ठर्रा विद ठाकुर
गुड्डू भैया को आज अलग धज में देखकर मैं चौंक गया. क्या भैया, आज यह पूरे माथे पर त्रिपुंड और यह रामनामी चादर...क्या हो गया है आपको? और इस कमंडली में क्या है?
गुड्डू ने कमंडली में झांका और मुस्कुराते हुए कहाः कमंडली में तो वही है जो होना चाहिए. पूरे अद्धे में गंगाजल मिलाकर शुद्धोदक बना लिया है.
यह परिवर्तन कैसे भैया...
अरे, देख नहीं रहे हो. वामपंथ के पंथ पर चलने वाले राज्य त्रिपुरा के दक्षिणपंथी मुख्यमंत्री ने क्या कहा सुना तुमने? बिप्लव देब का बयान एक दम विप्लवी है. कह रहे हैं कि महाभारत काल में भी इंटरनेट था. उन्होंने कहा कि देश में महाभारत युग में भी तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध थीं, जिनमें इंटरनेट और सैटेलाइट भी शामिल थे. यह वह देश है, जिसमें महाभारत के दौरान संजय ने हस्तिनापुर में बैठकर धृतराष्ट्र को बताया था कि कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध में क्या हो रहा है. संजय इतनी दूर रहकर आंख से कैसे देख सकते हैं, सो, इसका मतलब है कि उस समय भी तकनीक, इंटरनेट और सैटेलाइट था.
सच क्या? मैं हैरत में पड़ गया. तो फिर उसके केबल किधर डले थे? मैंने सहज जिज्ञासा में मजाक कर दिया. गुड्डू भैया बोल पड़े, केबल वगैरह नहीं भी हो सकते हैं. लेकिन मेरी जिज्ञासा इस बात में अधिक है कि कौन कंपनी उस वक्त फ्री डेटा मुहैया करा रही थीं? सेवा 4जी थी या 3जी. स्पैक्ट्रम बंटवारे का ही झंझट कौरवों-पांडवों में था या कुछ और भी. नेट की स्पीड कैसे मापते थे?
गुड्डू भैया रुके नहीं. सुनो तो सही. बयानवीर ने और भी बहुत कुछ कहा है. बिप्लब के मुताबिक, डायना हेडन इंडियन ब्यूटी नहीं हैं. डायना हेडन की जीत फिक्स थी. उन्होंने कहा कि डायना हेडन भारतीय महिलाओं की सुंदरता की नुमाइंदगी नहीं करतीं. ऐश्वर्या राय करती हैं.
मैंने गुड्डू को रोकाः भैया, उन्होंने तो अपने बय़ान पर खेद जताया है बाद में.
लेकिन ठाकुर, वह रुके कहां हैं. बेरोजगारों को दी पान की दुकान खोलने और गाय पालने की नसीहत दे डाली और बाद में कहा कि
मैकेनिकल नहीं सिविल इंजीनियर्स दें सिविल सर्विसेज की परीक्षा बाकियों को समाज निर्माण में लगना चाहिए.
मुझसे रहा नहीं गया, भैया ये भाजपा के नेता अक्सर अपने बयान और अजीबो-गरीब वैज्ञानिक तर्कों को लेकर विवादों में रहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई मंत्री सार्वजनिक मंचों पर ऐसी बातें कह चुके हैं कि जिनके कारण उनको हंसी का पात्र बनना पड़ा है.
मुझे हंसी तो आ रही थी कि लेकिन क्या पता ऐसा ही हुआ हो. आखिर मुख्यमंत्री जैसे पद पर बैठे नेता को तरी-घटी का ज्यादा पता होगा न किसी आम आदमी की तुलना में?
गुड्डू के माथे से पसीना बह निकला और उनके त्रिपुंड का कुछ हिस्सा धुल सा गया, हथेली से उसे पोंछते हुए बोले, ये तो सिर्फ सीएम हैं. पीएम की मानो तो जलवायु परिवर्तन कुछ नहीं होता है. बढती उम्र के कारण लगती है ठंड. और यह बात नरेंद्र मोदी जी ने 5 सितंबर, 2014 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश भर के स्कूली बच्चों से सवाल-जवाब सत्र में कहा था. असम के एक छात्र ने पर्यावरण में आ रहे बदलावों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की और प्रधानंत्री से पूछा कि उनकी सरकार इसे रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है. इस पर मोदी ने कहा कि हमारे बुजुर्ग हमेशा यह शिकायत करते हैं कि इस बार पिछले साल से अधिक ठंड है. असल में यह उनकी बढ़ती उम्र और सहने की कम होती शक्ति की वजह से उन्हें ज्यादा ठंड महसूस होती है.
