Tuesday, August 4, 2009

जिंदगी की आवाज़ थे किशोर दा


आज किशोर दा का ८०वां जन्मदिन है..। लेकिन सच कहूं तो किशोर जैसे लोग, इन जैसी शख्सियतों का जन्मदिन या पुण्यतिथि मायने नहीं रखती। दरअसल, किशोर दा हम सब की यादो में हैं। मैं किशोर कुमार से कभी नहीं मिला..लेकिन बचपन से अमानुष का गीत दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा.. या फिर पल पल दिल के पास... या जय जय शिव शंकर.. या फिर रात कली एक ख्वाब में आई...छूकर मेरे मन को किया तूने क्यआ इशारा, या मेरे महबूब कयामत होगी..कितने गाने गिनवाऊं। आप सबों की ज़बान पर ये गाने आते होंगे, कई बार कई कई बार।




किशोर दा की आवाज़ से हमारा उतना ही तारतम्य है जितना अमिताभ और देव आनंद का या फिर राजेश खन्ना का। उनने शात्रीय संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा ली नहीं थी, लेकिन गानों में कहीं सुर-ताल की कमी थी कभी? उनकी यूडलिंग का जवाब है आज के किसी गायक के पास? किशोर दा की नकल से कितने गायको के पेट पल रहे है, इसकी कोई गिनती नहीं।


दरअसल, किशोर एक हरफनमौला शख्सियत थे। उनकी अदाकारी पर क्या कहूं. पैसा ही पैसा, बाप रे बाप, पड़ोसन को कौन भूल सकता है। उनकी हाफ टिकट देखते हुए मैं कई बार कुरसी से गिर चुंका हूं हंसते-हंसते। गंगा की लहरें, चलती का नाम गाड़ी, वगैरह...। फिल्म पड़ोसन में किशोर का सुनील दत्त को बोले कहने का अंदाज़.. और सच कहूं तो उस फिल् में दत्त साहब को किशोर खा गए थे।


आज कह सकता हूं कि .. कि किशोर के दर्द भरे गीत ने कभी न कभी कहीं न कहीं हर युवा के दिलो की धड़कन को छुआ होगा। किशोर ने अपनी ावाज़ से हमारे सपनों को नई ऊंचाई दी। आज भी युवा मन प्यार से पहले गुनगुनाता है, मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू... प्यार हो जाए तो गाता है ड्रीम ग्रर्ल और प्यार हुआ है जब से .... प्यार रुठ जाए तो कहता है पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले, दिल टूटे तो कहता है, दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा..।


हर मूड के गाने..। हर फलसफे के। रोमांस की हद को रुप तेरा मस्ताना से ज्यादा कौन बयां कर सकता है। और दर्द की हद में मैं शायर बदनाम से गहरा गाना कौन है? या फिर ये लाल रंग कब मुझे छोड़ेगा? और खुशी में झुमरु का सतवां आसमान..इना-मीना-डीका... हजारों गाने हैं।


मेरी पीढी़ की तरफ से किशोर दा के हुनर को प्रणाम..।

3 comments:

आलोक सिंह said...

किशोर डा के जन्म दिवस की हार्दिक बधैया, किशोर जी जैसा न कोई हुआ है न होगा .

Rajiv K Mishra said...

सच है मंजीत...ज़िंदगी अगर भावनाओं की कहानी है तो किशोर दा उन सारी फीलिंग्स के आवाज़ हैं...।

दिनेशराय द्विवेदी said...

वे समूचे जिन्दगी थे।