Saturday, February 14, 2009

प्रेम की पराकाष्ठा

दुल्हन की डोली सजना बीते दिनों की बात है..सो डोली को कंधा देना भी अतीत हुआ। अब दुल्हन कार में जाती है, साजन के घर। तो कोई देवदास बनना चाहे भी और देवदास की तरह प्रेमिका की डोलीनुमा कार को कंधा देना चाहे भी , तो ये वायवल नहीं लगता। कार को कंधा देना मुमकिन है? प्रेमिका का विवाह वेलेंटाईन डे के दिन हो, और पूर्व प्रेमी डांस फ्लोर पर डीजे की धुनों पर नाचे तो इस परिस्थिति को क्या कहेंगे आप, प्रेमं की पराकाष्ठा ही न?


आज प्रेम दिवस है। आप सबों को प्रेम दिवस की बधाई.. बाबा वात्स्यायन के देश में प्रेम दिवस से पावन भला और क्या हो सकता है? लेकिन कुछ सरफिरे इसे समाज के विरुद्ध मान रहे हैं। लड़कियों के कपड़ों पर उनका नाराज़गी है, शराब पीने पर नाराज़गी है। निजता में दखल देकर सुर्खियां पाना एक शॉर्ट-कट है।


बहरहाल, हम प्रेम की पराकाष्टा पर कुछ कहना चाह रहे थे। मेरे एक मित्र है। मेरी एक सहेली भी है। सहेली की शादी आज ही है। वेलेंटाईन दिवस को..मेरे मित्र उससे प्रेम जैसा कुछ करते थे..लेकिन तीन साल तीन सदियों की तरह गुज़र गए ना तो मित्र प्रेम का इज़हार कर पाए न सहेली समझ पाई। कि ये जो रोज़ कुत्ते की तरह मेरे पीछे-पीछे गूमता है मुझसे प्यार करता है।


दुल्हन की डोली सजना बीते दिनों की बात है..सो डोली को कंधा देना भी अतीत हुआ। अब दुल्हन कार में जाती है, साजन के घर। तो कोई देवदास बनना चाहे भी और देवदास की तरह प्रेमिका की डोलीनुमा कार को कंधा देना चाहे भी , तो ये वायवल नहीं लगता। कार को कंधा देना मुमकिन है? प्रेमिका का विवाह वेलेंटाईन डे के दिन हो, और पूर्व प्रेमी डांस फ्लोर पर डीजे की धुनों पर नाचे तो इस परिस्थिति को क्या कहेंगे आप, प्रेमं की पराकाष्ठा ही न?


बहुत पहले जब हम कॉलेजिया स्टूडेंट ही थे। उसी वक्त, हमारे एक मित्र प्यार में पड़ गए। गरमी की एक देर रात, मेरे मित्र पसीनायित कमरे में नमूदार हुए। हम एग्रीकल्चर की हैंडबुक के भीतर कोई और ही कल्चर डिवेलप कर रहे थे। साफ शब्दों में कहें तो वर्जित साहित्य का रसपान कर रहे थे। मित्र को पसीनायित देखकर वहां मौजूद सभी मित्रों ने सवाल पर सवाल दागा। बकौल मित्र, वह रात उनके लिए कयामत की रात थी। उनकी प्रेमिका का विवाह था और वह बारातियों को पूडी़ बांटकर आ रहे थे। तभी से नाकाम प्रेमियों को हम बारात में पूड़ी बांटने वाला कह कर अभिहीत करते हैं।


लेकिन क्या यह भी प्रेम की पराकाष्टा नहीं है। प्रेमिका का इंतजार उनक घर के बाहर या कॉलेज के गेट के सामने या ट्यूशन सेंटर के बाहर मचान से लटके शिकारी की तरह इंतजार करने वाले् तमाम प्रेमियों से हमारी सह-अनुभूति है। जो लोग भग-वा ब्रिगेड के स्वंयभू कमांडर हैं उन्हें भी समझना चाहिए कि इस दुनिया में जिस चीज़ की सबसे ज्यादा कमी है वह प्रेम है। इसे बढा़ने में मदद करें ना कि इसे प्रतिबंधित करें।

1 comment:

यती said...

हम एग्रीकल्चर की हैंडबुक के भीतर कोई और ही कल्चर डिवेलप कर रहे थे। साफ शब्दों में कहें तो वर्जित साहित्य का रसपान कर रहे थे। intresting jis kisi ne b ise sahitya ki nirmiti ki ho usee valentine day k avsar par SALAM