Wednesday, February 24, 2016

दूरदर्शन को चिट्ठी

विजय देव झा ने दूरदर्शन को एक पाती लिखी है। फेसबुक पर। यह चिट्ठी मैं यहां शेयर कर रहा हूं। विजय देव झा, द टेलिग्राफ में पत्रकार हैं। 

दूरदर्शन समाचार हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।

मैंने भी तुम्हें कभी सुस्त धीमी गति कह कर मजाक उड़ाया था. मुझे उन नए खबरिया चैनलों और उनके एंकर से प्यार हो गया था।ये चैनल और इनके एंकर चौबीस घंटे उत्तेज़ना के साथ न्यूज़ देने का वादा करते थे। मैं खुद में प्रणव राय और विनोद दुआ को देखता था राजदीप मुझे दुनिया का सबसे स्मार्ट आदमी लगता था और रविश किसी संत से कम नहीं। इन सुन्दर महिला एंकरों को पुरे अदा और जलवे के साथ न्यूज़ पढ़ते देख मुझे लगता था की न्यूज़ प्रजेंटेसन का यही तरीका है. आज तो वह बजाप्ते वॉकी टॉकी लेकर न्यूज़ पढ़ती पढ़ते हैं. 

लेकिन मैं गलत था तुम उस वक़्त भी संत थे और आज भी हो. 

तुम्हें इस बात की रत्ती भर परवाह नहीं है की तुम टीआरपी में कहीं नहीं हो. अर्णव क्यों चीखते हैं, रविश क्यों रह रह कर बौद्धिक सिसकारियाँ लेते रहते हैं वह न्यूज़ कम पढ़ते हैं हम दर्शकों यह बताते हुए दिख पड़ते हैं की वह इस पेशे में बस इसलिए हैं की हम लोगों का बौद्धिक उन्नयन कर सकें, नीरा राडिया केस और वसूली के केस एक्सपोज़ हो चुके बरखा दत्त और सुधीर चौधरी मेरे नैतिक पहरेदार कैसे हो सकते हैं, लेकिन तुम्हारे एंकर आज भी शांत तरीके से न्यूज़ पढ़ते हैं. 

मुझे अक्सरहां तुम्हारे रिपोर्टर और कैमरामैन से मुलाकात होती रहती है. वह आम खबरिया चैनल के रिपोर्टर की तरह झाँउ झाँउ नहीं करते करते। 

टीवी रिपोर्टिंग का भी एक संस्कार होता है जो टीआरपी और तमाशे से नहीं आते. मैं मानता हूँ की तुम पर प्रो-इस्टैब्लिशमेंट का इलज़ाम लगाया जाता है लेकिन तुम इन निजी चैनलों की तरह उत्तेज़ना और अफवाह नहीं फैलाते। 

मेरा बेटा महज तीन महीने का है लेकिन टीवी की तरफ टुकुर-टुकुर ताकते रहता है यह जेनेटिकली ट्रांसफर्ड आदत है. लेकिन न्यूज़ चैनल देखते ही वह असहज हो जाता है. मुझे डर है की वह जब बड़ा होगा तो मुझसे पत्रकार होने की वजह से नफरत न करना शुरू कर दे. तुम देश के उन महान टीवी रिपोर्टर और एंकर की तरह खुद को सर्वज्ञानी और जज नहीं कहते और दूसरों को सत्ता या फिर विपक्ष का दलाल नहीं कहते। खबरिया चैनल अब तनाव और नफरत उतपन्न कर रहे हैं. देश में 

यह अलग बात है की सोनिया गांधी से आशीर्वाद प्राप्त मनमोहन सिंह की सरकार ने तुम्हारे सूत्र वाक्य "सत्यम शिवम सुंदरम" को हटा दिया था शायद देश को इस सूत्र वाक्य की जरुरत ही नहीं रह गयी. देश को तो जरूरत है बस जेएनयू टाइप रिपोर्टिंग की जो खबरिया चैनल दिखा रहे हैं। 

देश ने पहली बार देखा की देश के बड़े बड़े स्वनामधन्य टीवी पत्रकार खुलेआम एक दूसरे को खुलेआम गालियाँ दे रहे हैं जिसमे बीप की कोई भी गुंजाइस नहीं है। सबने अपने एजेंडा तय कर लिए हैं अब पत्रकार कम पैरोकार अधिक दिखते हैं। और यह एजेंडा तय करते हैं कुछ प्रमुख पत्रकार और उनके मालिक। 

देश की जनता को इन्होंने राष्ट्रवाद और फ्री स्पीच के अपने नकली और खोखले तर्क से ऐसा फँसा रखा है की अब गृह युद्ध जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। सत्ता संस्थान से कड़े सवाल जरूर पूछे जाने चाहिए लेकिन आपने तो ये हिसाब और सुबिधा के अनुसार सवाल पूछते हैं। चैनल वही दिखाते और सुनाते हैं जो उनके और उनके राजनितिक मित्रों के इंट्रेस्ट का हो। 

दूरदर्शन मुझे याद है की शायद तुमने एक बार अपने स्क्रीन को ब्लैक किया था जब इंदिरा गाँधीजी की हत्या हुई थी। लेकिन अब तो फैशन हो गया है। हमें बताया जाता है की फलाना पत्रकार देश और पत्रकारिता के गिरते स्तर पर कितना चिंतित है। लेकिन असली बात यह है की कुल योग्यता इस बात में हैं की इन्होंने देश में कितने उत्पात और इंटलरेंस बढ़ाये। इनकी कृपा से आज सैकड़ों चिरकुट नेता बन बैठे। इनका ब्रेकिंग और फलाने का एक और विवादास्पद बयान देश को ले बैठा है। 

खबरिया चैनल बौद्धिकता से दूर एक विध्वंसकारी समूह बन चुका है जो किसी के लिए जिम्मेदार नहीं है। दूरदर्शन समाचार यह सब लिखते हुए मैं अपने पापों का प्रायश्चित कर रहा हूँ। देश का सहनशील वर्ग आज फिर से तुम्हारी तरफ देख रहा है। तुम सुस्त ही सही लेकिन शैतान नहीं हो।

3 comments:

dr.mahendrag said...

आपने सही हालात का बयां कर दिया है आज यही हो रहा है सब चैनल में होड़ मची है टी आर पी के चककर में समाचारों को खबरिया चैनलों ने अपनी खुद ही खबरें बनानी चालू कर दी है और हर घटना का मीडिया ट्रायल शुरू करना चालू कर दिया है और इसी के कारण मुख्य घटना प्रभावित हो जाती है और असली अपराधी लाभ उठा बरी हो जाते हैं

dr.mahendrag said...

आपने सही हालात का बयां कर दिया है आज यही हो रहा है सब चैनल में होड़ मची है टी आर पी के चककर में समाचारों को खबरिया चैनलों ने अपनी खुद ही खबरें बनानी चालू कर दी है और हर घटना का मीडिया ट्रायल शुरू करना चालू कर दिया है और इसी के कारण मुख्य घटना प्रभावित हो जाती है और असली अपराधी लाभ उठा बरी हो जाते हैं

Shailesh said...

कृपया reaction में "funny (0)interesting (0)cool (0)" के अतिरिक्त अन्य विकल्प भी जोड़े !

आपने मेरे मन की बात लिख दी . .