के फूल जिसमें कूल रहते हों वो वाला पाउडर भी खूब बिक रहा है।

बिजली अब भी नहीं आई है। शरीर में पानी की कमी हो रही है....इट्स टू हॉट ना!

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सहते सहते शरीर कुछ वर्षों में ५० भी सहने का आदी हो जायेगा।

दीपक बाबा said...

कूल डाअवन