हद हो गई है। कैसा देश है ये। छोड़िए देश के बारे में बाद में बात करें, मैं खोज रहा हूं कि इस सवा अरब की आबादी वाले देश में मेरा कोई दूर का रिश्तेदार हो जो सत्ता पक्ष में, विपक्ष में, कहीं भी, सिफारिश करने की पोजीशन पर हो। और सिफारिश ऐसी-वैसी नहीं कि रोज़गार सेवक लगाने वाला काम, या शिक्षा-मित्र की बहाली। भारत रत्न के लिए सिफारिश की जरूरत है।
इस देश में भाई-भतीजावाद किस क्षेत्र में नहीं है! पता नहीं क्यों लोग फिर भी इसकी बुराई करते हैं। अब ताजा उदाहरण देखिए-इस साल पद्म पुरस्कारों के लिए की गई सिफारिशों की सूची में कुछ लोगों ने कई नाम सुझाए तो कुछ लोगों ने इस प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान के लिए अपने संबंधियों और दोस्तों के नामों को आगे बढाया।
अब पहली कोटि में वो लोग हैं, जो चाहते हैं कि भारत रत्न पुरस्कारों का सम्मान बचा रहना चाहिए। इसलिए वो लोग पता नहीं क्यों ईमानदारी दिखा जाते हैं।
जबकि होना ये चाहिए कि इसमें अपने रिश्तेदारों का नाम आगे किया जाना चाहिए। आखिर, परिवार के प्रति भी तो हमारा फर्ज है कुछ। अब एक सिरफिरे ने गृह मंत्रालय में आरटीआई डाल दिया कि किस महानुभाव ने किसके नाम की सिफारिश की है, भारत रत्न के लिए।
ऐसे में जो जवाब आया उससे यही साबित होता है कि हम भारत के लोग वसुधैव कुटुम्बकम् में भरोसा करें या न करें, अपने कुटुम्ब में बहुत भरोसा करते हैं।
गृह मंत्रालय ने आरटीआई आवेदन का जवाब दिया कि सार्वजनिक की गई 1300 नामों की सिफारिशें करने वाली सूची के अनुसार कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, मंत्री राजीव शुक्ला, सांसद टी सुब्बरामी रेड्डी, शास्त्रीय गायक पंडित जसराज आदि ने इस पुरस्कार के लिए कई-कई नामों की सिफारिशें की थीं।
भारत रत्न से सम्मानित पार्श्व गायिका लता मंगेशकर ने पद्म पुरस्कारों के लिए जिन नामों की सिफारिश की हैं उनमें उनकी बहन उषा मंगेशकर, पार्श्व गायक सुरेश वाडकर और सामाजिक कार्यकर्ता राजमल पारख का नाम था।
पद्म विभूषण से सम्मानित सरोद वादक उस्ताद अमजद अली ने छह नामों की सिफारिश की थी जिनमें उनके बेटों अमान और अयान के साथ हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक कौशिकी चक्रबर्ती, तबला वादक विजय घाटे, कला प्रोत्साहक सूर्य कृष्णमूर्ति उर्फ नटराज कृष्णमूर्ति और सितार वादक निलाद्री कुमार के नाम सम्मलित थे।
पूर्व सपा नेता अमर सिंह ने लोकसभा सदस्य जयाप्रदा को यह पुरस्कार देने की सिफारिश की थी। हालांकि, इस साल घोषितपद्म पुरस्कारों की सूची में उषा मंगेशकर, अमान या अयान जगह नहीं बना पाए। विख्यात शास्त्रीय गायक पंडित जसराज ने पद्म पुरस्कारों के लिए नौ नाम, राजीव शुक्ला ने पांच, मोतीलाल वोरा ने आठ, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने रंगमंच से जुडे दो लोगों, विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने दो और कांग्रेस सांसद विजय दरडा ने तीन नामों की सिफारिश की थी।
अब आपको लग रहा होगा न कि आखिर मेरा नाम क्यों नहीं था इस सूची में...सोच रहा हूं जिस दिन सिफारिश करने लायक बनूंगा, अपने साले को भारत रत्न दिलवाऊंगा, आखिर सारी खुदाई एक तरफ...।
