Sunday, April 8, 2012

निर्मल बाबा का सच

कई बाबाओं को धंधा जमाते देखा, निर्मल बाबा एकदम तेज-तर्रार निकले। लंबे घुंघराले बालों, बड़ी दाढियों और टकले बाबाओं को भी वक्त लगा था। लेकिन निर्मल बाबा अचानक नेपथ्य से निकल कर दुखियों के तारनहार हो गए।

निर्मल बाबा, नए बाबा जिनकी तूती है, लेकिन शक है उनकी ताकत पर
लेकिन निर्मल बाबा को जानना बहुत जरुरी है। आखिर, मन्नतें पूरी करने की नई तकनीक खोजने वाले को जानना ही चाहिए। पति नहीं पसंद करता, ब्युटी पार्लर जाओ। गर्लफ्रेंड भाव नहीं देती या है नहीं, फेसबुक पर अकाउंट खोलो। या तो निर्मल बाबा स्वयं भगवान हैं, जो हो नहीं सकते या पब्लिक को वही बना रहे हैं, जो पब्लिक बनते रहना चाहती है।

भक्तजनों, निर्मल बाबा मूल रूप से झारखण्ड का रहनेवाले हैं। निर्मल बाबा भले ही धर्म की धंधेबाजी के कारण अब चर्चा में आ रहे हों लेकिन फेसबुक पर अपडेट किए सुशील गंगवार नाम के मित्र की अद्यतन जानकारी के मुताबिक, निर्मल बाबा के एक रिश्तेदार झारखण्ड के रसूखदार नेताओं में गिने जाते हैं। निर्मल सिंह इन्हीं इंदर सिंह नामधारी के सगे साले हैं। यानी नामधारी की पत्नी मलविन्दर कौर के सगे भाई।

गंगवार आगे लिखते हैं, कि "
निर्मल बाबा का असली नाम है निर्मलजीत सिंहनरुला इसने जनता को चमत्कार दिखा-दिखा कर अकूत दौलत इकट्ठी कर ली है। इसे आप अगर ठगी कहें, (मैं तो कहता ही हूं) तो इसी ठगी से कमाई दौलत से दिल्ली के पॉश इलाके ग्रेटर कैलाश के ई ब्लॉक मे चार सौ करोड का बंगला खरीदा है।"

निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा पहुंचे नामधारी झारखण्ड के दो बार विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके सामने निर्मल का नाम लेने पर कई राज खुलते हैं। मीडिया दरबार के संचालक धीरज भारद्वाज निर्मल बाबा की खोजबीन के दौरान नामधारी से संपर्क करने में कामयाब हो गये और नामधारी ने भी बिना लाग-लपेट के स्वीकार कर लिया कि वह उनका सगा साला है, लेकिन उसका जो कुछ भी काला है उससे उनका कोई लेना देना नहीं है। इंदर सिंह नामधारी कहते हैं कि वे खुद कई बार निर्मल को सलाह दे चुके हैं कि वह लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करे, लेकिन वह सुनता नहीं है।

नामधारी स्वीकार करते हैं कि शुरुआती दिनों में वे खुद निर्मल को अपना करिअर संवारने में खासी मदद कर चुके हैं। धीरज भारद्वाज से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनके ससुर यानी निर्मल के पिता दिलीप सिंह बग्गा का काफी पहले देहांत हो चुका है और वे बेसहारा हुए निर्मल की मदद करने के लिए उसे अपने पास ले आए थे। निर्मल को कई छोटे-बड़े धंधों में सफलता नहीं मिली तो वह बाबा बन गया।

जब धीरज भारद्वाज ने नामधारी से निर्मल बाबा के विचारों और चमत्कारों के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि वे इससे जरा भी इत्तेफाक़ नहीं रखते। उन्होंने कहा कि वे विज्ञान के छात्र रहे हैं तथा इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी कर चुके हैं इसलिए ऐसे किसी भी चमत्कार पर भरोसा नहीं करते। इसके अलावा उनका धर्म भी इस तरह की बातें मानने का पक्षधर नहीं है।

सिख धर्म के धर्मग्रथों में तो साफ कहा गया है कि करामात कहर का नाम है। इसका मतलब हुआ कि जो भी करामात कर अपनी शक्तियां दिखाने की कोशिश करता है वो धर्म के खिलाफ़ काम कर रहा है। निर्मल को मैंने कई दफ़ा ये बात समझाने की कोशिश भी की, लेकिन उसका लक्ष्य कुछ और ही है। मैं क्या कर सकता हूं?” नामधारी ने सवाल किया।

उन्होंने माना कि निर्मल अपने तथाकथित चमत्कारों से जनता से पैसे वसूलने के गलत खेलमें लगे हुए हैं जो विज्ञान और धर्म किसी भी कसौटी पर जायज़ नही ठहराया जा सकता।


(फेसबुक पर सुशील गंगवार के इनपुट्स के साथ)

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2 comments:

Arvind Mishra said...

इससे बड़ा निर्मम सत्य यह है कि भारतीय जन मानस परले दर्जे का मूढ़ है !

प्रवीण पाण्डेय said...

जिसको जैसा गुरु चाहिये, मिल जाता है।