Tuesday, November 22, 2016

मैं हमेशा नहीं रहूंगा

तुम साथ रहोगे न हमेशा?
नहीं, तुम हमेशा नहीं रहोगे।

सूरज, धरती, चांद, सितारे
और भी जो हैं जगमग सारे
और सपनों की भी होती है एक उम्र।

साइंसदां कहते हैं सूरज हो या कोई भी तारा,
या खुद अपनी ही धरती
सब एक महाविस्फोट से हुए थे पैदा
और सबकी उम्र होती है

हर चीज़ एक दिन फ़ना हो जानी है

एक दिन दहकता सूरज भी
गुल हो जाएगा
जब इसके अंदर इसको जलाने वाली गैसें चुक जाएंगी
तब यह भी
धरती के आकार के हीरे में बदल जाएगा

और जानती हो न तुम
हीरा होता है कितना कठोर,
कितना चमकदार,
कितना निर्मम-निष्ठुर
और हीरे को चमकने के लिए भी
चाहिए होती है दूसरों की रौशनी

हां,
यह मैं हमेशा नहीं रहूंगा
लेकिन न हवा रहेगी
न पानी होगा
न कुछ और बचेगा
सोचो की प्रोटोन तक को जिंदगी की मिली है तय मियाद

इस जीवन में कुछ भी शाश्वत नहीं है।

मैं भी तुम्हारे ईश्वर की तरह नश्वर ही हूं
मैं हमेशा नहीं रहूंगा।

मंजीत ठाकुर

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