इस देश में भाई-भतीजावाद किस क्षेत्र में नहीं है! पता नहीं क्यों लोग फिर भी इसकी बुराई करते हैं। अब ताजा उदाहरण देखिए-इस साल पद्म पुरस्कारों के लिए की गई सिफारिशों की सूची में कुछ लोगों ने कई नाम सुझाए तो कुछ लोगों ने इस प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान के लिए अपने संबंधियों और दोस्तों के नामों को आगे बढाया।
अब पहली कोटि में वो लोग हैं, जो चाहते हैं कि भारत रत्न पुरस्कारों का सम्मान बचा रहना चाहिए। इसलिए वो लोग पता नहीं क्यों ईमानदारी दिखा जाते हैं।
जबकि होना ये चाहिए कि इसमें अपने रिश्तेदारों का नाम आगे किया जाना चाहिए। आखिर, परिवार के प्रति भी तो हमारा फर्ज है कुछ। अब एक सिरफिरे ने गृह मंत्रालय में आरटीआई डाल दिया कि किस महानुभाव ने किसके नाम की सिफारिश की है, भारत रत्न के लिए।
ऐसे में जो जवाब आया उससे यही साबित होता है कि हम भारत के लोग वसुधैव कुटुम्बकम् में भरोसा करें या न करें, अपने कुटुम्ब में बहुत भरोसा करते हैं।
गृह मंत्रालय ने आरटीआई आवेदन का जवाब दिया कि सार्वजनिक की गई 1300 नामों की सिफारिशें करने वाली सूची के अनुसार कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, मंत्री राजीव शुक्ला, सांसद टी सुब्बरामी रेड्डी, शास्त्रीय गायक पंडित जसराज आदि ने इस पुरस्कार के लिए कई-कई नामों की सिफारिशें की थीं।
भारत रत्न से सम्मानित पार्श्व गायिका लता मंगेशकर ने पद्म पुरस्कारों के लिए जिन नामों की सिफारिश की हैं उनमें उनकी बहन उषा मंगेशकर, पार्श्व गायक सुरेश वाडकर और सामाजिक कार्यकर्ता राजमल पारख का नाम था।
पद्म विभूषण से सम्मानित सरोद वादक उस्ताद अमजद अली ने छह नामों की सिफारिश की थी जिनमें उनके बेटों अमान और अयान के साथ हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक कौशिकी चक्रबर्ती, तबला वादक विजय घाटे, कला प्रोत्साहक सूर्य कृष्णमूर्ति उर्फ नटराज कृष्णमूर्ति और सितार वादक निलाद्री कुमार के नाम सम्मलित थे।
पूर्व सपा नेता अमर सिंह ने लोकसभा सदस्य जयाप्रदा को यह पुरस्कार देने की सिफारिश की थी। हालांकि, इस साल घोषितपद्म पुरस्कारों की सूची में उषा मंगेशकर, अमान या अयान जगह नहीं बना पाए। विख्यात शास्त्रीय गायक पंडित जसराज ने पद्म पुरस्कारों के लिए नौ नाम, राजीव शुक्ला ने पांच, मोतीलाल वोरा ने आठ, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने रंगमंच से जुडे दो लोगों, विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने दो और कांग्रेस सांसद विजय दरडा ने तीन नामों की सिफारिश की थी।
अब आपको लग रहा होगा न कि आखिर मेरा नाम क्यों नहीं था इस सूची में...सोच रहा हूं जिस दिन सिफारिश करने लायक बनूंगा, अपने साले को भारत रत्न दिलवाऊंगा, आखिर सारी खुदाई एक तरफ...।
3 comments:
हमारा ख्याल रखियेगा , जब संभव हो! :)
मै सोच रही हूँ मंजीत जी कि इतनी शराफत कैसे दिखा गए कुछ लोग की अपना नाम नहीं सुझाया किसी ने.....कम से कम राजीव शुक्ला जी से तो ये उम्मीद की ही जा सकती है......
हा हा हा कमाल का धांसू सिफ़ारिशी पोस्ट निकला जी , कित्तों के भेद बेध मारे आपने :) अब तो जिन्हें मिले हैं वे भी सर्कल में आ गए हैं :) :) ई आर टी आई भी न :) :) :) :)
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