इतना ही नहीं 2014 में एक निजी अस्पताल का उद्घाटन करते हुए तुम्हारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, 'विश्व को प्लास्टिक सर्जरी का कौशल भारत की देन है. दुनिया में सबसे पहले गणेश जी की प्लास्टिक सर्जरी हुई थी, जब उनके सिर की जगह हाथी का सिर लगा दिया गया था.
गुड्डू भैया अभी चुप होने के मूड में नहीं थे.
तुम्हारे मंत्रियों ने तो चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत तक को गलत साबित कर दिया. वह भी ऐसे मंत्री ने जो पहले आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं. केंद्र में मंत्री सत्यपाल सिंह एक कार्यक्रम के दौरान यह दावा करते नजर आए थे कि मानव के क्रमिक विकास का चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत ‘वैज्ञानिक रूप से गलत है’ और स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में इसे बदलने की जरूरत है.
बाप रे, मेरे मुंह से निकल ही गया.
गुड्डू भैया ने कमंडल से शुद्धोदक का लंबा घूंट भरा और कहाः आगे सुनो. राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत पर ही दावा जता दिया था. उन्होंने कहा था कि, 'हम सब ने पढ़ा है कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन ने दिया था, लेकिन गहराई में जानने पर पता चलेगा कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन से एक हजार वर्ष पूर्व ब्रह्मगुप्त द्वितीय ने दिया था.
बेचारे स्टीफन हॉकिंग कुछ दिन पहले गुजर गए. लेकिन भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दावा किया था कि महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग भारतीय वेदों को अल्बर्ट आइंस्टाइन की महान थिअरी और सिद्धांत E=mc2 से काफी बेहतर मानते थे. हालांकि, जब हर्षवर्धन से इस दावे का प्रमाण मांगा गया, तो उन्होंने कहा, 'आप लोग सोर्स ढूंढें. इस बात का रेकॉर्ड है कि स्टीफन ने कहा था कि वेदों में इंस्टाइन के दिए फॉर्म्युले से बेहतर फॉर्म्युला है.
मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने आइआइटी के छात्रों को कहा था कि पुष्पक विमान से ही दुनिया में विमान बनाने का आइडिया आया. उन्होंने कहा कि 'राइट ब्रदर्स' से पहले ही एक भारतीय शिवकर बाबुजी तलपड़े ने एयरप्लेन का आविष्कार कर दिया था. कहा जाता है कि तलपड़े ने वैदिक ग्रंथों से ही उन्हें सबसे पहले एअरक्राफ्ट का आइडिया दिया था. दावा किया जाता है कि तलपड़े ने साल 1895 में मुंबई के जुहू बीच पर भीड़ के सामने इसका प्रदर्शन भी किया था. वहां बड़ौदा के राजा भी मौजूद थे. एयरक्राफ्ट 1500 फीट की ऊंचाई पर गया था और वहां कुछ मिनट रुका.
गुड्डू भैया, आप मजाक में कुछ कह दें, लेकिन सीधे-सीधे खारिज तो मत कीजिए भारतीय ज्ञान-विज्ञान को. प्राचीन भारत का साहित्य बेहद विपुल और विविधतासंपन्न है. हमारी विरासत में धर्म, दर्शन, भाषा, व्याकरण के साथ ही गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, रसायन, धातुकर्म, सैन्य विज्ञान जैसे विषयों का भी उल्लेख है. मिसाल के तौर पर, वैदिक साहित्य शून्य के कांसेप्ट, बीजगणित की तकनीकों तथा कलन-पद्धति, वर्गमूल, घनमूल के कांसेप्ट से भरा हुआ है. ऋग्वेद (2000 ईसापूर्व) में खगोलविज्ञान का उल्लेख है. 600 ईसापूर्व के भारतीय दार्शनिक कणाद ने परमाणु एवं आपेक्षिकता के सिद्धान्त का स्पष्ट उल्लेख किया है. इत्र का आसवन, गन्दकयुक्त द्रव, वर्ण और रंजकों (डाई और पिगमेंट्स) का निर्माण, शर्करा का निर्माण हमारी विरासत में रहा है. 800 ईसापूर्व में भारत में सुश्रुत और चरक ने आयुर्विज्ञान एवं शल्यकर्म पर पूरा ग्रंथ लिखा है.
सामवेद में सुरों का पूरा उल्लेख है. यानी वैदिक काल में ही ध्वनि और ध्वनिकी का सूक्ष्म अध्ययन शुरू हो चुका था. ग्रीक इतिहासकारों ने भारत में चौथी शताब्दी ईसापूर्व में ही धातुओं की स्मेल्टिंग का जिक्र किया है. हम लोहा बनाते थे भैया.
