Friday, October 19, 2012

जल्लाद की डायरी


जल्लाद की डायरी

जल्लाद की डायरी शशि वारियर की किताब है। मूल रूप से यह किताब त्रावणकोर के एक जल्लाद जनार्दनन पिल्लई की जिंदगी पर आधारित है। जनार्दनन ने पूरे जीवन में 117 फांसियां दीं।

लोग यह सोचते होंगे और ऐसा प्रचलित कहावतों में भी क्रूरतम व्यक्ति को जल्लाद कहा जाता है। लेकिन शशि वारियर की किताब में एक जल्लाद के जीवन के अनछुए पहलुओं को दर्शाया गया है।

हालांकि लेखक पहले ही साफ करते हैं कि यह किताब सच और कल्पना का मिश्रण है और मुख्य पात्र उनकी कल्पना की उपज है लेकिन पिल्लई के जीवन की बहुत-सी बातें किताब में हैं।

फांसी देने की विधियों का लेखक ने इस लिहाज से बारीक ब्यौरा दिया है कि पढ़ते-पढ़ते आप सिहर उठेंगे। खासकर, अनुवादक कुमुदनी पतिजो सीपीएम की सक्रिय सदस्य हैंने भी हिंदी तर्जुमा इतना बेहतर किया  है कि आपको लगेगा ही नहीं कि किताब मूल रूप से हिंदी में नहीं लिखी गई है।

वैसे तो शशि वारियर ने नाइट ऑफ़ द क्रेट, द ऑरफ़न और स्नाइपर जैसी किताबें लिखी हैं। लेकिन उनकी यह किताब साहित्य में एकदम नई ज़मीन फोड़ती है।

किताब का मिजाज़ स्याह है, एक न भूलने वाली कहानी। लेकिन साथ ही यह वारियर को प्रथम श्रेणी के आंग्ल-भारतीय लेखकों में स्तापित कर देती है। इस किताब को आप मानव जीवन पर एक चिंतन के रूप में देख सकते हैं। जल्लाद की डायरी गहन अनुभूतियों के बीच रची गई रचना है, भावुकता से अछूती, लेकिन यह काल्पनिक लेखक और पाठक के मानसिक, भावनात्मक और मानवीय विकास का चित्रण है।

इतनी सरल शैली में आपने कभी इतनी सिहरा देने वाली किताब नहीं पढ़ी होगी।

हाल ही में मैंने ये किताब पढ़कर ख़त्म की है। मुझे अच्छी लगी, दिलचस्प भी।

जल्लाद की डायरी
लेखकः शशि वारियर
अनुवादकः कुमुदनी पति
प्रकाशकः पेंग्विन
मूल्यः 175 रूपये

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

कल्पना से ही मन सिहर उठता है।