Thursday, February 6, 2014

धीरेन्द्र पुंडीर की एक ज़रूरी कविता

यह कविता सुशांत झा के माध्यम से मिली है, धीरेन्द पुंडीर की लिखी है, पढ़ा तो अच्छा लगा, शेयर करने का लोभ संवरण नहीं कर पाया--गुस्ताख

ताक़त में कुछ भी ग़लत नहीं होता।

मैं तुमको यहां नीचे खड़ा दिखता हूं,
नीचा नहीं हूं मैं यहां खड़ा होकर भी।

हां, मेरे फैसले अब मैं नहीं ले रहा,
लेकिन फ़ैसले ले रहे हैं जो,

उन्हें जानता हूं मैं।

मेरी ही कुछ उल्टी चालो ने,
यहां, 
ला पटका है मुझे

वरना तो कम नहीं थी
सत्ता के शतरंज की
मेरी समझ

मैंने कुछ ग़लतियां की,
कुछ छोटी, कुछ बड़ी

अपनो को धोखा दिया
अजनबियों को जी भर कर लूटा

बेसहारों को दोनों हाथों लपेटा
भीड़ में नारे लगाए, उनका भविष्य बेचते हुए
मौका मिलते ही धक्का दिया आगे वाले को

मैं समझता रहा,
ये बड़ी ग़लतियां की हैं मैने।

नहीं बदले शब्द
बॉस के कहने पर

हां कई बार झूठ तो लिखा
सच की ही तरह

लेकिन उसमें नुक्ते डाल दिए अपनी समझ से

वो जताते है ंऐसे जैसे
महज देह भर है लड़कियां, औरतें

चादर तौलिए और कपड़े बदलते हैं जैसे
ऐसे ही बदली जाती हैं औरतें

यह अच्छी बात नहीं है, कह बैठा कई बार मैं
हो सकता है ये उतना गलत नहीं होता

अगर मैंने कहा होता अकेले में
मैंने बक दिया भीड़ में

जिसकी इच्छा नहीं है
उसको नौकरी-तरक्की के नाम पर

बिस्तर पर बिछाना ठीक नहीं
सोचा ये छोटी गलतियां है मेरी
यूंतो सब कुछ ठीक करने की कोशिश की मैंने
अपने झूठ को नया समय
लालच को जरूरत, लूट को मजबूरी
बॉस के पैरों में लोटने को एक्सरसाईज कह कर छिपाया

हर किताब खरीदी मैंने
जो बड़े लोगों की शेल्फ में थी

फोन में थे ताकतवर लोगों के नाम-नंबर
समझ में ठीक था

ताकत की तुला के इशारे सही समझता था
हवा के बदलने से पहले बदल लेता था पाला

किस्मत के मारों को नाकारा
भीख मांगते लोगों को काहिल

भूख के खिलाफ आवाज उठाते आदमियों को
ढोंगी ग़द्दार विदेशी एजेंट लिख सकता था

खूबसूरत वंदना को बदल सकता था निंदा में
समझ में थोड़ी सी बस गड़बड़ हो गई

जिसे मैं समझता था बड़ी गलतियां वो तो गुण थे
जिसे समझता रहा छोटी
वो बड़े अवगुण थे

समझ के इस फेर से 
फिर गया मेरा समय

मैं फैसले देता था जिनके बारे में
उठाकर फेंक दिया गया मुझे उसी भीड़ में

समझ गया हूं मैं
हर वक्त हाथ चलने थे

दूसरों के गले पर और जेब पर
नारो और नींद दोनों में करनी थी

ताकत की पूजा
ताकत में कुछ भी गलत नहीं होता
ताकत से कुछ भी गलत नहीं होता।।




3 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना शनिवार 08/02/2014 को लिंक की जाएगी............... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
कृपया पधारें ....धन्यवाद!

प्रवीण पाण्डेय said...

समय शक्ति के हाथ बताता

ram said...

ताकत में कुछ भी गलत नहीं होता
bahut sundar