मुएनजोदड़ो एवं हड़प्पा से प्राप्त नगरीय सभयता उस समय में उन्नत सिविल इंजीनियरी एवं आर्किटेक्चर के अस्तित्व को प्रमाणित करती है. मैंने अपनी बात पूरी की तो गुड्डू मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख रहे थे.
अच्छा हुआ जो तुमने परमाणु विज्ञान का जिक्र करते हुए एटम बम और ब्रह्मास्त्र को हाइड्रोजन बम नहीं बताया. पुष्पक विमान को हेलीकॉप्टर न बता दिया. तर्क वाली बात करोगे तो दुनिया सहमत होगी, लेकिन उन्हीं ज्ञान-विज्ञान की चीजों को धर्म से जोड़कर मूर्खतापूर्ण बयान दोगे तो सोशल मीडिया पर खिंचाई होगी ही.
मैं हैरत से गुड्डू का बात सुन रहा था. गुड्डू कुछ पलों के लिए रुके और बोले, देखो बे पत्रकार, ज्ञान की चार अवस्थाओं में से तीसरा और चौथा बड़ा खतरनाक होता है. तीसरा है, आप नहीं जानते हैं कि आप क्या जानते हैं और चौथा होता है आप नहीं जानते हैं कि आप क्या जानते हैं.
ददा, मैं प्रणाम की मुद्रा में झुककर बोलाः जाते-जाते जरा ज्ञान की पहली और दूसरी अवस्थाएं भी उचारिए.
गुड्डू मुस्कुरा उठेः शाम को चखने के साथ हवेली पर पधारो. रही बात बिल्लवी मुख्यमंत्री की, तो सुना है इस बयानवीर को दिल्ली से बुलावा आया है. पीएम से मिलकर शायद उनके बयान कम हो जाएं या कम से कम अनाप-शनाप तो न आएं. वह खीसें निपोरते हुए चल दिए और जाते-जाते मुनीश्वरलाल चिंतामणि की कविता गुनगुनाते गएः
मेरे भाई भोलेराम, तुम मूर्ख बने रहना,
कल्याण इसी में है तुम्हारा.
सच मानो बड़ी मस्ती है मूर्खता में,
कुछ रखा नहीं है विद्वता में.
***
गुड्डू भैया को आज अलग धज में देखकर मैं चौंक गया. क्या भैया, आज यह पूरे माथे पर त्रिपुंड और यह रामनामी चादर...क्या हो गया है आपको? और इस कमंडली में क्या है?
गुड्डू ने कमंडली में झांका और मुस्कुराते हुए कहाः कमंडली में तो वही है जो होना चाहिए. पूरे अद्धे में गंगाजल मिलाकर शुद्धोदक बना लिया है.
यह परिवर्तन कैसे भैया...
अरे, देख नहीं रहे हो. वामपंथ के पंथ पर चलने वाले राज्य त्रिपुरा के दक्षिणपंथी मुख्यमंत्री ने क्या कहा सुना तुमने? बिप्लव देब का बयान एक दम विप्लवी है. कह रहे हैं कि महाभारत काल में भी इंटरनेट था. उन्होंने कहा कि देश में महाभारत युग में भी तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध थीं, जिनमें इंटरनेट और सैटेलाइट भी शामिल थे. यह वह देश है, जिसमें महाभारत के दौरान संजय ने हस्तिनापुर में बैठकर धृतराष्ट्र को बताया था कि कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध में क्या हो रहा है. संजय इतनी दूर रहकर आंख से कैसे देख सकते हैं, सो, इसका मतलब है कि उस समय भी तकनीक, इंटरनेट और सैटेलाइट था.
सच क्या? मैं हैरत में पड़ गया. तो फिर उसके केबल किधर डले थे? मैंने सहज जिज्ञासा में मजाक कर दिया. गुड्डू भैया बोल पड़े, केबल वगैरह नहीं भी हो सकते हैं. लेकिन मेरी जिज्ञासा इस बात में अधिक है कि कौन कंपनी उस वक्त फ्री डेटा मुहैया करा रही थीं? सेवा 4जी थी या 3जी. स्पैक्ट्रम बंटवारे का ही झंझट कौरवों-पांडवों में था या कुछ और भी. नेट की स्पीड कैसे मापते थे?
गुड्डू भैया रुके नहीं. सुनो तो सही. बयानवीर ने और भी बहुत कुछ कहा है. बिप्लब के मुताबिक, डायना हेडन इंडियन ब्यूटी नहीं हैं. डायना हेडन की जीत फिक्स थी. उन्होंने कहा कि डायना हेडन भारतीय महिलाओं की सुंदरता की नुमाइंदगी नहीं करतीं. ऐश्वर्या राय करती हैं.
