Thursday, September 8, 2016

राहुल@2.0 की खाट चर्चा

कहावत है कि सियासत में जब कुछ नया हो तो उसकी पहल करने वाले नेता के बारे में एक बार ज़रूर सोचना चाहिए। राजनीति के अभिनव प्रयोग की शुरूआत हमेशा नेता करते हैं, और अमूमन जनता उस पहल पर अपनी मुहर लगाकर उसे पॉप्युलर बनाती है या खारिज़ कर देती है।

सत्ताइस साल से उत्तर प्रदेश की कुरसी से दूर कांग्रेस अपने युवराज राहुल गांधी औऱ चुनावी सलाहकार प्रशांत किशोर को लेकर चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में लगी है। प्रशांत किशोर का नाम 2014 लोकसभआ चुनाव में नरेंद्र मोदी के धारदार चुनावी अभियान के बाद चमका। बीजेपी की प्रचंड जीत प्रशांत किशोर चुनावी अभियान की रणनीति का नतीजा मानी जाती है। लेकिन साल 2014 के बाद बिहार चुनाव में नीतीश-लालू के लिए काम किया। उन्हें भी जीत दिलाकर प्रशांत किशोर ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

अब 2017 के लिए पंजाब और यूपी इलेक्शन में कांग्रेस के लिए प्रशांत किशोर मैदान में हैं। साल 2014 का इलेक्शन हो या बिहार इलेक्शन पीके चुनावी कैंपेन में माहिर माने जाते हैं। अब यूपी में 27 साल बाद कांग्रेस की जमीन को मजबूत करते दिख रहे हैं।

देवरिया से राहुल ने पैदल यात्रा की तो वहां खाट सभा की योजना भी, जाहिर है, उऩके सलाहकार प्रशांत ने ही बनाई। करीब-करीब दो हजार खाट भी रखी गई। यात्रा शुरू हुई राहुल गांधी जैसे ही आगे चले, पीछे से सभा में शामिल लोग अपने-अपने हिस्से की खाट लेकर चलने लगे। अब खाट के इस लूटपाट को भी पीके का राजनीतिक स्ट्रोक बोला जा रहा है। पीके ने ही खाट बिछाई और खाट लुटवाई इससे होने वाले राजनीतिक फायदे काफी गहरे हैं।

कांग्रेस ने अपना चुनावी अभियान तब शुरू किया है जब बसपा ने अपने पत्ते खोल दिए हैं, सपा अपने अभियान को शुरू करने वाली है और बीजेपी अभी मंथन की प्रक्रिया से गुजर रही है। यह तय है कि यूपी इलेक्शन में एक बार फिर से केन्द्रीय मुद्दा जाति ही होगी और कांग्रेस भी उसी नाव पर सवार होकर टिकट बांटेगी, लेकिन ढिंढोरा विकास, किसानों और गरीबों की हमदर्दी का ही पीटा जा रहा है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के और बिहार चुनाव में राजद-जेडीयू के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कोशिश यही है कि यूपी में कोई कांग्रेस को नज़र अंदाज न कर सके।

फिर भी सवाल ही है कि क्या इस अभियान से कांग्रेस और ब्रांड राहुल को प्रशांत किशोर चमका पाएंगे? वैसे, देवरिया से दिल्ली का यह अभियान पूरा हो गया तो दो करोड़ लोगों से कांग्रेस का संपर्क तो हो ही जाएगा, यह बात और है कि लोग कांग्रेस को और उसके इस खाट अभियान को कितनी संजीदगी से लेते हैं।

ऐसा भी नहीं है इससे पहले कभी राहुल ने गांव की पगडंडियां नहीं मापी, या दलितो और वंचितों के घर जाकर खुद को उनका हमदर्द साबित करने की कोशिश नहीं की है। पिछले चुनाव में राहुल ने 100 विधानसभाओं का दौरा किया था लेकिन जीत तो महज 28 पर मिली थी। राहुल का लॉन्च नाकाम माना गया था।

इस बार खाट सभाओं के ज़रिए राहुल को रीलॉन्च किया गया है वह भी वर्ज़न 2.0 के साथ। इस बार 39 जिलों और 59 लोकसभा क्षेत्रों और 2500 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे।

कर्जदार किसानों की सूची के साथ राहुल उन सबको लिखकर दे रहे हैं कि कर्ज माफ किया जाएगा और बिजली का बिल आधा किया जाएगा। सूत्रों के हवाले से यह ख़बर मिली है कि यह सब पीके का किया कराया है। राहुल की खाट सभा औऱ महापदयात्रा दोनों को मीडिया कवरेज औऱ लोगों तक यह ख़बर पहुंचे इसलिए स्थानीय गांव वासियों को पहले से ही तैयार किया गया था। लुटपाट करने के लिए ही खाट सभा का आयोजन रखा गया था।

कयास यही हैं कि राहुल गांधी की यूपी में किसान पैदल यात्रा, किसानों के कर्ज माफ, बिजली बिल माफ, फसलों के समर्थन मूल्य का पूर्ण भुगतान जैसी किसानी मांगो को लेकर निकली है, खाटों की लूट के साथ खबर फैले और लोगों को पता चल जाए। राहुल की खाट सभा औऱ महापदयात्रा दोनों को मीडिया कवरेज औऱ लोगों तक यह ख़बर पहुंचे इसलिए स्थानीय गांव वासियों को पहले से ही तैयार किया गया था।

अंदाज़ा लगाइए कि राहुल की सभा बाढ़ग्रस्त देवरिया से ही शुरू क्यों हुई? अंदाजा़ लगाइए कि लूटे खाटों पर बैठे गांव के लोग आपस में खाट के बारे में चर्चा करेंगे तो क्या कांग्रेस और राहुल की चर्चा क्या नहीं होगी? जहां समाजवादी पार्टी पहले लैपटॉप बांट चुकी है और जहां इस बार वह स्मार्टफोन बांट रही है, वहां खाटों की लूट क्या जाहिर करती है? खाट गांव के लिए कितने जरूरी है इस पर भी ध्यान दीजिए। ज़मीन पर सो रहे तबके को खाट मिलना कितनी बड़ी बात है इसका अंदाज़ा आपको तभी लगेगा, जब आप गांव को बहुत नज़दीक से देखेंगे।

जो भी हो, सोशल मीडिया पर छाई इस खबर ने एक लहर पैदा की है और जो खाट, गांव और पगडंडी, लोटा और डोरी शहरी शब्दावली से गायब हो चुके थे, इसी बहाने उनकी चर्चा तो हुई। राहुल की खाट सभाओं को कमतर आंकना सियासी भूल होगी। प्रशांत किशोर ने सही निशाना लगाया है।


मंजीत ठाकुर

3 comments:

HindIndia said...

बहुत ही उम्दा ..... Very nice collection in Hindi !! :)

Unknown said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (10-09-2016) को "शाब्दिक हिंसा मत करो " (चर्चा अंक-2461) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

दिगम्बर नासवा said...

किसी को भी कम आंकना हमेशा भूल ही होती है ... पर जनता कब समझेगी की प्रशांत किशोरे जैसों ने जनता के भोलेपन को भुनाना शुरू किया है ... अलग अलग विचारधारा की पार्टियों के साथ वो रणनीति बनाते हैं ... जो देश के लिए अच्छा है उसकी रणनीति नहीं बनाते वो ....