शीर्षक देखकर चौंकिए मत। मैं ‘राष्ट्रहित’ की बात ही कर रहा हूं। ‘राष्ट्रहित’ सबसे ऊपर होना चाहिए। ‘पहले राष्ट्र, तब मैं’ की भावना का पाठ अति-आवश्यक है। बीते हफ्ते में तीन बातें हुईं, जिनसे मन-मयूर नाच उठा। तीनों बातें ‘राष्ट्रहित’ में हुई। विश्व के अलग-अलग हिस्सों में हुईं। लगा, पूरी दुनिया ‘राष्ट्रहित’ में सोचने लगी है।
पहली बात, बीबीसी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान ने भारत में महिलाओं की स्थिति के लिए केस स्टडी किया। निर्भया कांड के अभियुक्तों का साक्षात्कार लेकर वृत्त-चित्र बनाया और कहा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन चलाएंगे।
कुछ लोगों को खल गया। कहा, यह ‘राष्ट्रहित’ में नहीं है। जब भी भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने झुकने से इनकार करता है, बाहरी ताकतें ऐसे-ऐसे डॉक्यूमेंट्री बनाकर प्रसारित करने लगती हैं।
फिर कुछ लोगों ने कहा कि आखिर जेल में बंद अभियुक्तों का वीडियो साक्षात्कार कैसे लिया जा सकता है और तुर्रा यह कि उन अभियुक्तों और वकीलों ने पीड़िता को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां की हैं! इन टिप्पणियों से भारत की छवि खराब हो रही है। ‘राष्ट्रहित’ में इस वृत्तचित्र पर रोक लगनी चाहिए। विपक्षी दलों के हाहाकार के बाद सरकार ने ‘राष्ट्रहित’ में बीबीसी के इस वृत्त चित्र पर ही बंदिश लगा दी। बीबीसी ने महिला दिवस के पहले ही दिखा दिया। सरकार ने सोशल मीडिया पर इसके प्रसार को रोक दिया। ‘राष्ट्रहित’ की रक्षा हुई।
अब मुमकिन है कि सरकार ‘राष्ट्रहित’ में इस बात की जांच कराए कि आखिर अभियुक्तों के साक्षात्कार की अनुमति दी किसने।
‘राष्ट्रहित’ का दूसरा मामला आया जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन को लेकर। मुफ्ती मोहम्मद सईद ने सत्ता संभाली और एक अलगाववादी नेता को सत्ता संभालते ही रिहा कर दिया। याद कीजिए, यही मुफ्ती मोहम्मद सईद गृह मंत्री थे, जब रूबिया सईद का अपहरण आतंकवादियों ने किया था, और बतौर फिरौती आतंकियों को रिहा कर रूबिया छुड़ाई गईं थी। यह बात और है कि तब रूबिया को भारत की बेटी मानकर ‘राष्ट्रहित’ में यह कदम उठाया गया था। हालांकि, आतंकी बाद में भी छोड़े जाते रहे। अलबत्ता, रूबिया सईद अपहरण कांड के वक्त सरकार में बीजेपी वाली सरकार नहीं थी। प्रधानमंत्री वीपी सिंह थे और भाजपा ने उस सरकार को समर्थन भर दिया था।
‘राष्ट्रहित’ का तीसरा मामला भारत से नहीं है। राष्ट्रहित का यह ‘कांड’ बांगलादेश में हुआ है। वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ शानदार जीत हासिल कर टीम को पहली बार क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचाने वाले क्रिकेटर रूबेल हुसैन की दुनिया महीने भर के अंदर एक बार फिर उलट गई है। इसकी एकमात्र वजह हैः ‘राष्ट्रहित’।
विश्वकप से ऐन पहले रूबेल हुसैन पर बांग्लादेशी अभिनेत्री नाज़नीन अख़्तर ने बलात्कार का आरोप लगाया और रूबेल को कुछ वक्त जेल में भी गुजारना पड़ा। लेकिन बलात्कार के आरोपी रूबेल हुसैन को विश्व कप में खेलने देने के लिए अदालत ने ज़मानत दे दी। वजहः ‘राष्ट्रहित’। बांग्लादेशी क्रिकेटर ने मैदान पर जौहर दिखाया, इंगलैंड को पटखनी दे दी, तो पीड़िता के वकील ने अपनी मुवक्किल का मुकद्दमा छोड़ दिया। वजहः ‘राष्ट्रहित’।
क्रिकेट ने एक आपराधिक मुकद्दमे पर वरीयता हासिल कर ली। वजहः ‘राष्ट्रहित’। अंततः बलात्कार पीड़िता अभिनेत्री नाज़नीन अख्तर ने भी आपना आरोप वापस ले लिया। वजहः ‘राष्ट्रहित’। इधर सुना है आम आदमी पार्टी में भी कुछ स्यापा हो रहा है और ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ नाम की फिल्म भी हिट हो रही है। क्या पता उसकी वजह भी ‘राष्ट्रहित’ ही हो?
अब हम क्या कहें, कह तो अदम गोंडवी गए हैं—
जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिए
आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिए
4 comments:
mind blowing !!!
वाकई, दो टूक.
पढ़ कर मज़ा आ गया!
बिल्कुल खरी खरी बात कह दी है आपने ,इस राष्ट्र हित ने ही तो राष्ट्र को इस दर पर ला खड़ा कर दिया है
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