मैंने गुड्डू को रोकाः भैया, उन्होंने तो अपने बय़ान पर खेद जताया है बाद में.
लेकिन ठाकुर, वह रुके कहां हैं. बेरोजगारों को दी पान की दुकान खोलने और गाय पालने की नसीहत दे डाली और बाद में कहा कि
मैकेनिकल नहीं सिविल इंजीनियर्स दें सिविल सर्विसेज की परीक्षा बाकियों को समाज निर्माण में लगना चाहिए.
मुझसे रहा नहीं गया, भैया ये भाजपा के नेता अक्सर अपने बयान और अजीबो-गरीब वैज्ञानिक तर्कों को लेकर विवादों में रहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई मंत्री सार्वजनिक मंचों पर ऐसी बातें कह चुके हैं कि जिनके कारण उनको हंसी का पात्र बनना पड़ा है.
मुझे हंसी तो आ रही थी कि लेकिन क्या पता ऐसा ही हुआ हो. आखिर मुख्यमंत्री जैसे पद पर बैठे नेता को तरी-घटी का ज्यादा पता होगा न किसी आम आदमी की तुलना में?
गुड्डू के माथे से पसीना बह निकला और उनके त्रिपुंड का कुछ हिस्सा धुल सा गया, हथेली से उसे पोंछते हुए बोले, ये तो सिर्फ सीएम हैं. पीएम की मानो तो जलवायु परिवर्तन कुछ नहीं होता है. बढती उम्र के कारण लगती है ठंड. और यह बात नरेंद्र मोदी जी ने 5 सितंबर, 2014 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश भर के स्कूली बच्चों से सवाल-जवाब सत्र में कहा था. असम के एक छात्र ने पर्यावरण में आ रहे बदलावों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की और प्रधानंत्री से पूछा कि उनकी सरकार इसे रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है. इस पर मोदी ने कहा कि हमारे बुजुर्ग हमेशा यह शिकायत करते हैं कि इस बार पिछले साल से अधिक ठंड है. असल में यह उनकी बढ़ती उम्र और सहने की कम होती शक्ति की वजह से उन्हें ज्यादा ठंड महसूस होती है.
इतना ही नहीं 2014 में एक निजी अस्पताल का उद्घाटन करते हुए तुम्हारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, 'विश्व को प्लास्टिक सर्जरी का कौशल भारत की देन है. दुनिया में सबसे पहले गणेश जी की प्लास्टिक सर्जरी हुई थी, जब उनके सिर की जगह हाथी का सिर लगा दिया गया था.
गुड्डू भैया अभी चुप होने के मूड में नहीं थे.
तुम्हारे मंत्रियों ने तो चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत तक को गलत साबित कर दिया. वह भी ऐसे मंत्री ने जो पहले आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं. केंद्र में मंत्री सत्यपाल सिंह एक कार्यक्रम के दौरान यह दावा करते नजर आए थे कि मानव के क्रमिक विकास का चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत ‘वैज्ञानिक रूप से गलत है’ और स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में इसे बदलने की जरूरत है.
बाप रे, मेरे मुंह से निकल ही गया.
गुड्डू भैया ने कमंडल से शुद्धोदक का लंबा घूंट भरा और कहाः आगे सुनो. राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत पर ही दावा जता दिया था. उन्होंने कहा था कि, 'हम सब ने पढ़ा है कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन ने दिया था, लेकिन गहराई में जानने पर पता चलेगा कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन से एक हजार वर्ष पूर्व ब्रह्मगुप्त द्वितीय ने दिया था.
बेचारे स्टीफन हॉकिंग कुछ दिन पहले गुजर गए. लेकिन भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दावा किया था कि महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग भारतीय वेदों को अल्बर्ट आइंस्टाइन की महान थिअरी और सिद्धांत E=mc2 से काफी बेहतर मानते थे. हालांकि, जब हर्षवर्धन से इस दावे का प्रमाण मांगा गया, तो उन्होंने कहा, 'आप लोग सोर्स ढूंढें. इस बात का रेकॉर्ड है कि स्टीफन ने कहा था कि वेदों में इंस्टाइन के दिए फॉर्म्युले से बेहतर फॉर्म्युला है.
मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने आइआइटी के छात्रों को कहा था कि पुष्पक विमान से ही दुनिया में विमान बनाने का आइडिया आया. उन्होंने कहा कि 'राइट ब्रदर्स' से पहले ही एक भारतीय शिवकर बाबुजी तलपड़े ने एयरप्लेन का आविष्कार कर दिया था. कहा जाता है कि तलपड़े ने वैदिक ग्रंथों से ही उन्हें सबसे पहले एअरक्राफ्ट का आइडिया दिया था. दावा किया जाता है कि तलपड़े ने साल 1895 में मुंबई के जुहू बीच पर भीड़ के सामने इसका प्रदर्शन भी किया था. वहां बड़ौदा के राजा भी मौजूद थे. एयरक्राफ्ट 1500 फीट की ऊंचाई पर गया था और वहां कुछ मिनट रुका.
गुड्डू भैया, आप मजाक में कुछ कह दें, लेकिन सीधे-सीधे खारिज तो मत कीजिए भारतीय ज्ञान-विज्ञान को. प्राचीन भारत का साहित्य बेहद विपुल और विविधतासंपन्न है. हमारी विरासत में धर्म, दर्शन, भाषा, व्याकरण के साथ ही गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, रसायन, धातुकर्म, सैन्य विज्ञान जैसे विषयों का भी उल्लेख है. मिसाल के तौर पर, वैदिक साहित्य शून्य के कांसेप्ट, बीजगणित की तकनीकों तथा कलन-पद्धति, वर्गमूल, घनमूल के कांसेप्ट से भरा हुआ है. ऋग्वेद (2000 ईसापूर्व) में खगोलविज्ञान का उल्लेख है. 600 ईसापूर्व के भारतीय दार्शनिक कणाद ने परमाणु एवं आपेक्षिकता के सिद्धान्त का स्पष्ट उल्लेख किया है. इत्र का आसवन, गन्दकयुक्त द्रव, वर्ण और रंजकों (डाई और पिगमेंट्स) का निर्माण, शर्करा का निर्माण हमारी विरासत में रहा है. 800 ईसापूर्व में भारत में सुश्रुत और चरक ने आयुर्विज्ञान एवं शल्यकर्म पर पूरा ग्रंथ लिखा है.
सामवेद में सुरों का पूरा उल्लेख है. यानी वैदिक काल में ही ध्वनि और ध्वनिकी का सूक्ष्म अध्ययन शुरू हो चुका था. ग्रीक इतिहासकारों ने भारत में चौथी शताब्दी ईसापूर्व में ही धातुओं की स्मेल्टिंग का जिक्र किया है. हम लोहा बनाते थे भैया.
मुएनजोदड़ो एवं हड़प्पा से प्राप्त नगरीय सभयता उस समय में उन्नत सिविल इंजीनियरी एवं आर्किटेक्चर के अस्तित्व को प्रमाणित करती है. मैंने अपनी बात पूरी की तो गुड्डू मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख रहे थे.
अच्छा हुआ जो तुमने परमाणु विज्ञान का जिक्र करते हुए एटम बम और ब्रह्मास्त्र को हाइड्रोजन बम नहीं बताया. पुष्पक विमान को हेलीकॉप्टर न बता दिया. तर्क वाली बात करोगे तो दुनिया सहमत होगी, लेकिन उन्हीं ज्ञान-विज्ञान की चीजों को धर्म से जोड़कर मूर्खतापूर्ण बयान दोगे तो सोशल मीडिया पर खिंचाई होगी ही.
मैं हैरत से गुड्डू का बात सुन रहा था. गुड्डू कुछ पलों के लिए रुके और बोले, देखो बे पत्रकार, ज्ञान की चार अवस्थाओं में से तीसरा और चौथा बड़ा खतरनाक होता है. तीसरा है, आप नहीं जानते हैं कि आप क्या जानते हैं और चौथा होता है आप नहीं जानते हैं कि आप क्या जानते हैं.
ददा, मैं प्रणाम की मुद्रा में झुककर बोलाः जाते-जाते जरा ज्ञान की पहली और दूसरी अवस्थाएं भी उचारिए.
गुड्डू मुस्कुरा उठेः शाम को चखने के साथ हवेली पर पधारो. रही बात बिल्लवी मुख्यमंत्री की, तो सुना है इस बयानवीर को दिल्ली से बुलावा आया है. पीएम से मिलकर शायद उनके बयान कम हो जाएं या कम से कम अनाप-शनाप तो न आएं. वह खीसें निपोरते हुए चल दिए और जाते-जाते मुनीश्वरलाल चिंतामणि की कविता गुनगुनाते गएः
मेरे भाई भोलेराम, तुम मूर्ख बने रहना,
कल्याण इसी में है तुम्हारा.
सच मानो बड़ी मस्ती है मूर्खता में,
कुछ रखा नहीं है विद्वता में.
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