Sunday, January 27, 2019

सबसे कामयाब प्रजाति इंसान नहीं गेहूं है.

हमने गेहूं को घरेलू नहीं बनाया, गेहूं ने हमें घरेलू बना दिया. डोमिस्टिक मतलब घर, घर में कौन रह रहा है? हम या गेहूं? जाहिर है, हम. 

जब भी कोई सवाल पूछता है कि पृथ्वी के इतिहास की सबसे कामयाब नस्ल कौन सी है तो हम बिना सोचे जवाब देते हैं, इंसान. पर जरा गेहूं की निगाह से कृषि क्रांति को देखिए. कोई 10,000 साल पहले गेहूं महज एक जंगली घास थी. बहुत-सी घासों में एक घास, जो मध्य-पूर्व के एक छोटे से दायरे में सीमित थी.

कुछ ही हजार वर्षों के भीतर इसकी पैदावार सारी दुनिया में होने लगी. लेखक, युवाल नोआ हरारी अपनी किताब होमोसेपियंस में स्थापित करते हैं कि उत्तरजीविता और पुनरुत्पादन के बुनियादी विकास मानकों के अनुसार, गेहूं पृथ्वी के इतिहास की सबसे कामयाब वनस्पति बन चुका है. उत्तरी अमेरिका के विशाल मैदानों में जहां 10,000 साल पहले गेहूं का एक डंठल भी पैदा नहीं होता था वहां आज की तारीख में सैकड़ों किलोमीटर तक आपको गेहूं के अलावा कोई और वनस्पति नजर नहीं आएगी. पूरी दुनिया के स्तर पर मापें तो गेहूं भूमंडल की 25 लाख वर्ग किमी सतह को घेरता है, जो ब्रिटेन के आकार से दस गुना है.

यह घास एक नाचीज से सर्वव्यापी में कैसे बदल गई?

हरारी लिखते हैं, असल में, खाद्य संग्राहक और शिकारी इंसान अच्छा-खासा जीवन जी रहा था, पर फिर इसने गेहूं की खेत से ज्यादा से ज्यादा उद्यम लगाने की शुरुआत की. उसके बाद मनुष्य गेहूं के अलावा किसी और प्रजाति पर कम ध्यान देने लगा. गेहूं को चट्टानें और कंकड़-पत्थर पसंद नहीं थे इसलिए सेपियंस इन सब चीजों से खेतों को साफ करने में कमर तोड़ मेहनत करने लगे.

गेहूं को अपनी जगह, पानी और पोषक तत्व साझा करना पसंद नहीं था इसलिए लोग दिन भर खेतों की निराई करने लगे. कीड़ो और पाले पर निगहबानी जरूरी थी. खरगोश से लेकर चूहों तक से रक्षा जरूरी थी. गेहूं प्यासा था तो मनुष्य झरनों और नदियों से पानी ढोकर उसकी सिंचाई करते थे. यहां तक कि इसकी भूख ने सेपियंस को जानवरों का मल इकट्ठा करने को मजबूर कर दिया, ताकि पौधे को पोषण मिल सके.

खेतों में मेहनत करने और पानी की बाल्टियां ढोने की कीमत हरारी के मुताबिक, इंसान की रीढ़ों, घुटनों, गरदनों और तलुओं के मेहराबों को चुकानी पड़ीं. कृषि के विकास ने स्लिप डिस्क, गठिया और हॉर्निया जैसी बीमारियों को जन्म दिया.

लोगों की जीवन पद्धति बदल गई. खानाबदोश सेपियंस अब एक जगह बस गए. हरारी कहते हैं, हमने गेहूं को घरेलू नहीं बनाया, गेहूं ने हमें घरेलू बना दिया. डोमिस्टिक मतलब घर, घर में कौन रह रहा है? हम या गेहूं? जाहिर है, हम.

2 comments:

Unknown said...

बहुत सुंदर लेख है पढ़कर मज़ा आ गया।
हमने गेहूं को घरेलू नहीं बनाया, गेहूं ने हमें घरेलू बना दिया. डोमिस्टिक मतलब घर, घर में कौन रह रहा है? हम या गेहूं? जाहिर है, हम.

कुमारी सुनीता said...

वह ...आप हर बात को बहुत इंटरेस्टिंग बना देते हैं बहुत सुंदर लेख ।